PM मोदी ने मन की बात में कहा- भ्रष्ट लोगों को चेतावनी, गरीबों के जीवन से मत खेलो
नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री ‘मन की बात’ कर रहे हैं। यह 26वीं बार है जब पीएम देश से 'मन की बात' कर रहे हैं। मोदी ने नोटबंदी को बहुत बड़ा फैसला बताते हुए इस पर लोगों से समर्थन मांगा है। साथ ही कैशलेस सोसाइटी के निर्माण के सहयोग की भी अपील की है। क्या-क्या कह रहे हैं मोदी पढ़ें-
मैंने ‘मन की बात’ के लिए लोगों के सुझाव मांगे, एकतरफ़ा ही सबके सुझाव आए, सब कहते थे कि 500,1000 रुपये पर विस्तार से बात करें। जिस समय मैंने ये निर्णय किया था तब भी मैंने सबके सामने कहा था कि ये निर्णय सामान्य नहीं है, कठिनाइयों से भरा हुआ है। मुझे ये भी अंदाज़ था कि हमारे सामान्य जीवन में अनेक प्रकार की नई–नई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। निर्णय इतना बड़ा है इसके प्रभाव से बाहर निकलने में 50 दिन तो लग जाएंगे, तब जाकर सामान्य अवस्था की ओर हम बढ़ पाएंगे।
आपकी कठिनाइयों को मैं समझता हूं, भ्रमित करने के प्रयास चल रहे हैं फिर भी देशहित की इस बात को आपने स्वीकार किया है। कभी-कभी मन को विचलित करने वाली घटनाएं सामने आते हुए भी, आपने सच्चाई के इस मार्ग को भली-भांति समझा है। 500,1000 रुपये और इतना बड़ा देश इतनी करेंसियों की भरमार और ये निर्णय, पूरा विश्व बहुत बारीक़ी से देख रहा है। पूरा विश्व देख रहा है कि सवा-सौ करोड़ देशवासी कठिनाइयां झेल करके भी सफलता प्राप्त करेंगे क्या। विश्व के मन में प्रश्नचिन्ह हो सकता है, लेकिन भारत को विश्वास है कि देशवासी संकल्प पूर्ण करके ही रहेंगे। हमारा देश सोने की तरह तप करके, निखर करके निकलेगा और उसका कारण इस देश का नागरिक है, उसका कारण आप हैं।
केंद्र, राज्य, स्थानीय स्वराज संस्थाओं की इकाइयां, बैंक कर्मचारी, पोस्ट ऑफिस-दिन-रात इस काम में जुटे हुए हैं। तनाव के बीच, ये सभी लोग बहुत ही शांतचित्त रूप से, इसे देश-सेवा का एक यज्ञ मान करके कार्यरत हैं। सुबह शुरू करते हैं, रात कब होगी, पता तक नहीं रहता है और उसी का कारण है कि भारत इसमें सफल होगा। कठिनाइयों के बीच बैंक,पोस्ट ऑफिस के लोग काम कर रहे हैं और जब मानवता के मुद्दे की बात आ जाए तो वो दो क़दम आगे हैं। इस महायज्ञ के अंदर परिश्रम करने वाले, पुरुषार्थ करने वाले इन सभी साथियों का भी मैं ह्रदय से धन्यवाद करता हूं। जन-धन योजना को बैंक कर्मचारियों ने जिस प्रकार से अपने कंधे पर उठाया था उनके सामर्थ्य का परिचय हुआ।
किन बुराइयां इतनी फैली हुई हैं कि आज भी कुछ लोगों की बुराइयों की आदत जाती नहीं है। बेनामी संपत्ति का इतना कठोर क़ानून बना है, कितनी कठिनाई आएगी और सरकार नहीं चाहती है कि देशवासियों को कोई कठिनाई आए। मैं चुनाव में चाय पर चर्चा करता था लेकिन मुझे पता नहीं कि चाय पर चर्चा में, शादी भी होती है। सूरत में इस तरह विवाह वालों को बहुत बधाई और आशीर्वाद। देश को तो लाभ आने वाले दिनों में मिलेगा, लेकिन कुछ लोगों को तो तत्काल लाभ मिल गया है। म्युनिसपालिटी में इस साल ज़बरदस्त टैक्स जमा हुआ है जो गरीबों के काम आएगा।
