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सोया और शहद प्रसंस्करण के क्षेत्र में हैं काफी संभावनाएं आईजीएनटीयू के एलबीआई ने ग्रामीणों को दिया सोया और शहद प्रसंस्करण का प्रशिक्षण

सोया और शहद प्रसंस्करण के

क्षेत्र में हैं काफी संभावनाएं

आईजीएनटीयू के एलबीआई ने ग्रामीणों को दिया सोया और शहद प्रसंस्करण का प्रशिक्षण

अमरकटंक/ प्रदीप मिश्रा-8770089979

ग्रामीणों की आजीविका को बढ़ाने के उद्देश्य से स्थापित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के लाइवलीहुड बिजनेस इनक्यूबेशन (एलबीआई) सेंटर के तत्वावधान में विगत दिवस सोयाबीन से दूध और पनीर (टोफू) बनाने और शहद के प्रसंस्करण का उपयोगी प्रशिक्षण दर्जनों ग्रामीण महिलाओं को प्रदान किया गया। इस अवसर पर अमरकटंक और आसपास के क्षेत्रों में सोयाबीन की खेती और शहद उत्पादन की असीम संभावनाओं का जिक्र करते हुए किसानों का आह्वान किया गया कि वे आधुनिक प्रसंस्करण तकनीक को अपनाकर जीविकोर्पाजन को बढाएं जिसके लिए विश्वविद्यालय सहायता प्रदान करेगा। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमिता मंत्रालय द्वारा स्थापित एलबीआई कई चरणों में ग्रामीणों और किसानों को उद्यमिता विकास के लिए विभिन्न प्रशिक्षण प्रदान कर चुका है। इसी क्रम में सोयाबीन और शहद के उत्पादन से जुड़ा प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए दर्जनों ग्रामीणों को आमंत्रित किया गया था। समन्वयक डॉ. आशीष माथुर का कहना था कि वनांचल और कृषि प्रधान क्षेत्र होने के कारण दोनों उत्पादों का प्रचुर उत्पादन इस क्षेत्र में संभव है।  उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं को कृषि के क्षेत्र में स्वालंबी बनना होगा जिसके लिए विश्वविद्यालय हर संभव मदद देने को तैयार है। पहले चरण में छह महीनों तक क्षेत्रीय लोगों के उत्पाद का एलबीआई में निःशुल्क प्रसंस्करण किया जाएगा जिसकी मार्केटिंग करके किसानों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा मिल सकेगा। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस.के. पांडेय ने खाद्य प्रसंस्करण की उपयोगिता और वर्तमान परिदृश्य में बाजार में उपलब्ध संभावनाओं के बारे में जानकारी दी। खाद् वैज्ञानिक सुनील कुमार राठौर ने पोषित आहार और सोयाबीन के महत्व के बारे में बताया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 40 महिला कृषकों ने सोया और शहद प्रसंस्करण का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

उच्च प्रोटीन प्रदान करने वाला सोयाबीन

खाद् वैज्ञानिक सुनील राठौर ने बताया कि स्वस्थ शरीर को प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा की आवश्यकता होती है जिसे सोयाबीन की मदद से पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चार किलोग्राम सोयाबीन से उच्च प्रोटीन और गुणवत्ता वाला 24 लीटर दूध प्राप्त कर सकते हैं जिससे पांच से छह किलोग्राम जायकेदार पनीर (टोफू) का उत्पादन संभव है जिसकी कुल लागत डेढ़ सौ रूपये प्रति किलोग्राम आती है।

विश्वविद्यालय में शहद प्रसंस्करण की तैयारी

निकटवर्ती किसानों को शहद के प्रसंस्करण और विपणन का सघन प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय ने पहल की है। एलबीआई समन्वयक डॉ. आशीष माथुर ने बताया कि कुलपति प्रो. टी.वी. कटटीमनी की प्रेरणा के अनुरूप क्षेत्र का शुद्ध शहद अन्य शहरों तक पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय इसका प्रसंस्करण और पैकेजिंग करेगा। इसके लिए वृहद स्तर पर क्षेत्र में शहद श्रृंखला स्थापित की जाएगी। इस पहल से जहां उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण शहद सस्ती कीमत में मिलेगा वही ग्रामीणों की आजीविका में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी संभव हो सकेगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में इंस्ट्रक्टर शिवेंद्र तिवारी, कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनीता ठाकुर, योगेश राजपूत, संदीप चैहान, लाइजनिंग अधिकारी अवकाश गर्ग आदि ने भी किसानों को जीविकोर्पाजन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

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