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अब भारतीय ट्रेनें कितनी है लेट चलेगा सही पता, यात्रियों को मिलेगा फायदा



नई दिल्ली : भारतीय ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को अक्सर ट्रेनों की लेटलतीफी की समस्या के कारण परेशान होना पड़ता है. ट्रेनों में सफर करने वाले यात्री अक्सर कहते हैं कि ट्रेन का रियल टाइम और वह कब किस स्टेशन पर पहुंचेगी इसकी स्टीक जानकारी उन्हें नहीं मिलती है. यात्रियों की इन्हीं समस्याओं का निवारण करने के लिए भारतीय रेलवे प्रशासन ने नया तरीका खोज निकाला है.

रेलवे अपने सिस्टम को ट्रेन के रवाना होने और आगमन पर दिए जाने वाले सिग्नल से जोड़ चुका है, ताकि पैसेंजर्स को ट्रेन की रियल लोकेशन की जानकारी मिल सके, इसके लिए रेलवे प्रशासन द्वारा डेटा लॉगर का इस्तेमाल शुरू कर दिया है.

रेलवे की मानें तो अभी तक सभी ट्रेनों की जानकारी मैन्युल आधार पर मिलती है, ट्रेन जिस स्टेशन पर पहुंचती है वहां का स्टेशन का अधिकारी उसका टाईमिंग सिस्टम में फीड करता है और कितने घंटे ट्रेन लेट चल रही है या कितने घंटे लेट पहुंचेगी इसकी जानकारी भी सिस्टम में रेलवे का कर्मचारी मैन्युल ही फीड करता है. लेकिन रेल मंत्रालय जब ट्रेनों का वक्त जानने के लिए नए डिजिटल सिस्टम डाटा लॉगर का प्रयोग शुरू किया तो असल तस्वीर सामने आनी शुरू हुई. ये सामने आया कि जो डेटा पहले मिल रहा था जो अब मिल रहा है उसमे बड़ा अंतर है.

बीते साल और इस साल की कई महीनों की ट्रेनों की पंक्चुलिटी रिपोर्ट देखे तो साफ पता चलता है कि रेलवे के अधिकारी कैसे घालमेल करके ट्रेनों की टाइमिंग और लेटलतीफी की जानकारी लोगों को देते रहे हैं. जिससे रेलवे का आंकड़ा कम दिखे लेकिन जैसे ही रेलवे ने डॉटा लॉगर सिस्टम शुरू किया रेलवे के अधिकारियों का ये कारनामा सामने आ गया.

रेलवे ने अब रियल टाइम बेसिस पर ये जानकारी डाटा लॉगर के जरिये उपलब्ध करानी शुरू कर दी है। पहले चरण में रेलवे ने कई जोनल इंटरचेंज प्वाइंट, और मेगा टर्मिनल पर देश भर में कुल 98 लोकेशन पर डेटा लॉगर सिस्टम लगाये है यानि जैसे ही ट्रेन इस इंटर चेंज से गुजरती है ट्रेनों की मिनट सेकेंड के साथ जानकारी सर्वर पर आ जाती है कि कौन सी ट्रेन इस वक्त कहा से कहा से गुजरी है, इसमें कोई भी छेड़खानी नहीं कर सकता है क्योंकि यह पूरी तरह से ऑटोमैटिक बेसिस पर काम कर रहा है.

इस बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि देश भर में अभी 141 प्वाइंट चिन्हित किए गए है जहां डेटा लॉगर का प्रयोग ट्रेनों की रियल टाइमिंग जानने के लिए किया जाएगा. रेलवे का कहना है कि डेटा लॉगर से जो जानकारी सीधी रियल टाइमिंग पर मिल रही है उससे कोई भी अधिकारी मैन्युल रूप में भी कही गलत फीड नहीं करेगा और यदि करेगा तो डेटा लॉगर से जानकारी के मिलान के बाद उसका फर्जीवाड़ा पकड़ा जाएगा. रेल मंत्रालय की तरफ से इस पर साफ निर्देश दिए गए है कि अब यदि मैन्युल कोई भी जानकारी ट्रेनों की लेटलतीफी की गलत देगा तो उस स्टेशन के अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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