-->

Breaking News

अब सिंधिया अगर अंग्रेजों के साथ रहे तो क्या RSS स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों के साथ थी : दीपक तिवारी

भोपाल। सिंधिया परिवार को लेकर भिंड में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई टिप्पणी के बाद प्रदेश की राजनीति गरमाई हुई है| शिवराज सिंह चौहान के इस बयान को लेकर मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी ने अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट किया है, जिसमे उन्होंने  कहा है कि सिंधिया अगर अंग्रेजों के साथ रहे तो क्या आरएसएस स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों के साथ थी ?

दीपक तिवारी लिखते हैं, शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सिंधिया परिवार के बारे में कहा की उन्होंने भिंड की भोली-भाली जनता पर जुल्म किया इसलिए सोचा आपको ग्वालियर के सिंधिया के एक अलग पक्ष के बारे में बताऊँ।

सिंधिया लोगों ने क्या जुल्म लिए यह तो नहीं पता......  लेकिन अकड़, ठसक और श्रीमंत के अलावा इस परिवार की अच्छाई उनका विकास के प्रति ईंमानदार और गंभीर नजरिया है।

आगे दीपक लिखते है की इस घराने के ज्यादातर खेवनहारों ने इलाके के विकास के लिए हमेशा बाकी समकालीन रियासतों की तुलना में ज्यादा काम किया है। यही कारण है की 1956 में मध्यप्रदेश बनने के पहले मध्यभारत (जिसमें ग्वालियर-उज्जैन-मंदसौर-विदिशा का इलाका शामिल था) चार राज्यों में सबसे विकसित था।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के दादाजी जीवाजीराव सिंधिया इतने अँगरेज़ थे की उनके नाम के साथ जार्ज लिखा जाता था -- जार्ज जीवाजीराव सिंधिया.....… लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता की 1947 के पहले ग्वालियर सबसे विकसित रियासतों में से एक थी और ग्वालियर ब्रिटिश भारत के प्रमुख शहरों में से एक था।
दीपक ने कहा की ग्वालियर राज्य में सबसे ज्यादा किलोमीटर सड़कें, बाँध और नहरें थी जो आज तक काम आ रहीं है।  1925 के बाद सिंधिया ने बिरला को ग्वालियर और उज्जैन में कपड़ा मिलें लगाने को तैयार किया। बिलकुल वैसे है जैसे आज करोड़ों रुपये खर्च कर के नेता इन्वेस्टर मीट करते हैं और उद्योगपतियों से अपने यहाँ फैक्टरी लगाने को कहते हैं। 

1872 में जयाजीराव ने Great Indian Penisula Railway को साढ़े सात लाख रूपये देकर ग्वालियर-आगरा रेल खंड बनवाया था। उस ज़माने में केवल सिंधिया ने अपने राज्य में ग्वालियर रेल की स्थापना की थी।  जिसमे ग्वालियर से श्योपुर, भिंड, शिवपुरी और नीमच तक रेल चलती थी। कह सकते हैं कि यह पैसा जनता का था, पर उस दौर में बाकी राजवाड़े क्या कर रहे थे ?

मैं कोई राजे-रजवाड़ों का प्रशंसक नहीं हूँ। लेकिन पिछले दिनों जिस तरह से शिवराज सरकार की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने शिवपुरी में एक ‘घटिया’ निर्माण का उद्घाटन करने से मना किया वह कोई ‘कमीशन न लेने वाला मंत्री’ ही कर सकता है। मंत्री महोदया ने कहा की सरकारी पैसे से अच्छा काम जब तक नहीं होगा वे उदघाटन नहीं करेंगी।

इसी तरह कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहे माधवराव सिंधिया ने रेल मंत्री के तौर पर काम किया था जो आज भी उनके विकासात्मक रवैये की याद दिलाता है।  शायद इसीलिए जब उन्होंने नरसिंहराव से टूट कर नयी पार्टी बनाई थी तो उसका नाम भी ‘विकास कांग्रेस’ रखा था। उस ज़माने में विकास कांग्रेस ग्वालियर और बस्तर से लोकसभा चुनाव जीती थी।

अब राजमाता ने भाजपा को अपनी संपत्ति बेच-बेच कर कैसे वित्त पोषित किया इसकी बात यहाँ नहीं लिख रहा हूँ। आरएसएस-जनसंघ-भाजपा वाले इस बात को अच्छे से जानते हैं।

No comments

सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करते हुए एमपी ऑनलाइन न्यूज़ मप्र का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला रीजनल हिन्दी न्यूज पोर्टल बना हुआ है। अपने मजबूत नेटवर्क के अलावा मप्र के कई स्वतंत्र पत्रकार एवं जागरुक नागरिक भी एमपी ऑनलाइन न्यूज़ से सीधे जुड़े हुए हैं। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ एक ऐसा न्यूज पोर्टल है जो अपनी ही खबरों का खंडन भी आमंत्रित करता है एवं किसी भी विषय पर सभी पक्षों को सादर आमंत्रित करते हुए प्रमुखता के साथ प्रकाशित करता है। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ की अपनी कोई समाचार नीति नहीं है। जो भी मप्र के हित में हो, प्रकाशन हेतु स्वीकार्य है। सूचनाएँ, समाचार, आरोप, प्रत्यारोप, लेख, विचार एवं हमारे संपादक से संपर्क करने के लिए कृपया मेल करें Email- editor@mponlinenews.com/ mponlinenews2013@gmail.com