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कटनी : अर्से बाद जगी डेयरी विस्थापन की उम्मीद


शहर में आधा सैकड़ा छोटी-बड़ी डेयरियों से फैल रहा है प्रदूषण
कटनी : सूबे के राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता की डेयरियों के विस्थापन के लिये हालिया पहल के बाद मिली कैबिनट की मंजूरी से नगर में दशको से हटाये जाने की बाट जोह रही छोटी बड़ी एक सैकड़ा डेयरियों के विस्थापन की उम्मीद जगी है। साल  2009 में नगर में यह योजना बनने के बाद आज तक अमल में नही आ सकी है। जिससे रिहायशी क्षेत्रो में डेयरियों के संचालन से भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। अब शासन की रूचि के बाद इस दिशा में सार्थक प्रयास की उम्मीद है। 

गौरतलब है कि सीएम की अध्यक्षता में हुई कैबिनट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है कि शहरो में संचालित डेयरियों के लिये राजस्व विभाग स्थानीय आवश्यकता के अनुसार नगरीय विकास एवं आवास विभाग को जमीन आवंटित करेगा। उसी जमीन को विकसित करके संबन्धित निकाय डेयरी का विस्थापन करेगे। इस फैसले से अब नगर में जल्द कायर्वाही की अपेक्षा की जा रही है। वैसे भी यहां आधी अधूरी प्रक्रिया पहले ही पूरी कर ली गई थी सिर्फ अफसर और जनप्रतिनिधियों की सुस्ती के चलते पिछले 8 सालों फाइल अधर में लटकी है। 

पड़रिया  में चिन्हित है जमीन
उल्लेखनीय है कि शहर में एक सैकड़ा से अधिक डेयरियों है। इन डेयरियों का संचालन रहवासी क्षेत्रो में नगर निगम सीमार्न्गत किया जा रहा है। रहवासी क्षेत्रो से डेयरियों के विस्थापन करेन के लिये साल 2009 में नगर निगम ने योजना तो बनाई थी लेकिन  आज तक इस योजना को मूर्त रूप नही दिया जा सका है। पिछले साल ही कलेक्टर गढ़पाले के निर्देश पर गा्रम पंचायत पड़रिया में जमीन चिन्हित करते हुये महापौर, तहसीलदार, एसडीएम सहित अन्य अधिकारियों द्वारा मौका मुआयना किया गया था। लेकिन चिन्हाकन के बाद जमीन का आवंटन, नापजोख,  सहित अन्य प्रक्रियाओं की फाइल निगम कार्यालय से बाहर नही निकल पा रही है। 

पहले जुहली में था प्रस्ताव
साल 2009 में डेयरियों के विस्थापन करने के लिये तत्कालीन महापौर और वतर्मान विधायक संदीप जायसवाल के कायर्काल में डेयरियों को जुहला, जुहली में व्यवस्थित करने की योजना तैयार की गई थी। इसी साल जुहला, जुहली कैलवारा पौसरा सहित अन्य स्थानों में जमीन देखने  और और दिखाने की पक्रिया में ही 7 साल का समय निकाल दिया। पिछले साल कलेक्टर के निर्देश पर जमीन तो चिन्हित की गई लेकिन विस्थापन की प्रक्रिया तब भी आगे नही बढ़ पा रही है। 

ये है परेशानी
शहरी क्षेत्र में डेयरी के संचालन ने एक नही अनेक तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या उस क्षेत्र के वांशिदो की है जहां डेयरी संचालित है। डेयरी की वजह से न सिर्फ आसपास गोबर, मूत्र व कचरे की गंदगी से लोगो का रहना मुहाल हो रहा है बल्कि डेयरी की इन भैसो या गायो को जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है  तो हर समय जाम की स्थिति बन जाती है। डेयरियों की साफ सफाई के  दौरान गोबर निकलने, गोबर को टाली में भरकर बाहर ले जाने या वही पर जमा करने से बदबू के अलावा जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है। बारिश के दिनों में गंदगी तो दोगुना बढ़ती ही है उपर से मक्खी, मच्छरो की फौज जमा हो जाती है। इन तमाम परेशानियो के मददेनजर डेयरियों का विस्थान जल्द ही आवश्यक है। 
इस दिशा में समन्वित प्रयासों की दरकार है। 

इन क्षेत्रों में है डेयरियां 
नगर के गांधीगंज, नदीपार, बरगंवा, खिरहनी फाटक व खिरहनी गांव, झर्रा टिकुरिया, बजरंग कालोनी एनकेजे आदि में डेयरियां संचालित है। एक बड़ी डेयरी में औसत 100 मध्यम स्तर की डेयरी में 30 और छोटे स्तर की डेयरी में 10 मवेशी रखे जाते है। एक अनुमान के अनुसार यहां करीब 10 बड़ी, 10 मध्यम और आधा सैकड़ा के आसपास छोटी डेयरियां संचालित है। इन सभी डेयरियों में डेढ़ हजार के आसपास मवेशियों की संख्या है। 

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