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अमलाई साईडिंग कोल प्रदूषण से बढ़ा बीमारियों का ग्राफ आंदोलनकारियों का प्रषासन नहीं ले रहा सुध

अमलाई साईडिंग कोल प्रदूषण से बढ़ा बीमारियों का ग्राफ


आंदोलनकारियों का प्रषासन नहीं ले रहा सुध

अनूपपुर।प्रदीप मिश्रा 8770089979
 जिले कें अंतिम छोर में बसा कस्बा अमलाई के रेल्वे स्टेषन से सटे यार्ड में पिछले 11 वर्षों से संचालित महावीर कोल बेनीफिकेषन कंपनी जो कि यहाॅ से एसईसीएल के कोयला लेकर के अपने धिरौल स्थित प्लाण्ट से सफाई का नाम देकर पुनः इसे यहीं साईडिंग से देष मतें सप्लाई करता है इस दौरान कोयला लोडिंग व अनलोडिंग के समय जब ट्रकों से रैक में डाला जाता है तो उसके उठने वाले कोयले के कचरों का गुब्बार पूरे आसमान में हैवी ब्लास्टिंग से हुये धंुध को दिखाता है और उसके बाद हवाओं में कोयले के बारिक कण यहाॅ से पाॅच किमी के दायरे में आने वाले लाखों घनी आबादियों के बीच रहवासियों को गंभीर बीमारियों का उपहार पिछले 11 सालों से मुफत बाॅट रहा है। इन बीमारियों में प्रमुख एलर्जी, अस्थमा,दमा, श्वांस रोग,स्नोफिलिया एवं आॅखों के सैकड़ों रोग दे रहा है। इससे प्रभावित अमलाई ,बरगॅवा, बकहो  इंदिरानगर भी नहीं आसपास से सटे विवेकनगर, अमराडण्डी ,धनपुरी नं 3, देवहरा आदि में हवाओं के माध्यम से फैल रहा है। लोग मजबूरन तमाम बीमारियों से संक्रमित होकर मौत के आगोष में ला रहे हैं। इस क्षेत्र की लोगों की औसत आयु घटती जा रही है बच्चे जन्म से ही हिरोषिमा और नागाषाकी की तरह जन्म से ही बीमारी लेकर पैदा हो रहे हैं। आस पास के हरे पेड़,फूल बगीचे इस कोयले के जहरीले जहर से फल देना बंद कर दिये हैं यही नहीं इस कोयले ने आसपास के मंदिरों, गिरजाघरों में भगवान् को अभी अपने आगोष में ले लिया है व मूर्ति पर कालिख हो गई है। आसपास की स्कूलों में नौनिहालों की स्थिति काफी भयावह हो गई है। 50 मीटर पर बसे रेल्वे स्टेशन में उतरने वाले लाखों यात्री अपनी यात्रा के साथ अनजाने में टिकट के साथ बीमारी मुफत लेकर जा रहे हैं। प्रषासन एवं सरकार से सवाल यह भी उठता है सैकड़ो वर्ष से बसा यह घना शहर के हृदय स्थल में मानवीय मूल्यों एवं उनके जीवन के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति मिली कैसे। ऐसा प्रतीत होता है कि निजी लाभ में सारे नियम एवं कानून को किनारे कर तानाशाही तरीके से इस प्लाण्ट को शहर के बीचोबींच स्थापित किया गया है। अनूपपुर शहडोल सड़क मार्ग के  घनी बस्ती के बीच बसा यह साईडिंग आखिर बाॅट रहा बीमारियों पर बड़े उच्चाधिकारी या मंत्रियों की नजर क्यों नहीं पड़ रही है और यदि पड़ रही तो अनदेखी क्यों हो रही है। सवाल यह भी उठता है कि प्रदूषण को लेकर हमारे प्रधानमंत्री या सर्वोच्च न्यायालय एवं देष के विद्वान इतने गंभीर हैं तो आखिर यहाॅ के मालिकानों द्वारा नियम एवं कानूनों की धज्जियां किनके शह पर उड़ाई जा रही है। दिल्ली एवं देष के अन्य महानगरों में वाहनों से निकलने वाली हल्की धुआं पर इतनी कठोर है जबकि उससे सौ गुना यहाॅ कोयले के डस्ट से प्रदूषण बांटा जा रहा है तो क्या किसी कंपनी का निजी हित मानवीय जीवन से अधिक है जनता यह सवाल पूंछ रही है कि प्रषासन इतना संवेदनशील हो सकता है कि यहाॅ के रहवासियों को मिल रही बीमारियों पर सोचने को मजबूर क्यों नहीं है। क्षेत्र के हजारों रहवासी बूढ़े, बच्चे महिलायें विगत 25 फरवरी से इस गेट के सामने शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ प्रदेष के मुखिया सहित देष के लाडले पीएम से इस पर कार्यवाही की माॅग कर रहे हैं। लेकिन जिला प्रषासन की कानों पर जूं तक नहीं रेग रहा है। दिखावे के लिये जिला प्रषासन की तरफ से एसडीएम अनूपपुर ने आंदोलनकारियों के साथ बात करते हुये साफ कहा कि ये हम लोगों के वष की बात नहीं जाॅच करायेगें। अभी तक जिला व संभागीय स्तरीय के प्रषासनिक अधिकारी जनता की इस एक मात्र नारा साईडिंग हटाओ, जीवन बचाओ पर गौर ही नहीं कर रहे हैं। क्या प्रषासन इस बात कर इंतजार कर रहा है कि लोग शांतिपूर्ण आंदोलन की बजाये उग्र आंदोलन पर उतारू हों। पूर्व ज्ञापन में 12 मार्च तक समस्या का निदान नहीं हुआ तो लोग गेट जाम,आमरण अनषन उग्र आंदोलन की बात कह चुके हैं। प्रषासन को समय रहते इस साईडिंग की निष्पक्ष जाॅच कराकर इसे नगर से दूर कर मानव जीवन व उनके हितों की रक्षा करनी चाहिये।

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