कुपोषित माँ - नौनिहालों एवं मरीजों के निवाले में ही रही कटौती
मामला जवा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का, कुपोषितों के निवाले पर भी होती है कटौती, मरीजों को दिया जाता है घटिया भोजन
एमपी ऑनलाइन न्यूज़ रिपोर्टर राहुल तिवारी
रीवा (जवा) : वैसे तो जवा में जनता के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए सरकार ने तीस बिस्तरों का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल संचालित कर रखा है जहाँ तीन डांक्टर सेवा देने को पदस्थ हैं ।कुपोषित बच्चों एवं माताओं के कुपोषण दूर करने के लिए पोषण पुनर्वास केन्द्र भी खोल रखा है।परंतु उनके भोजन व्यवस्था को बीएमओ का ग्रहण लगा हुआ ।
हमारे जवा संवाददाता राहुल तिवारी ने सामाजिक कार्यकर्ताओं त्रिवेणी सिंह तरुणेन्द्र द्विवेदी की उपस्थिति में मरीजों एवं कुपोषित माताओं एवं बच्चों की व्यवस्था देखने जवा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं पोषण पुनर्वास केन्द्र का दौरा किया तो जो हकीकत सामने आई वह सरकार की मंशा को नकारती नजर आती है और इस अव्यवस्था का जिम्मेदार सीधे बीएमओ डॉ एन के पाण्डेय को बताया जाता है ।
जवा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में मरीजों को चावल मूंग की दाल एवं आलू की पानी पानी सब्जी परोसी पाई गई ।मरीजों को जिनमें ज्यादातर प्रसव उपरांत धात्री माताएँ होती हैं उन्हें नास्ते तक में दूध नही दिया जाता।चाय से नास्ते की औपचारिकता निभाई जाती है।इससे भी बदतर हालत पोषण पुनर्वास केन्द्र की सामने आई।शासन ने भविष्य की चिंता कर कुपोषण से नौनिहालों माताओं को मुक्त कराने के लिए पोषण पुनर्वास केन्द्र खोल रखा है और इसको संचालित रखने के लिए भरपूर बजट उपलब्ध कराती है। यहाँ तक की कुपोषण के शिकार बच्चों के माताओं को 120 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 21 दिनों की मजदूरी तथा 100 रुपये परिवहन भत्ता के रूप में शासन प्रदान करती है।
परंतु कुपोषण दूर करने के लिए दिए जाने वाले आहार में बीएमओ के निर्देशन में जारी कटौती व्यवस्था को शर्मसार करती हैं ।
पोषण पुनर्वास केन्द्र में कुपोषितों को मानक स्तर का भोजन नही दिया जा रहा है।तेरह कुपोषित भर्ती बच्चों की माताओं के भोजन में आलू की रसेदार सब्जी घटिया किस्म का चावल और पानी पानी मूँग की दाल परोसी पाई गई।जब नास्ते की बात पूंछी गई तो महिलाओं ने बताया पोहा चाय मिलती है।एक पाव दूध मिलने की बात पूंछने पर सभी महिलाओं ने बताया दूध तो कभी नही मिलता।जबकी दर्ज भोजन नास्ते की सूची में एक पाव दूध दर्ज है।
जब कुपोषण के जिम्मेदार आहार व्यवस्था की पड़ताल की गई तो पता चला पहले एक समूह द्वारा भोजन व्यवस्था की जा रही थी।जो बीएमओ और अन्य अधिकारियों के डर से कुछ ठीक व्यवस्था कर रहा था।परंतु जबसे भोजन व्यवस्था बीएमओ डॉ पाण्डेय ने अपने देख रेख में शुरू किया तब से भोजन इसी तरह परोसा जा रहा है।
अब सवाल उठता है की अगर ऐसे भोजन से कुपोषण दूर होता तो क्या ये बच्चे और उनकी माताएँ कुपोषण की शिकार होती ? अगर नही तो क्यों ऐसा घटिया आहार बीएमओ परोसवा रहे हैं ? जब इतने घटिया भोजन की व्यवस्था पोषण पुनर्वास केन्द्र में की जा रही है तो किसका कुपोषण दूर हो रहा है ? बीएमओ की ऐसी घटिया सोच और कृत्य के जांच की माँग त्रिवेणी सिंह ने करते हुए कहा कुपोषितों और मरीजों का हक हर हाल में मिलना चाहिए ।साथ ही इनके स्वास्थ्य और भोजन से अपना कुपोषण दूर कर रहे बीएमओ को कड़ा से कड़ा दण्ड दिया जाना चाहिए।अगर अब भी शासन प्रशासन नही जागा तो पीड़ितों के हक की रक्षा के लिए आमरण अनशन पर बैठने को मजबूर हो जाऊँगा ।
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