नोटबंदी के कारण पढ़ाई छोड़ने को मजबूर CM शिवराज की एक 'भांजी'
बैतूल। आठ नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी को भले ही 10 माह बीत गए हों। लेकिन इसका असर अब भी देखने को मिल रहा है। इसी नोटबन्दी का शिकार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक 'भांजी' हुई है। जो नोटबन्दी के कारण पढ़ाई छोड़ने को मजबूर है।
पैसा हर किसी की जरूरत है। अक्सर देखा जाता है कि लोग पैसा नहीं होने से परेशान रहते हैं, लेकिन बैतूल जिले के मुलताई में मामला उलटा है। यहां पर एक किसान परिवार के पास करीब ड़ेढ़ लाख रुपए की नकदी है। इसके बाद भी वह पिछले सात दिन से भटक रहा है। नोटबंदी के 10 माह बाद एक किसान के परिजन 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट को लेकर परेशान हैं। जिनकी कीमत करीब डेढ़ लाख रुपए है।
हुआ यूं कि सितंबर 2016 में तिवरखेड़ निवासी किसान रामजी लकवा से पीड़ित हो गया था। जिस कारण वह चलने फिरने में असमर्थ हो गया था। इसके बाद फरवरी 2017 में उनकी मौत हो गई थी। अभी एक हफ्ते पहले एक कार्यक्रम के लिए उसका बेटा कोठी से गेंहू निकाल रहा था, तब उसमें 1 लाख 46 हजार रुपए के पुराने 1000 एवं 500 रुपए के नोट निकले। इस बीच नबंवर में नोटबंदी होने के कारण और किसान के लकवागस्त होने के कारण परिवार वालों को रुपए की जानकारी नहीं लग सकी थी, जिस कारण नोट नहीं बदले जा सके।
नोट मिलने के बाद किसान के पुत्र पुरूषोत्तम ने इसका पंचनामा तिवरखेड़ पंचायत से बनवाया, तथा नोट बदलने नागपुर के लिए सीधे आरबीआई से संपर्क किया। जहां आरबीआई ने भी सिर्फ एनआरआई के ही नोट बदल सकने की बात कही। हर जगह गुहार लगाने के बाद परेशान पुरूषोत्तम एवं उसके परिवार वाले कलेक्टर शशांक मिश्र से मिले। वहां भी उन्हें निराशा मिली और कलेक्टर ने भी असमर्थता जता दी।
पुराने नोट नहीं बदल पाने के कारण पूरे परिवार पर इसका असर देखने को मिल रहा है। मृतक किसान की तेहरवीं के खर्च से पूरा परिवार कर्जदार हो गया है। पुरूषोत्तम कुंभारे ने बताया कि उसकी बहन इंदौर में 12वीं की पढ़ाई कर रही है, उसकी भी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। उन्होंने बताया कि नोट नहीं बदलवाने के कारण से लेकर समस्त दस्तावेज भी बताए गए, लेकिन इसके बावजूद कुछ नहीं हो पाया है।
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