हमारा देश 70 साल से कालेधन से जूझ रहा है। लोगों को गुमराह करने के प्रयास हो रहे हैं लेकिन ज्यादा से ज्यादा लोग हमें समर्थन दे रहे हैं।
कुछ लोग अपना कालाधन सफेद करने में जुटे हैं। इसके लिए वो लोग गरीबों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे लोगों से कहना चाहता हूं कि सुधरना या न सुधरना आपकी मर्जी है, लेकिन इसके लिए गरीबों का इस्तेमाल ना करें। गरीबों की जिंदगी से मत खेलिए, रिकॉर्ड पर गरीब का नाम आ जाए और मेरा प्यारा गरीब आपके कारण फंस जाए।
अर्थव्यवस्था के बदलाव के कारण,कठिनाइयों के बीच, हर नागरिक अपने को एडजस्ट कर रहा है, लेकिन मैं किसानों का विशेष रूप से अभिनंदन करता हूं। कठिनाइयों के बीच भी किसान ने रास्ते खोजे हैं। सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं, जिसमें किसानों को और गांवों को प्राथमिकता दी है। पिछले बजट में महत्वपूर्ण निर्णय किया था कि गांव के छोटे दुकानदार भी अब 24 घंटा अपना व्यापार कर सकते हैं, कोई क़ानून उनको रोकेगा नहीं। मुद्रा-योजना से उनको लोन देने की दिशा में काफी इनिशिएटिव लिए। लाखों-करोड़ों रुपये मुद्रा-योजना से ऐसे छोटे-छोटे लोगों को दिए।
मैंने देखा कि छोटे व्यापारी भी टेक्नोलॉजी, मोबाइल एप, मोबाइल बैंक, क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ग्राहकों की सेवा कर रहे हैं। मैं अपने छोटे व्यापारी भाइयो-बहनों से कहना चाहता हूं कि मौका है, आप भी डिजिटल दुनिया में प्रवेश कर लीजिए। आप कैशलेस सोसायटी बनाने में बड़ा योगदान दे सकते हैं, व्यापार बढ़ाने में मोबाइल फोन पर पूरी बैंकिंग व्यवस्था खड़ी कर सकते हैं। आज नोटों के सिवाय अनेक रास्ते हैं, जिससे हम कारोबार चला सकते हैं। टेक्नोलॉजिकल रास्ते हैं, सुरक्षित हैं और त्वरित हैं।
मज़दूर भाइयों-बहनों को कहना चाहता हूं, आपका बहुत शोषण हुआ है। कागज़ पर पगार होता है और जब हाथ में दिया जाता है तब दूसरा होता है। कभी पगार पूरा मिलता है, तो बाहर कोई खड़ा होता है, उसको कट देना पड़ता है और मज़दूर मजबूरन इस शोषण को जीवन का हिस्सा बना देता है। इतना बड़ा निर्णय मैंने ग़रीब, किसान, मज़दूर, वंचित, पीड़ित के लिए लिया है, उसका लाभ उसको मिलना चाहिए।
मेरे देश के युवा और युवतियां, मैं जानता हूं, मेरा निर्णय आपको पसंद आया है, आप इस निर्णय का समर्थन करते हैं। हो सकता है, आपके परिवार में बड़े भाई साहब को भी मालूम नहीं होगा और माता-पिता, चाचा-चाची, मामा-मामी को भी शायद मालूम नहीं होगा कि App क्या होता है। आप वो जानते हो, ऑनलाइन बैंकिंग क्या होता है, ऑनलाइन टिकट बुकिंग कैसे होता है, आप जानते हो।
हमारा सपना है कैशलेस सोसायटी का, ये ठीक है शत-प्रतिशत कैशलेस सोसायटी संभव नहीं, लेकिन क्यों न लैस कैश सोसायटी की तो शुरुआत करें। हर बैंक ऑनलाइन सुविधा देता है। हर बैंक की अपनी मोबाइल एप है, कई तरह के कार्ड हैं, अपना वालेट है, वालेट का सीधा मतलब है ई-बटुवा।
