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प्रगतिशील लेखक संघ की अनूपपुर इकाई का पुनर्गठन

प्रगतिशील लेखक संघ की अनूपपुर इकाई का पुनर्गठन
अनूपपुर। भारतीय दर्शन में स्वतंत्रता का नशा है। उसके हर रेशे में बंधन के प्रति विद्रोह है। देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय की पुस्तक से उद्धृत करते हुए यह बात वरिष्ठ साहित्यकार  गोविंद जी श्रीवास्तव ने प्रगतिशील लेखक संघ, अनूपपुर इकाई की सांगठनिक बैठक के दौरान कही। उन्होंने कहा कि आज अभिव्यक्ति की आज़ादी को बाधित करने का प्रयास किया जा रहा है जो भारतीय दर्शन और संस्कृति के खिलाफ है।
महान कवि त्रिलोचन के जन्मदिवस पर अनूपपुर के शम्भूनाथ शुक्ल पुस्तकालय में प्रलेस इकाई की बैठक श्री गोविन्द श्रीवास्तव की अध्यक्षता एवं राज्य सचिवमण्डल सदस्य सत्यम सत्येन्द्र पाण्डेय की उपस्थिति में आयोजित हुई जिसमें उपस्थित रचनाकार साथियों ने रचनापाठ किया, इकाई का सांगठनिक पुनर्गठन करते हुए नवीन कार्यकारिणी एवं सतना में आयोजित होने वाले राज्य सम्मेलन हेतु प्रतिनिधियों का चुनाव किया गया तथा हाल ही में दिवंगत हुए प्रख्यात कवि एवं प्रलेस के अध्यक्ष मंडल के सदस्य चंद्रकांत देवताले के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
बैठक के आरंभ में इकाई के सचिव श्री रामनारायण पांडेय ने आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला तथा इकाई की सक्रियता बढ़ाने पर बल दिया।
सत्यम सत्येन्द्र पाण्डेय ने प्रगतिशील लेखक संघ के लखनऊ अधिवेशन में पारित घोषणा पत्र और संविधान की मूल बातों पर चर्चा की। साहित्य सिर्फ कला और मनोरंजन की वस्तु नही बल्कि मनुष्य की मुक्ति और मानवता का सौंदर्यबोध है। आज के समय मे कला के सभी माध्यमों के समक्ष खतरे हैं और मनुष्य का शोषण अपने चरम पर है। इसलिये हमे न केवल अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी बल्कि जिनके हक़ में अभिव्यक्ति है उन वंचित तबकों पर ही रहे अत्याचार और सत्ता की फासीवादी प्रवर्तियो के खिलाफ भी लड़ाई लड़नी होगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता विजेन्द्र सोनी  ने कहा कि लेखको और कलाकारों का सक्रिय संगठन समाज और राजनीति की शुचिता के लिए भी आवश्यक है। आज के सत्ताधारियों ने ज्ञान और साहित्य के खिलाफ हमला बोल दिया है। साहित्य का मार्गदर्शन अस्वीकार कर पूंजीवादी राजनीति आवारा हो गई है। संविधान खतरे में है। आज कलाकारों का संगठित होना सर्वाधिक जरूरी काम है।
इकाई की सक्रियता को बढ़ाने के लिए सभी साथियों ने अपनी सदस्यता का नवीनीकरण कराया और  व्यापक विचार विमर्श उपरांत तय किया कि प्रत्येक माह गोष्ठी आयोजित की जाएगी जिसमें रचनापाठ के अतिरिक्त मौजूदा ज्वलंत प्रश्नों पर भी विमर्श किया जाएगा। मुक्तिबोध जन्म शती वर्ष पर कार्यक्रम करने के बारे ने भी विचार किया गया।
इकाई की नवीन कार्यकारिणी का भी सर्वसम्मति से निर्वाचन किया गया जिसमें श्री गिरीश पटेल, अध्यक्ष, श्रीमती सुधा शर्मा उपाध्यक्ष, श्री रामनारायण पांडेय सचिव, श्री दीपक अग्रवाल सह सचिव तथा डॉ किरण सरावगी कोषाध्यक्ष की जिम्मेवारी हेतु चुने गए। निर्वाचित कार्यकारिणी सदस्यों में सर्वश्री विजेन्द्र सोनी, बाल गंगाधर सिंह सेंगर, उमेश सिंह, नीरज श्रीवास्तव और पवन छिब्बर शामिल हैं।

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