सिक्के नहीं ले रहे दुकानदार, हो रही नोकझोंक
एमपी ऑनलाइन न्यूज़
रीवा (जवा), राहुल तिवारी
नोटबंदी की मार झेल चुकी आम जनता व दुकानदारों को अब दस, पांच, दो व एक रुपये के सिक्के को लेकर काफी परेशानी का समना करना पड़ रहा है। इसको लेकर दुकानदारों व ग्राहकों में अक्सर तू तू-मैं-मैं होती रहती है। अगर प्रशासन समय रहते इसका निदान नहीं निकालता है तो दुकानदारों व ग्राहकों के बीच कभी भी कोई भयानक घटना घटित हो सकती है। दुकानदारों का कहना है कि नोटबंदी के दौरान बैंकों द्वारा काफी मात्रा में उपभोक्ताओं को दस, पांच, दो का सिक्का दिया गया। जो ग्राहकों द्वारा दुकानदारों को देने से आज दुकानदारों के पास काफी मात्रा में इकट्ठा हो गया है इससे दुकानदार परेशान हैं। आज दुकानदारों की स्थिति यह है कि बड़े दुकानदार जहां से माल खरीदकर लाते हैं वे सिक्का ले नहीं रहे हैं। जबरन सिक्का देने पर माल रोक देते हैं। इससे दुकानदारों को दुकान चलाने में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। वहीं बैंक भी सिक्का नहीं ले रहे हैं। अगर बैंक वाले सिक्का जमा करते तो आज यह नौबत नहीं आती। वहीं आम जनता का कहना है कि पैसा रहते हुए भी दुकानदार सिक्का देखकर दिया हुआ समान वापस ले लेते हैं। पैसा रहते हुए भी आज भूखे मरने की नौबत आ गई है। सरकार द्वारा दिया गया पैसा न पेट्रोल पंप वाले ले रहे हैं न कोई दुकानदार। ऐसी स्थिति में हम कहां जाएं। अगर प्रशासन इस पर जल्द से जल्द कोई निर्णय नहीं लेता है तो जनता के सामने विकट समस्या खड़ी हो जाएगी।
बैंक की ना-नुकुर से ग्राहक सकते में
एक हजार व पांच सौ की नोटबंदी को लेकर बैंकों से पैसों के भुगतान को लेकर मची किल्लत को संभालने वाले सिक्के मौजूदा समय में लोगों के लिए भारी मुसीबत का सबब बन गए हैं। बाजार में लेन-देन के लिए चल रहे सिक्कों को अधिकांश बैंक मौजूदा समय में व्यापारियों व आम लोगों से जमा के रूप में लेने से ना-नुकुर करने लगे हैं। बैंकों द्वारा सिक्का नहीं लेने के कारण व्यापारी अपने पास पड़े सिक्कों को अधिक से अधिक ग्राहकों को देकर खपाने में लगा है, वहीं ग्राहक उनसे सिक्का नहीं ले रहे हैं। इस विषम परिस्थिति में बाजार में खरीद-फरोख्त पूरी तरह से प्रभावित होने लगी है। वर्तमान समय में सिक्कों के प्रति राष्ट्रीयकृत बैंकों में उपेक्षा के कारण लोगों के लिए भारी मुसीबतों का कारण बन गया है।
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