विज्ञान के रोचक पहलुओं को समझने में नई तकनीक का प्रयोग करें राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आईजीएनटीयू में कार्यक्रम ब्रम्हांड के रहस्यों को समझने के लिए आगे आएं छात्र
विज्ञान के रोचक पहलुओं को समझने में नई तकनीक का प्रयोग करें
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आईजीएनटीयू में कार्यक्रम
ब्रम्हांड के रहस्यों को समझने के लिए आगे आएं छात्र
अनूपपुर / अमरकटंक / प्रदीप मिश्रा - 8770089979
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में ब्रम्हांड के अनसुलझे रहस्यों को समझने और विज्ञान के रोचक पहलुओं को जानने में नई तकनीक के प्रयोग का आह्वान किया गया। विशेषज्ञों का कहना था कि विज्ञान को पढ़ने के स्थान पर समझने का प्रयास करना चाहिए जिससे भारत में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शोध संभव हो सके मुख्य अतिथि सीएसआईआर के एमिरिट्स साइंटिस्ट प्रो. पीबी कवि किशोर ने छात्रों के समक्ष ब्रम्हांड से संबंधित कई तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि अभी भी इसके कई रहस्य अनसुलझे हैं जिसके लिए छात्रों के अंदर जिज्ञासा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रम्हांड कितना बड़ा है, इसको एक साथ रखने में कौन सी शक्ति प्रयोग होती है और क्या अन्य ग्रहों पर भी जीवन उपलब्ध है-ऐसे प्रश्न हैं जो विज्ञान के छात्रों के अंदर सदैव रहने चाहिए जिससे उनमें वैज्ञानिक सोच उत्पन्न हो सके। उन्होंने ब्लैक होल, डीएनए, डार्क मेटर जैसे गंभीर विषयों को छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि इन विषयों पर अभी विस्तृत शोध की आवश्यकता है। उन्होंने कॉस्मिक रे को डिजीटल डेटा के लिए बड़ा खतरा बताते हुए इस दिशा में कार्य करने का आह्वान किया। कुलपति प्रो. टी.वी. कटटीमनी ने विश्वविद्यालय द्वारा विज्ञान की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए उठाए जा रहे कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में स्थापित अत्याधुनिक लैबों का प्रयोग कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का शोध किया जाए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न प्रोजेक्ट राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय को अलग पहचान दे रहे हैं। इससे पूर्व प्रो. ए.के. शुक्ला ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की उपयोगिता के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कोरिया, जापान और जर्मनी जैसे देश वैज्ञानिक शोध में भारत से काफी आगे हैं। इस दिशा में आत्ममंथन करने और नीतियों को नई सिरे से निर्धारित करने की आवश्यकता है। डीन (साइंस) प्रो. भूमिनाथ त्रिपाठी ने विज्ञान के छात्रों का आह्वान किया कि वे शोध को जीवन का अभिन्न भाग बनाते हुए भारतीय शोध को विश्वपटल पर स्थापित करें। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनिरूद्ध कुमार ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षकों, छात्रों और शोधार्थियों ने भाग लिया।
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