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रीवा नगर निगम में बजरंगियों का हंगामा, गौमांस की तस्करी पर किया प्रदर्शन



बजरंगियों ने निगम कार्यालय का गेट बंद कर प्रदर्शन किया, प्रदर्शन के दौरान न तो कर्मचारी बाहर निकल सके और न ही किसी को भीतर जाने दिया

रीवा। नगर निगम के कचरा डंपिंग प्वाइंट कोष्टा में गत दिवस कथित तौर पर पाए गए गौमांस के मामले में बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने जमकर प्रदर्शन किया। निगम कार्यालय पहुंचे बजरंगियों ने दोपहर करीब १२ बजे गेट बंद कर बाहर धरना शुरू कर दिया। इस दौरान किसी भी कर्मचारी को बाहर नहीं निकलने दिया गया और न ही किसी को भीतर जाने की अनुमति दी।

कार्यालय के बाहर करीब चार घंटे से अधिक समय तक धरना-प्रदर्शन और नारेबाजी हुई। इस बीच नगर निगम के अधिकारी गायब रहे जिसके चलते प्रदर्शनकारियों ने और नाराजगी जताई। इनका आरोप है कि गत दिवस नगर निगम के टै्रक्टर क्रमांक एपी 17 ए 6170 में नगर निगम के कर्मचारी गौमांस की बिक्री कर रहे थे। इसी बीच सूचना मिलने पर बजरंग दल ने विरोध जताया और एफआइआर थाने में दर्ज कराई। दूसरे दिन मानस भवन के नजदीक कचरा यार्ड के बाहर भी प्रदर्शन कर जांच की मांग उठाई गई। जिस पर तहसीलदार ने कहा था कि दो दिन के भीतर कार्रवाई होगी लेकिन अब तक किसी तरह से कार्रवाई नहीं की गई है।

आरोप है कि नगर निगम के दो कर्मचारी भी गौमांस की तस्करी में शामिल थे। इसके पहले भी इस तरह से अवैधानिक कारोबार को अंजाम दिया जा रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में बजरंग दल के जिला संयोजक अतुल पाण्डेय, दिव्यांशु गौतम, अंबुज पाण्डेय, भोला तिवारी, नितेश दाहिया, मनोहर ठारवानी, धर्मेन्द्र त्रिपाठी, राजू द्विवेदी, हरिओम तिवारी, गौरव अग्रिहोत्री, विट्टू सेन, सुशील सेन, दुर्गेश, जयनारायण शास्त्री सहित अन्य मौजूद रहे।

एसडीएम और पुलिस बल के साथ पहुंचे आयुक्त
प्रदर्शन कर रहे बजरंग दल के कार्यकर्ताओं से चर्चा के लिए पहले प्रभारी अधीक्षण यंत्री शैलेन्द्र शुक्ला पहुंचे लेकिन उनसे कोई चर्चा के लिए तैयार नहीं हुआ। करीब पांच बजे निगम आयुक्त आरपी सिंह, एसडीएम के साथ पहुंचे। इस बीच निगम स्पीकर सतीश सोनी भी पहुंच गए और उन्होंने भी जांच की बात कही। इस दौरान पुलिस बल भी बुलाया गया था। आयुक्त को पहले निगम के अधिकारियों ने सूचित किया तो वह अकेले आने में टालमटोल करते रहे, इस बात को लेकर अन्य अधिकारियों ने भी मायूषी जाहिर की।

पांच सदस्यीय टीम करेगी जांच
गौमांस की बिक्री के इस मामले में प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया गया है कि पांच सदस्यीय टीम का गठन किया जा रहा है। पूरे मामले की जांच के बाद कर्मचारियों की भूमिका पाई गई तो उन पर कार्रवाई होगी। इस टीम में बजरंग दल के अतुल पाण्डेय और दिव्यांशु गौतम को भी शामिल किया गया है ताकि जांच में पारदर्शिता बनी रहे।

पहले भी निगम कार्यालय में हो चुकी है तालाबंदी
नगर निगम कार्यालय का गेट बंद कर्मचारियों और आम लोगों को रोके जाने का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले पेयजल की समस्या को लेकर कांग्रेस के पार्षदों ने बीते जून महीने में तालाबंदी कर दी थी। दो दिन तक वह निगम कार्यालय में दिन-रात के धरने पर बैठे रहे। उस दौरान भी नगर निगम के आयुक्त कार्यालय छोड़कर चले गए थे और तब तक नहीं आए जब तक कलेक्टर की फटकार नहीं मिली। उस दौरान भी एसडीएम और पुलिस बल को लेकर चर्चा के लिए वह पहुंचे थे। इस पूरे मामले में आयुक्त से भी पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने फिलहाल कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया और कहा कि जांच रिपोर्ट में पूरा खुलासा हो जाएगा।

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