न्यायालय के आदेश के बाद अनर्गल बयान देकर राजनीति के स्तर को गिरा रहे हैं तेजस्वी : भाजपा
रांची : भारतीय जनता पार्टी ने आज यहां आरोप लगाया कि चारा घोटाले में जेल में बंद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के छोटे पुत्र एवं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव न्यायालय के आदेश के बाद अनर्गल बयान देकर राजनीति के स्तर को गिरा रहे हैं। भाजपा के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश ने आज तेजस्वी यादव के उस बयान की निंदा की जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि जिस प्रकार चारा घोटाले और अन्य मामलों में भाजपा और केन्द्र सरकार लालू यादव और उनके परिजनों के खिलाफ लगी हुई है उससे उन्हें आशंका है कि ‘लालू यादव की जान को खतरा है।’ साथ ही दीपक प्रकाश ने कहा कि इस तरह के अनर्गल बयान देकर तेजस्वी यादव राजनीति के स्तर को गिरा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव स्वयं बिहार के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं और उन्हें पता होना चाहिए कि देश में अदालतें संविधान और कानून के तहत स्वतंत्र कार्य करती हैं और उनके फैसले व्यक्ति के कृत्यों पर आधारित होते हैं। ऐसे में यदि आज लालू यादव को चारा घोटाले के एक मामले में सीबीआई अदालत ने 14 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनायी है तो यह लालू यादव की करनी की भरनी है। इसके चलते लालू यादव की जान को यकायक खतरा कैसे हो गया?
दीपक प्रकाश ने कहा, ‘‘तेजस्वी और राजद निश्चित रहे, झारखंड में भाजपा का सुशासन है और यहां नियमों के तहत लालू यादव को हर तरह की सुरक्षा प्रदान की जा रही है और आगे भी प्रदान की जायेगी। ’’
इससे पूर्व आज तेजस्वी यादव ने चारा घोटाले में लालू के खिलाफ अदालत का फैसला आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में कहा था, ‘‘जिस प्रकार भाजपा और उसकी राज्य तथा केन्द्र की सरकारें लालू और उनके परिजनों के खिलाफ राजनीतिक विद्वेष से जुटी हुई हैं उससे उन्हें लगता है कि लालू की जान को खतरा है।’’
इससे पहले आज यहां बिरसा मुंडा जेल में बंद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव एवं उनकी पार्टी को आज उस समय तगड़ा झटका लगा जब यहां विशेष सीबीआई अदालत ने दुमका कोषागार से तीन करोड़, तेरह लाख रुपये का गबन करने के चौथे मामले में भी 14 वर्ष के सश्रम कारावास एवं साठ लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी । साथ ही अदालत ने इस मामले में लालू समेत सभी आरोपियों द्वारा वर्ष 1990 के बाद से अर्जित सभी संपत्तियों की जांच करने और उनकी जब्ती की कार्रवाई के भी निर्देश दिये।
केन्द्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत के न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को भारतीय दंड संहिता की आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, जालसाजी एवं सरकारी पद के दुरुपयोग से जुड़ी धाराओं 120बी, 409, 420, 467, 468, 471 एवं 477 के तहत जहां सात वर्ष के सश्रम कारावास एवं तीस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी वहीं न्यायाधीश ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) सी एवं डी एवं 13(2) के तहत भी लालू यादव को सात वर्ष कैद, एवं तीस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी।
अदालत ने यह भी आदेश दिये कि लालू यादव की दोनों सजायें इस मामले में एक के बाद एक चलेंगी जिसके चलते इस मामले में लालू यादव की कुल सजा 14 वर्ष का सश्रम कारावास एवं साठ लाख रुपये जुर्माना हो जायेगा। जुर्माना न देने की स्थिति में लालू यादव को दोनों ही कानूनों के तहत एक-एक वर्ष की और कैद काटनी होगी अर्थात् उन्हें दो वर्ष की अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव स्वयं बिहार के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं और उन्हें पता होना चाहिए कि देश में अदालतें संविधान और कानून के तहत स्वतंत्र कार्य करती हैं और उनके फैसले व्यक्ति के कृत्यों पर आधारित होते हैं। ऐसे में यदि आज लालू यादव को चारा घोटाले के एक मामले में सीबीआई अदालत ने 14 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनायी है तो यह लालू यादव की करनी की भरनी है। इसके चलते लालू यादव की जान को यकायक खतरा कैसे हो गया?
दीपक प्रकाश ने कहा, ‘‘तेजस्वी और राजद निश्चित रहे, झारखंड में भाजपा का सुशासन है और यहां नियमों के तहत लालू यादव को हर तरह की सुरक्षा प्रदान की जा रही है और आगे भी प्रदान की जायेगी। ’’
इससे पूर्व आज तेजस्वी यादव ने चारा घोटाले में लालू के खिलाफ अदालत का फैसला आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में कहा था, ‘‘जिस प्रकार भाजपा और उसकी राज्य तथा केन्द्र की सरकारें लालू और उनके परिजनों के खिलाफ राजनीतिक विद्वेष से जुटी हुई हैं उससे उन्हें लगता है कि लालू की जान को खतरा है।’’
इससे पहले आज यहां बिरसा मुंडा जेल में बंद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव एवं उनकी पार्टी को आज उस समय तगड़ा झटका लगा जब यहां विशेष सीबीआई अदालत ने दुमका कोषागार से तीन करोड़, तेरह लाख रुपये का गबन करने के चौथे मामले में भी 14 वर्ष के सश्रम कारावास एवं साठ लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी । साथ ही अदालत ने इस मामले में लालू समेत सभी आरोपियों द्वारा वर्ष 1990 के बाद से अर्जित सभी संपत्तियों की जांच करने और उनकी जब्ती की कार्रवाई के भी निर्देश दिये।
केन्द्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत के न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को भारतीय दंड संहिता की आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, जालसाजी एवं सरकारी पद के दुरुपयोग से जुड़ी धाराओं 120बी, 409, 420, 467, 468, 471 एवं 477 के तहत जहां सात वर्ष के सश्रम कारावास एवं तीस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी वहीं न्यायाधीश ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) सी एवं डी एवं 13(2) के तहत भी लालू यादव को सात वर्ष कैद, एवं तीस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी।
अदालत ने यह भी आदेश दिये कि लालू यादव की दोनों सजायें इस मामले में एक के बाद एक चलेंगी जिसके चलते इस मामले में लालू यादव की कुल सजा 14 वर्ष का सश्रम कारावास एवं साठ लाख रुपये जुर्माना हो जायेगा। जुर्माना न देने की स्थिति में लालू यादव को दोनों ही कानूनों के तहत एक-एक वर्ष की और कैद काटनी होगी अर्थात् उन्हें दो वर्ष की अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी।
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