मुझे विश्वास है कि नौजवान हर दिन कुछ समय निकाल कर 10 परिवारों को ये टेक्नोलॉजी क्या है, टेक्नोलॉजी का कैसे उपयोग करते हैं बताएंगे। एक बार लोगों को रुपे कार्ड का उपयोग कैसे हो, ये आप सिखा देंगे तो ग़रीब आपको आशीर्वाद देगा।
मैंने ‘मन की बात’ के लिए लोगों के सुझाव मांगे, एकतरफ़ा ही सबके सुझाव आए, सब कहते थे कि 500,1000 रुपये पर विस्तार से बात करें। जिस समय मैंने ये निर्णय किया था तब भी मैंने सबके सामने कहा था कि ये निर्णय सामान्य नहीं है, कठिनाइयों से भरा हुआ है। मुझे ये भी अंदाज़ था कि हमारे सामान्य जीवन में अनेक प्रकार की नई–नई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। निर्णय इतना बड़ा है इसके प्रभाव से बाहर निकलने में 50 दिन तो लग जाएंगे, तब जाकर सामान्य अवस्था की ओर हम बढ़ पाएंगे।
आपकी कठिनाइयों को मैं समझता हूं, भ्रमित करने के प्रयास चल रहे हैं फिर भी देशहित की इस बात को आपने स्वीकार किया है। कभी-कभी मन को विचलित करने वाली घटनाएं सामने आते हुए भी, आपने सच्चाई के इस मार्ग को भली-भांति समझा है। 500,1000 रुपये और इतना बड़ा देश इतनी करेंसियों की भरमार और ये निर्णय, पूरा विश्व बहुत बारीक़ी से देख रहा है। पूरा विश्व देख रहा है कि सवा-सौ करोड़ देशवासी कठिनाइयां झेल करके भी सफलता प्राप्त करेंगे क्या। विश्व के मन में प्रश्नचिन्ह हो सकता है, लेकिन भारत को विश्वास है कि देशवासी संकल्प पूर्ण करके ही रहेंगे। हमारा देश सोने की तरह तप करके, निखर करके निकलेगा और उसका कारण इस देश का नागरिक है, उसका कारण आप हैं।
केंद्र, राज्य, स्थानीय स्वराज संस्थाओं की इकाइयां, बैंक कर्मचारी, पोस्ट ऑफिस-दिन-रात इस काम में जुटे हुए हैं। तनाव के बीच, ये सभी लोग बहुत ही शांतचित्त रूप से, इसे देश-सेवा का एक यज्ञ मान करके कार्यरत हैं। सुबह शुरू करते हैं, रात कब होगी, पता तक नहीं रहता है और उसी का कारण है कि भारत इसमें सफल होगा। कठिनाइयों के बीच बैंक,पोस्ट ऑफिस के लोग काम कर रहे हैं और जब मानवता के मुद्दे की बात आ जाए तो वो दो क़दम आगे हैं। इस महायज्ञ के अंदर परिश्रम करने वाले, पुरुषार्थ करने वाले इन सभी साथियों का भी मैं ह्रदय से धन्यवाद करता हूं। जन-धन योजना को बैंक कर्मचारियों ने जिस प्रकार से अपने कंधे पर उठाया था उनके सामर्थ्य का परिचय हुआ।
किन बुराइयां इतनी फैली हुई हैं कि आज भी कुछ लोगों की बुराइयों की आदत जाती नहीं है। बेनामी संपत्ति का इतना कठोर क़ानून बना है, कितनी कठिनाई आएगी और सरकार नहीं चाहती है कि देशवासियों को कोई कठिनाई आए। मैं चुनाव में चाय पर चर्चा करता था लेकिन मुझे पता नहीं कि चाय पर चर्चा में, शादी भी होती है। सूरत में इस तरह विवाह वालों को बहुत बधाई और आशीर्वाद। देश को तो लाभ आने वाले दिनों में मिलेगा, लेकिन कुछ लोगों को तो तत्काल लाभ मिल गया है। म्युनिसपालिटी में इस साल ज़बरदस्त टैक्स जमा हुआ है जो गरीबों के काम आएगा।
हमारा देश 70 साल से कालेधन से जूझ रहा है। लोगों को गुमराह करने के प्रयास हो रहे हैं लेकिन ज्यादा से ज्यादा लोग हमें समर्थन दे रहे हैं।
