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तीन साल में सबसे उच्चतम दामों पर पहुंचा पेट्रोल-डीजल के दाम


भोपाल। मध्यप्रदेश में पेट्रोल और डीजल के दिनोंदिन बढते दामों ने सरकार के खाली खजाने को भरा हो, लेकिन आम आदमी की जेब को खासी ढीला करवा दिया है। केंद्र सरकार की जून माह में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को अंर्तराष्टीय बाजार में तय होने वाली कीमतों से जोडने के चलते मध्यप्रदेश में पेट्रोल और डीजल के दाम तीन माह में दस रूपए प्रति लीटर तक बढ गए हैं। खामोशी से बढे पेट्रोल और डीजल के दामों ने आम आदमी को इतना महसूस भी नहीं होने दिया कि उसकी घर का बजट कितना बिगडने वाला हैं 

79 रूपए लीटर हुआ पेट्रोल तो डीजल हुआ 64 रूपए लीटर 

केंद्र सरकार के इस निर्णय से पेट्रोलियम प्रदार्थो रोजाना अप डाउन होने लगे। आज पेट्रोल के रेट बढकर 79 रूप्ए लीटर तक पहुंच गए है। यह पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा है। जून से पेटोल डीजल के दामों में लगभग रोज बढोत्तरी हो रही है। दाम दस से लेकर 35 पैसे तक रोज बढाए जा रहे हैं। आज पावर पेटोल 79 रूप्ए तो साधारण पेटोल के दाम 76 रूप्ए 25 पैसे तक पहुंच गए है। वहीं जुलाई में 59 रूप्ए 35 पैसे बिकने वाला डीजल आज 64 रूप्ए 13 पैसे प्रति लीटर हो गया हैं गौरतलब है कि एक जुलाई को पेटोले के दाम 69.67 पैसे थे। 

राज्य सरकार के वैट के बोझ ने कमर तोडी

अपने खाली खजाने को भरने के लिए सरकार ने पेट्रोलियम प्रदार्थो पर वैट की दर बढाने मे कोई कसर नहीं छोडी। वैट की दर भी प्रदेश में सर्वार्धिक है, जिसकी वजह से आम उपभोक्ताओं पर इसकी दोहरी मार पड रही हैं। मप्र सरकार पेट्रोल पर 31 प्रतिशत वैट और 4 रुपए प्रति लीटर अलग से टैक्स लेती है। वहीं डीजल पर 27 प्रतिशत वैट और डेढ़ रुपए प्रति लीटर टैक्स अतिरिक्त लिया जा रहा है। इस दर के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित टांसपोर्ट व्यवसायी है। इसको लेकर यह वर्ग सरकार से ​भी मिल चुका है, लेकिन सरकार ने इस मामले मे कोई निर्णय नहीं लिया। 

पूर्व मुख्यमंत्री भी लिख चुके है वित्त मंत्री को पत्र

प्रदेश में पडोसी राज्यों के मुकाबले अधिक दर पर पेट्रोलियम प्रदार्थो के दाम होने के चलते पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने वित्त मंत्री जयंत मलैया को पत्र लिख चुके ​है। गौर ने सलाह देते हुए कहा है कि प्रदेश में लागू कर व्यवस्था की फिर समीक्षा होनी चाहिए| इस व्यवस्था ने प्रदेश में दोनों पेट्रोलियम पदार्थों की कीमर को सर्वाधिक कर दिया है| गौर हमला बोलते हुए कहा है कि इस व्यवस्थान से पेट्रोलियम पदार्थ विक्रेताओं का धंधा चौपट कर दिया है| प्रदेश में महंगाई दर का बढ़ना भी इस खामी का परिणाम है| इससे पहले भी सरकार पर गौर कई बार हमला बोल चुके हैं |   

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