आपदा भी नहीं रोक सकी कैलाश मानसरोवर यात्रा
नैनीताल: अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके एतिहासिक कैलाश मानसरोवर यात्रा इस बार भीषण आपदा और अतिवृष्टि के बीच भी जारी रही तथा यही कारण है कि इस बार इस ऐतिहासिक यात्रा में सबसे अधिक रिकार्ड 914 यात्री चीन कैलाश दर्शन के लिए गए। हिन्दुओं की सबसे पवित्र माने जाने वाली यात्रा भारत और चीन के बीच वर्ष 1981 में शुरू हुई थी। तब से लेकर अब तक यह यात्रा अनवरत रूप से जारी है। इस वर्ष चीन के साथ चल रही तनातनी का यात्रा पर कोई असर नहीं पड़ा है।
पहले सिक्किम के नाथूला दर्रे विवाद तथा बाद में डोकलाम विवाद भी यात्रियों को नहीं रोक पाये। इन विवादों के बावजूद पिथौरागढ़ के सीमांत व्यास घाटी से इस बार रिकॉर्ड 914 यात्री इस बार कैलाश मानसरोवर के दर्शन के लिएगए हैं। इस बार तमाम विवादों, प्रतिकूल मौसम तथा आपदा के बावजूद यात्रा रिकॉर्ड कायम करने में सफल रही है। इस साल सबसे कम यात्री अंतिम 18वें दल में गये हैं जिसमें मात्र 26 पुरुष और 8 महिला समेत 34 यात्री ही शामिल हैं। कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक धीराज ने बताया कि अंतिम यात्री दल गुंजी से आगे की यात्रा पर निकल गया है।
16वां व 17वां दल चीन अधिकृत तिब्बत की यात्रा पर है जबकि 14वां व 15वां दल कैलाश के दर्शन कर वापस भारतीय क्षेत्र नाबीढांग-गुंजी पहुंच गया है। इस वर्ष पिथौरागढ़ जिले के सीमांत क्षेत्र में कई जगह बादल फटने व इसके फलस्वरूप होने वाली अतिवृष्टि से भी कैलाश मानसरोवर यात्रियों के हौंसले नहीं रुके। गत 13 अगस्त की रात्रि में मालपा और तवाघाट के पास मालती में बादल फटने से भीषण तबाही मची थी। कई लोग मर गये थे और एक दर्जन से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। कई जगह कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग भी प्रभावित हुआ है। इसके बावजूद कैलाश यात्री कैलाश के दर्शन के लिए डटे रहे।
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