प्राइवेट हॉस्पिटल में डॉक्टर्स की हड़ताल के चलते सरकारी अस्पतालों में चक्कर काटते नजर आए VIP मरीज
भोपाल। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आव्हान पर आज राजधानी में प्रायवेट अस्पताल, नर्सिंग होम और क्लीनिक की ओपीडी बंद कर दी गई। इससे प्रायवेट अस्पतालों में इलाज कराने वाले करीब 15 हजार अतिरिक्त मरीजों को आज शहर के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में लाइन में लगकर अपना इलाज कराना पड़ा। इस बीच कई वीआईपी भी परिजन व खुद के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में लाइन में लगकर पर्चा बनवाया, इलाज के बाद दवा लेने के लिए भी कतार में खड़े रहे।
राजधानी के करीब ढाई सौ से ज्यादा अस्पताल और नर्सिंग होम और करीब एक हजार क्लीनिक्स में सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक ओपीडी को बंद रखा गया। साधारण दिनों के मुकाबले आज सरकारी अस्पतालों में दिन की ओपीडी में ज्यादा भीड़ नजर आई। शहर के जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, गैस राहत अस्पताल, सिविल अस्पताल और हमीदिया अस्पताल के साथ-साथ भोपाल एम्स में भी मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।
आईएमए भोपाल के सचिव डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि सरकार द्वारा मेडिकल कौंसिल आॅफ इंडिया की जगह नेशनल मेडिकल कमिशन को लाने की तैयारी चल रही है। इस आयोग का गठन होता है तो मेडिकल एजुकेशन सिस्टम, इंजीनियरिंग की तरह बर्बाद हो सकता है। इसमें सबसे बड़ी खामी यह है कि आयोग में ब्यूरोक्रेट्स और राजनीति से जुड़े लोगों को नॉमिनेट कर दिया जाएगा। दूसरी ओर पांच साल की पढ़ाई करने के बाद डॉक्टर को एक्जिट एक्जाम कराया जाएगा फिर उसे रजिस्ट्रेशन दिया जाएगा।
मप्र नर्सिंग होम एसोसिएशन के वॉइस प्रेसीडेंट डॉ. नरेन्द्र सिंह ने बताया कि आईएमए के समर्थन में आज हम सभी ओपीडी में इलाज बंद कर रहे हैं। मरीज को परेशान करना हमारा मकसद नहीं है। सरकार तक हमारी बात को पहुंचाने के लिए इस तरह ओपीडी बंद करने का निर्णय लिया गया है। इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी।
राजधानी के करीब ढाई सौ से ज्यादा अस्पताल और नर्सिंग होम और करीब एक हजार क्लीनिक्स में सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक ओपीडी को बंद रखा गया। साधारण दिनों के मुकाबले आज सरकारी अस्पतालों में दिन की ओपीडी में ज्यादा भीड़ नजर आई। शहर के जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, गैस राहत अस्पताल, सिविल अस्पताल और हमीदिया अस्पताल के साथ-साथ भोपाल एम्स में भी मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।
आईएमए भोपाल के सचिव डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि सरकार द्वारा मेडिकल कौंसिल आॅफ इंडिया की जगह नेशनल मेडिकल कमिशन को लाने की तैयारी चल रही है। इस आयोग का गठन होता है तो मेडिकल एजुकेशन सिस्टम, इंजीनियरिंग की तरह बर्बाद हो सकता है। इसमें सबसे बड़ी खामी यह है कि आयोग में ब्यूरोक्रेट्स और राजनीति से जुड़े लोगों को नॉमिनेट कर दिया जाएगा। दूसरी ओर पांच साल की पढ़ाई करने के बाद डॉक्टर को एक्जिट एक्जाम कराया जाएगा फिर उसे रजिस्ट्रेशन दिया जाएगा।
मप्र नर्सिंग होम एसोसिएशन के वॉइस प्रेसीडेंट डॉ. नरेन्द्र सिंह ने बताया कि आईएमए के समर्थन में आज हम सभी ओपीडी में इलाज बंद कर रहे हैं। मरीज को परेशान करना हमारा मकसद नहीं है। सरकार तक हमारी बात को पहुंचाने के लिए इस तरह ओपीडी बंद करने का निर्णय लिया गया है। इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी।
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