SC का आदेश- सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के दौरान दिव्यांगों को खड़ा होना जरूरी नहीं
नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने मामले में दिव्यांगों को राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को सिनेमा हॉल के अंदर खड़ा होना जरूरी नहीं है। नवंबर में कोर्ट ने देश के सभी सिनेमा हॉलों में मूवी से पहले राष्ट्रगान बजाए जाने और वहां मौजूद सभी लोगों को सम्मान में खड़े होने का ऑर्डर जारी किया था। वहीं, बुधवार को देश के सभी स्कूल और कॉलेजों में राष्ट्रगीत वंदे मातरम जरूरी करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्तों में केंद्र से जवाब मांगा है। इस पिटीशन पर अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।
सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान को सम्मान दिलाने के लिए भोपाल के श्याम नारायण चौकसे ने 14 साल की लड़ाई लड़ी। उन्हीं की पीआईएल पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मूवी से पहले जन गण मन बजाए जाने का ऑर्डर दिया।
30 नवंबर, 2016 को कोर्ट ने ऑर्डर जारी करते हुए कहा, ''देशभर के सभी सिनेमा हॉलों में मूवी शुरू होने से पहले राष्ट्रगान जरूर बजेगा। इस दौरान स्क्रीन पर तिरंगा नजर आना चाहिए। साथ ही राष्ट्रगान के सम्मान में वहां मौजूद सभी लोगों को खड़ा होना होगा।''
पिटीशन में क्या मांगे थीं?
चौकसे की पिटीशन में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी कि सिनेमा हॉलों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाना चाहिए। कमर्शियल बेनिफिट और इंटरटेनमेंट शो में ड्रामा क्रिएट करने के लिए राष्ट्रगान के इस्तेमाल पर रोक लगाई जानी चाहिए। एक बार राष्ट्रगान शुरू होने पर आखिरी तक गाया जाना चाहिए। इसे बीच में नहीं रोकना चाहिए।
पहले भी सिनेमा घरों में बजाया जाता था राष्ट्रगान
1960 के दशक में भारत में सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजाने की शुरुआत हुई। ऐसा सैनिकों के सम्मान और लोगों में राष्ट्रप्रेम की भावना जगाने के लिए होता था। हालांकि, बाद में शिकायतें हुईं कि सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान का अपमान होता है इसके बाद करीब 40 साल पहले सरकार ने इसे बंद करवा दिया था। 2003 में महाराष्ट्र सरकार ने इसके लिए नियम बनाया। जिसके तहत सिनेमा हॉल में मूवी से पहले राष्ट्रगान बजाना और इस दौरान लोगों का खड़े रहना जरूरी किया गया।
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