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चित्रकूट सीट जीतने की तैयारी कर रही भाजपा

चित्रकूट। कांग्रेस के कब्जे वाली चित्रकूट सीट को हथियाने के लिए भाजपा ने तैयारी तेज कर दी है। यहां पार्टी ने सर्वे भी करा लिया है। चित्रकूट सीट अब तक सिर्फ एक बार भाजपा के कब्जे में रही है, बाकी समय वहां कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। यही वजह है कि पार्टी चित्रकूट को हथियाने के लिए भरसक कोशिश कर रही है।

भाजपा के लिए चित्रकूट में एक नहीं कई चुनौतियां हैं। सबसे पहली चुनौती प्रत्याशी चयन की है। वहां दीनदयाल शोध संस्थान होने से टिकट चयन में उसकी भूमिका को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है। फिलहाल पार्टी ने जो सर्वे करवाया है उसमें पूरी तरह से माहौल अनुकूल नहीं पाया गया है। कांग्रेस के पक्ष में जहां सहानुभति है, वहीं भाजपा के सामने प्रत्याशी का चेहरा सहित एंटीइनकमबेंसी को भी महत्वपूर्ण आंका गया है।

इस विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा को सिर्फ एक बार विजय मिली है। भाजपा की टिकट पर सुरेंद्र सिंह गहरवार ने एक बार चुनाव जीता था, जो पिछले विधानसभा चुनाव 2013 में कांग्रेस के प्रेमसिंह से हार गए थे। इस बार भी गहरवार सशक्त दावेदार हैं। उनका क्षेत्र में जीवंत संपर्क है। वे पिछला चुनाव भी बहुत कम वोटों से हारे थे। भाजपा के पास दो अन्य दावेदार भी हैं।

इनमें से एक हैं चित्रकूट में ही उपपुलिस अधीक्षक रहे पन्नालाल अवस्थी, कुछ दिनों पहले फेसबुक पर उन्होंने लिखा था कि मौका 'मिला तो चुनाव जरूर लड़ूंगा"। इसके बाद ही अवस्थी चर्चा में आए और फिर वीआरएस लेकर चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। अवस्थी का इस क्षेत्र के आदिवासी-दलित वोटों पर अच्छा प्रभाव है। गरीबों की मदद करने के कारण उन्हें कंबल वाले बाबा के नाम से जाना जाता है।

चित्रकूट स्थित दीनदयाल शोध संस्थान (डीआरआई) में कार्यरत रहे भरत पाठक या उनकी पत्नी नंदिता पाठक को भी टिकट का दावेदार माना जा रहा है। नंदिता इस समय केंद्रीय मंत्री उमा भारती की ओएसडी हैं। माना जा रहा है कि डीआरआई को भी भाजपा दरकिनार नहीं कर सकती है।

पिछले चुनाव में भी पाठक के लिए सतना लोकसभा सीट मांगी गई थी। डीआरआई का स्थानीय लोगों में भी अच्छा प्रभाव है। नानाजी देशमुख की कर्मस्थली होने और संघ से नजदीकी होने के कारण डीआरआई की राय भी भाजपा के लिए अहम होगी।

उत्तरप्रदेश से लगा होने के कारण चित्रकूट में समाजवादी पार्टी के रोल को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। क्षेत्र में यादव वोटों की भी बहुत संख्या है, जिसके चलते सपा ने यादव प्रत्याशी उतार दिया तो भाजपा के लिए दिक्कत खड़ी हो जाएगी।

भाजपा के सह संगठन महामंत्री अतुल राय के लिए चित्रकूट उपचुनाव किसी परीक्षा से कम नहीं है। राय अब तक महाकोशल के प्रभारी थे। विन्ध्य भी उन्हीं के प्रभार में था। इस नाते चित्रकूट की रणनीति में उनका अहम रोल रहेगा।

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