एट्रोसिटी एक्ट का संशोधन समाज को बांटकर उसमें भय फैलाने वाला : हीरालाल त्रिवेदी
बड़नगर : केंद्र सरकार यदि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद एट्रोसिटी एक्ट में मामूली संशोधन कर जो गैर जमानती अपराध है विशेषकर अधिकारी कर्मचारी के मामले, प्रताड़ित करना, जातिगत शब्द कहकर अपमान करना, आदि शब्दों को विलोपित कर, गाली गलोज करना, धक्का मुक्की करना, या मामूली कहासुनी जैसे छोटे छोटे अपराधो को एट्रोसिटी एक्ट में जमानती अपराध बना देते हैं तब समाज के 78% लोगों में यह मैसेज जाएगा कि सरकार उनके हितों की भी चिंता करती है ऐसे छोटे-मोटे मामले जमानती बनाने से अनुसूचित जाति, जनजाति के हितों पर भी कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा और इससे भारतीय समाज में सदैव सद्भावना बनी रहेगी। परन्तु सरकार यह नहीं चाहतीं। सरकार और सभी राजनीतिक दल समाज को जातिगत फूट डालकर बांटना चाहते हैं और उसका राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं, ये दल 70 साल से यही कर रहे हैं। इसी कारण उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन को बदलने के लिये एट्रोसिटी एक्ट में संसद में पारित कर बिना जांच गिरफ्तारी का प्रावधान कर दिया। उक्त बातें सपाक्स समाज के संरक्षक हीरालाल त्रिवेदी ने बड़नगर में कही।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को मान कर पदोन्नति में आरक्षण नियम 2002 निरस्त नहीं किया। बल्कि आरक्षण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट चली गई। उन्होंने यह भी मांग कि की मध्यप्रदेश में भी आरक्षण का युक्तियुक्तकरण कर पिछड़ों के लिए भारत सरकार अनुसार 27% अनुसूचित जनजाति को 12.5% तथा अनुसूचित जाति को 10% सीधी भर्ती में आरक्षण देकर 50% सीमा के भीतर आरक्षण लागू करें. एक बार जिसे आरक्षण मिल जाए, दुबारा उस परिवार को लाभ ना मिले, क्रिमी लेयर का प्रावधान भी हो। सभी योजनाओं में जातिवाद के आधार पर लाभ ना देकर आर्थिक आधार पर लाभ दिया जाए।
सीधी भर्ती में चयन सूची तैयार करने में गुजरात हाईकोर्ट एवं दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार जो जिस वर्ग में आवेदन देता है उस वर्ग की मेरिट लिस्ट पहले तैयार की जाए तथा उसके बाद अनारक्षित 50% पदों की मेरिट लिस्ट बनाई जाए ताकि चयन में ओवरलैपिंग नहीं होगी तथा समाज के सभी वर्गों को सही रूप में सामाजिक न्याय प्राप्त होगा और सभी वर्गों के भीतर आपसी वैमनस्यता नही फैलेगी।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को मान कर पदोन्नति में आरक्षण नियम 2002 निरस्त नहीं किया। बल्कि आरक्षण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट चली गई। उन्होंने यह भी मांग कि की मध्यप्रदेश में भी आरक्षण का युक्तियुक्तकरण कर पिछड़ों के लिए भारत सरकार अनुसार 27% अनुसूचित जनजाति को 12.5% तथा अनुसूचित जाति को 10% सीधी भर्ती में आरक्षण देकर 50% सीमा के भीतर आरक्षण लागू करें. एक बार जिसे आरक्षण मिल जाए, दुबारा उस परिवार को लाभ ना मिले, क्रिमी लेयर का प्रावधान भी हो। सभी योजनाओं में जातिवाद के आधार पर लाभ ना देकर आर्थिक आधार पर लाभ दिया जाए।
सीधी भर्ती में चयन सूची तैयार करने में गुजरात हाईकोर्ट एवं दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार जो जिस वर्ग में आवेदन देता है उस वर्ग की मेरिट लिस्ट पहले तैयार की जाए तथा उसके बाद अनारक्षित 50% पदों की मेरिट लिस्ट बनाई जाए ताकि चयन में ओवरलैपिंग नहीं होगी तथा समाज के सभी वर्गों को सही रूप में सामाजिक न्याय प्राप्त होगा और सभी वर्गों के भीतर आपसी वैमनस्यता नही फैलेगी।
इस अवसर पर सम्भागीय संयोजक अजेंद्र त्रिवेदी, जिला संयोजक भुपेशचंद्र, युवा संयोजक लाखनसिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किये। 16 सितंबर की करनी सेना की उज्जैन रैली में, तथा 30 सितंबर की सपाक्स की भोपाल रैली में भी भाग लेने की अपील की।
बड़नगर सपाक्स समाज के लिए गणेश रावल को संयोजक एवं विनोद मकवाना को सहसंयोजक, सरोज पंड्या को महिला संयोजक, तथा प्रीति पाटीदार को युवा संयोजक मनोनीत किया गया।
अधिवक्ता गणेश रावल संयोजक ने सपाक्स समाज के बड़नगर के कार्यालय के लिए स्थान भी उपलब्ध कराने की घोषणा की।
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