बिरसिंहपुर : जहां पुलिस ने पकड़ी थी अफीम की खेती, वहां सरकारी रिकॉर्ड में बोया था गेहूं
सतना (बिरसिंहपुर)। सभापुर पुलिस ने जिस जगह अफीम की खेती का मामला उजागर किया, वहां सरकारी रिकार्ड में गेहूं और राई की फसल बोई गई थी। इसको लेकर शासकीय रिकार्ड संधारित किए गए थे। यानी रिकार्ड में जानबूझकर गड़बड़ी गई थी। दरअसल, राजस्व नियमों की बात करें तो शासन स्तर पर खेतों में फसल को लेकर हर साल सर्वे होता है।
पटवारी स्वयं मौके पर जाकर रिकॉर्ड संधारित करता है। ताकि, सूखा व पाला सहित आपदा की स्थिति में कभी शासन स्तर पर मुआवजा आदि देने का मामला सामने आता है तो भौतिक सत्यापन करते हुए कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सके। सभापुर के अफीम की फसल मामले में यह रिकार्ड संधारण पर सवाल खड़े हो गए हैं।
सात एकड़ जमीन
पुलिस ने सभापुर क्षेत्र के रइया गांव की आराजी 462 में 13 मार्च को कार्रवाई की थी। ये करीब 7 एकड़ की आराजी है। इसमें एक दर्जन हिस्सेदार हैं। लेकिन, जिस हिस्से में अफीम बोई गई थी, उस हिस्से का स्वामित्व छेदीलाल सिंह के नाम पर दर्ज है।
गेहूं और राई की फसल का जिक्र
जो आरोपी सुरजीत सिंह उर्फ सूरज सिंह के बाबा हैं। अब राजस्व रिकार्ड की बात की जाए तो पटवारी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में मौके पर गेहूं और राई की फसल का जिक्र है। यानी व्यवाहारिक स्थिति में मौके पर अफीम की खेती हो रही थी और शासन के रिकार्ड में गेहूं और राई दर्ज था।
पटवारी के सत्यापन पर सवाल
सामान्यत: पटवारी मौके पर जाता है वो खेत में खड़े होकर पुष्टि करता है कि फसल बोई गई है कि नहीं? अगर बोई गई है, तो फसल कौन सी है? इस मामले में स्पष्ट है कि पटवारी मौके पर नहीं गया और फर्जी रिपोर्ट भेज दी। या वह गया तो जानबूझकर गलत जानकारी दी ताकि आरोपी को लाभ हो सके। अगर, जानकारी थी, तो पुलिस को सूचना देना चाहिए था।
आराजी नंबर 462 में गेहूं और राई की फसल बोई गई थी। रिकार्ड में दर्ज है। आराजी के कई लोग हिस्सेदार हैं। अफीम की फसल कब बोई गई, मैं यह नहीं बता सकता।
रामदीन त्रिपाठी, पटवारी
अगर, सरकारी राजस्व रिकार्ड में गेहूं और राई की फसल दर्ज है, तो आरआई से प्रतिवेदन लेकर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी।
अजय राज सिंह, तहसीलदार, बिरसिंहपुर
पटवारी स्वयं मौके पर जाकर रिकॉर्ड संधारित करता है। ताकि, सूखा व पाला सहित आपदा की स्थिति में कभी शासन स्तर पर मुआवजा आदि देने का मामला सामने आता है तो भौतिक सत्यापन करते हुए कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सके। सभापुर के अफीम की फसल मामले में यह रिकार्ड संधारण पर सवाल खड़े हो गए हैं।
सात एकड़ जमीन
पुलिस ने सभापुर क्षेत्र के रइया गांव की आराजी 462 में 13 मार्च को कार्रवाई की थी। ये करीब 7 एकड़ की आराजी है। इसमें एक दर्जन हिस्सेदार हैं। लेकिन, जिस हिस्से में अफीम बोई गई थी, उस हिस्से का स्वामित्व छेदीलाल सिंह के नाम पर दर्ज है।
गेहूं और राई की फसल का जिक्र
जो आरोपी सुरजीत सिंह उर्फ सूरज सिंह के बाबा हैं। अब राजस्व रिकार्ड की बात की जाए तो पटवारी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में मौके पर गेहूं और राई की फसल का जिक्र है। यानी व्यवाहारिक स्थिति में मौके पर अफीम की खेती हो रही थी और शासन के रिकार्ड में गेहूं और राई दर्ज था।
पटवारी के सत्यापन पर सवाल
सामान्यत: पटवारी मौके पर जाता है वो खेत में खड़े होकर पुष्टि करता है कि फसल बोई गई है कि नहीं? अगर बोई गई है, तो फसल कौन सी है? इस मामले में स्पष्ट है कि पटवारी मौके पर नहीं गया और फर्जी रिपोर्ट भेज दी। या वह गया तो जानबूझकर गलत जानकारी दी ताकि आरोपी को लाभ हो सके। अगर, जानकारी थी, तो पुलिस को सूचना देना चाहिए था।
आराजी नंबर 462 में गेहूं और राई की फसल बोई गई थी। रिकार्ड में दर्ज है। आराजी के कई लोग हिस्सेदार हैं। अफीम की फसल कब बोई गई, मैं यह नहीं बता सकता।
रामदीन त्रिपाठी, पटवारी
अगर, सरकारी राजस्व रिकार्ड में गेहूं और राई की फसल दर्ज है, तो आरआई से प्रतिवेदन लेकर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी।
अजय राज सिंह, तहसीलदार, बिरसिंहपुर

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