कुछ लोग अपना कालाधन सफेद करने में जुटे हैं। इसके लिए वो लोग गरीबों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे लोगों से कहना चाहता हूं कि सुधरना या न सुधरना आपकी मर्जी है, लेकिन इसके लिए गरीबों का इस्तेमाल ना करें। गरीबों की जिंदगी से मत खेलिए, रिकॉर्ड पर गरीब का नाम आ जाए और मेरा प्यारा गरीब आपके कारण फंस जाए।
अर्थव्यवस्था के बदलाव के कारण,कठिनाइयों के बीच, हर नागरिक अपने को एडजस्ट कर रहा है, लेकिन मैं किसानों का विशेष रूप से अभिनंदन करता हूं। कठिनाइयों के बीच भी किसान ने रास्ते खोजे हैं। सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं, जिसमें किसानों को और गांवों को प्राथमिकता दी है। पिछले बजट में महत्वपूर्ण निर्णय किया था कि गांव के छोटे दुकानदार भी अब 24 घंटा अपना व्यापार कर सकते हैं, कोई क़ानून उनको रोकेगा नहीं। मुद्रा-योजना से उनको लोन देने की दिशा में काफी इनिशिएटिव लिए। लाखों-करोड़ों रुपये मुद्रा-योजना से ऐसे छोटे-छोटे लोगों को दिए।
मैंने देखा कि छोटे व्यापारी भी टेक्नोलॉजी, मोबाइल एप, मोबाइल बैंक, क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ग्राहकों की सेवा कर रहे हैं। मैं अपने छोटे व्यापारी भाइयो-बहनों से कहना चाहता हूं कि मौका है, आप भी डिजिटल दुनिया में प्रवेश कर लीजिए। आप कैशलेस सोसायटी बनाने में बड़ा योगदान दे सकते हैं, व्यापार बढ़ाने में मोबाइल फोन पर पूरी बैंकिंग व्यवस्था खड़ी कर सकते हैं। आज नोटों के सिवाय अनेक रास्ते हैं, जिससे हम कारोबार चला सकते हैं। टेक्नोलॉजिकल रास्ते हैं, सुरक्षित हैं और त्वरित हैं।
मज़दूर भाइयों-बहनों को कहना चाहता हूं, आपका बहुत शोषण हुआ है। कागज़ पर पगार होता है और जब हाथ में दिया जाता है तब दूसरा होता है। कभी पगार पूरा मिलता है, तो बाहर कोई खड़ा होता है, उसको कट देना पड़ता है और मज़दूर मजबूरन इस शोषण को जीवन का हिस्सा बना देता है। इतना बड़ा निर्णय मैंने ग़रीब, किसान, मज़दूर, वंचित, पीड़ित के लिए लिया है, उसका लाभ उसको मिलना चाहिए।
मेरे देश के युवा और युवतियां, मैं जानता हूं, मेरा निर्णय आपको पसंद आया है, आप इस निर्णय का समर्थन करते हैं। हो सकता है, आपके परिवार में बड़े भाई साहब को भी मालूम नहीं होगा और माता-पिता, चाचा-चाची, मामा-मामी को भी शायद मालूम नहीं होगा कि App क्या होता है। आप वो जानते हो, ऑनलाइन बैंकिंग क्या होता है, ऑनलाइन टिकट बुकिंग कैसे होता है, आप जानते हो।
हमारा सपना है कैशलेस सोसायटी का, ये ठीक है शत-प्रतिशत कैशलेस सोसायटी संभव नहीं, लेकिन क्यों न लैस कैश सोसायटी की तो शुरुआत करें। हर बैंक ऑनलाइन सुविधा देता है। हर बैंक की अपनी मोबाइल एप है, कई तरह के कार्ड हैं, अपना वालेट है, वालेट का सीधा मतलब है ई-बटुवा।
मुझे विश्वास है कि नौजवान हर दिन कुछ समय निकाल कर 10 परिवारों को ये टेक्नोलॉजी क्या है, टेक्नोलॉजी का कैसे उपयोग करते हैं बताएंगे। एक बार लोगों को रुपे कार्ड का उपयोग कैसे हो, ये आप सिखा देंगे तो ग़रीब आपको आशीर्वाद देगा।
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