माता रानी का एक ऐसा मंदिर जहां लगता है ढाई प्याला शराब का भोग
ऐतिहासिक भंवाल माता मंदिर में नवरात्रा के मौके पर भक्तों के मेले में भारी जमावड़ा लगता है. लोग दूर दूर से माता के दरबार में मन्नत मांगने आते हैं. भारत के साथ-साथ विदेशों से आए सैलानियों मे भी मशहूर काली माता के इस मंदिर की विशेषता माता को भक्तों द्वारा शराब का भोग लगाया जाना है. माता एक भक्त से ढाई प्याला शराब का भोग लगाती हैं. खास बात ये है कि माता उसी भक्त की शराब का भोग लगाती है, जिसकी मनोकामना या मन्नत पूरी होनी होती है और वह सच्चे दिल से भोग लगाता है.
आपको बता दें कि भंवाल माता मंदिर राजस्थान प्रदेश में नागौर जिले के मेड़तासिटी में है. यह ऐसा मंदिर है जहां शराब को खराब नहीं बल्कि प्रसाद माना जाता है. बाकायदा शराब को प्रसाद की तरह चढ़ाया जाता है. राजस्थान के नागौर जिले की मेड़ता तहसील के भंवाल गांव में काली माता का मंदिर है, जिसकी तामीर को 800 से ज्यादा साल हो चुके हैं.
भंवाल के काली माता मंदिर की खास बात ये है कि यहां पर काली माता को भक्त शराब का भोग लगाते हैं. यही नहीं माता भी सभी की शराब स्वीकार नहीं करतीं. केवल उसी भक्त की शराब कबूल की जाती है, जिसकी मन्नत पूरी की जानी होती है. माता के मंदिर में दो मुर्तियां हैं, पहली बह्माणी माता की जिन्हें मीठा प्रसाद चढ़ाते हैं और दूसरी काली माता की जिनको शराब चढ़ाई जाती है.
हजारों भक्त भंवाल मे अपनी मुरादें लेकर आते हैं. माता को चढ़ावे के लिए भक्त जो शराब लाता है, पूजारी उसे माता को चढ़ाने के बाद बची हुई शराब वापस भक्त को दे देते हैं. इस शराब को बहुत पवित्र माना जाता है. ऐसा नहीं है कि भक्त सिर्फ मन्नत मांगने के लिए ही माता के दरबार मे आते हैं बल्कि जिन भक्तों की मुराद पूरी हो जाती है, वे भी फिर से माता का शुकराना अदा करने भंवाल आते हैं.
मंदिर में भक्तों को इस बात का भी खास ध्यान रखना होता है कि, वो चमड़े से बनी कोई चीज उस वक्त ना पहना हों जब शराब को भोग लगाया जा रहा हो. अगर भक्त चमड़े से बनी कोई चीज पहने होता है तो माता उसकी भेट स्वीकार नहीं करती हैं.
पुजारी जब शराब का प्याला माता को चढ़ाता है तो अगर माता को भक्त की शराब मंजूर है तो शराब का प्याला खाली हो जाता है. इस तरह करके माता ढाई प्याला शराब ग्रहण करती हैं. विदेश से आए सैलानी भी माता को शराब के भोग लगते देख हैरान हो जाते हैं.
भंवाल माता के प्रति भक्तों की आस्था भी कुछ ऐसी ही है, जिस शराब को आमतौर पर अच्छा नहीं माना जाता वहीं शराब यहां पवित्र मानी जाती है और हर उम्र के भक्तों के हाथ मे देखी जा सकती है.
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