दिल्ली से भोपाल पहुंचा केंद्रीय मंत्री दवे का पार्थिव शरीर
भोपाल। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिल माधव दवे का पार्थिव शरीर आज शाम लगभग सात बजे भोपाल विमानतल पहुंचा। वहां से उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश कार्यालय लाया गया। प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने बताया कि श्री दवे का पार्थिव शरीर विशेष विमान से दिल्ली से भोपाल के राजाभोज विमानतल लाया गया। उस विमान में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, उपाध्यक्ष प्रभात झा और केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत भी साथ आए हैं। विमानतल पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान एवं प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत, जनसंपर्क मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा सहित प्रदेश मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों सहित भाजपा के सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे।
श्री अग्रवाल ने बताया कि विमानतल से श्री दवे के पार्थिव शरीर को प्रदेश भाजपा कार्यालय लाया गया। यहां बड़ी संख्या में लोग उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए मौजूद थे। लगभग आठ बजे श्री दवे की पार्थिव देह यहां पहुंची। जहां उसे लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। लोग उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर रहे हैं। भाजपा के साथ कांग्रेस के कई नेता भी श्री दवे को श्रद्धांजलि देने वहां पहुंचे। श्री अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश कार्यालय में लगभग एक घंटे रखने के बाद श्री दवे के पार्थिव शरीर को ‘नदी के घर’ ले जाया जाएगा। ये वही घर है जहां भोपाल प्रवास के दौरान श्री दवे रहा करते थे।
गौरतलब है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री अनिल माधव दवे नहीं रहे। 60 वर्षीय दवे ने गुरुवार सुबह अपने घर पर बेचैनी की शिकायत की और तब उन्हें एम्स ले जाया गया। वहां उनका निधन हो गया। वन और पयार्वरण मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि दवे का गुरुवार सुबह कोयम्बटूर जाने का कार्यक्रम था लेकिन इसी बीच उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें तुरन्त अस्पताल ले जाना पड़ा। दवे 2009 से राज्यसभा सांसद थे। उन्होंने 2016 में पयार्वरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शपथ ली थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया। पीएम मोदी ने कहा कि मैं कल शाम को अनिल दवे जी के साथ था, उनके साथ नीतिगत मुद्दों पर चर्चा कर रहा था। उनका निधन मेरा निजी नुकसान है। उन्हें लोग जुझारू लोक सेवक के तौर पर याद रखेंगे। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वह काफी जुझारू थे।
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