सपाक्स का प्रान्तीय सम्मेलन सम्पन्न, एक्ट्रोसिटी, पदोन्नति में आरक्षण सहित अन्य मुद्दों पर हुई चर्चा
भोपाल : सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था (सपाक्स) एवं सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था (सपाक्स समाज) तथा सपाक्स युवा ईकाई का संयुक्त प्रांतीय सम्मेलन आज दिनांक 3.02.2019 को भोपाल में अट्रॉसिटी ऐक्ट में जान गवाने वाले डॉक्टर शिवम मिश्रा को श्रद्धांजलि देने के साथ शुरू हुआ।
प्रांतीय सम्मेलन में विस्तृत चर्चा की गई कि केंद्र सरकार ने जहां एक ओर एट्रोसिटी एक्ट को मान सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की पूर्ण अवमानना कर संशोधित कर और कड़ा किया, वहीं राज्य सरकार ने भी ऐसा कोई उपाय नहीं किया कि इसके दुरुपयोग को रोका जा सके। इसी का परिणाम यह हुआ कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चुरहट जिला सीधी के एक युवा डॉ शिवम मिश्रा को झूठे आरोपों से इतना प्रताड़ित किया गया कि उसने मौत को गले लगा लिया। जब एक शासकीय अधिकारी इस तरह से प्रताड़ित किया जा सकता है तो सामान्य नागरिक की स्थिति का अनुमान किया जा सकता है। कुछ माह पूर्व विदिशा जिले में एक साधारण किसान को भी इस कानून की धमकी मात्र ने आत्महत्या के लिए विवश किया था। हाल ही में भोपाल में रहने वाले एक विधायक के परिवार ने इस कानून को हथियार बनाकर पूरे विद्यानगर को परेशान किया है। संस्था ने 1 फरवरी 2019 को प्रदेश भर में इस काले कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर जन सामान्य का ध्यान आकर्षित किया था। संस्था महामहिम राष्ट्रपति, मान प्रधानमंत्री एवं अन्य संबंधितों को इस काले कानून को संशोधित कर उस स्वरूप में बनाने की मांग करेगी जिससे इसका दुरुपयोग रोका जाकर वास्तविक प्रताड़ित को न्याय मिल सके। संस्था अट्रॉसिटी ऐक्ट में जान गवाने वालों के परिवार को 1 करोड़ का मुआवज़ा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिए जाने और झूठा मुक़द्दमा दर्ज करने वालों को जेल भेजने की माँग किए जाने का प्रस्ताव सम्मेलन में पास किया गया।
संस्था सपाक्स वर्ग के शासकीय सेवकों को राज्य सरकार के "पदोन्नति में आरक्षण" के असंवैधानिक एवं भेदभाव युक्त नियमों से हो रहे शोषण के विरुद्ध भी लगातार संघर्ष कर रही है। पूर्व सरकार पूरी तरह एकपक्षिय रहकर इस वर्ग का अहित करती रही। संस्था सरकार और न्यायालय दोनों मोर्चों पर न्याय के लिए लड़ रही है। वर्तमान सरकार ने भी अभी तक ऐसे कोई संकेत नहीं दिए हैं कि वह इस मुद्दे पर संवेदनशील है। यद्यपि सरकार के कई मान मंत्रीगणों से मिलकर संस्था सपाक्स वर्ग के सेवकों की वेदना बता चुकी है तथा मान मुख्यमंत्री जी से भी मिलने हेतु समय मांग चुकी है किन्तु संभवत: मान मुख्यमंत्री जी की प्राथमिकता में अभी यह मुद्दा ही नहीं है। उनके द्वारा विगत एक माह की अवधि व्यतीत होने के बावजूद मिलने हेतु समय नहीं दिया जा सका है।संस्था नई सरकार से अपेक्षा करती है कि वह समभाव से अपने अधीनस्थ शासकीय सेवकों से व्यवहार करेगी। 20 फ़रवरी तक सरकार द्वारा संस्था को शासन की मान्यता न दिए जाने की स्थिति में पूरे प्रदेश में आंदोलन की शृंखला चालू की जाएगी।
युवा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक सोनी ने आरोप लगाया कि सपाक्स वर्ग के युवाओं से शासकीय नीति में किए जा रहे भेदभाव के कारण न सिर्फ शिक्षा बल्कि रोजगार की दृष्टि से युवा लगातार प्रताड़ित हैं। सरकार द्वारा सपाक्स वर्ग के लिए उपलब्ध 1.5 लाख पदों की पूर्ति के कोई भी प्रयास नहीं किए जा रहे हैं जबकि लाखों युवा बेरोजगार घूम रहे हैं। सरकार एक वर्ग विशेष के हित में अपने निहित स्वार्थों के लिए बैकलॉग के बहाने वर्षों से मात्र अनु जाति/ जनजाति के पदों की पूर्ति हेतु प्रयास करती है। जबकि बैकलॉग पदों की पूर्ति सारे नियम कायदों को ताक पर रख गलत ढंग से की जा रही है। सरकार पढ़े लिखे युवाओं का संविदा/ ठेके पर नियुक्ति कर शोषण कर रही है। आरक्षण/ बैकलॉग के खेल में वर्षों बाद निकली 4500 सहायक प्राध्यापक की भर्ती खटाई में पड़ी है। यही स्थिति अन्य विभागों में भी है।
अजय जैन ने कहा कि केंद्र सरकार ने अनारक्षित गरीबों के नाम पर जो 10% आरक्षण दिया है, उससे कम से कम यह अहसास हुआ है कि केंद्र सरकार को अनारक्षित वर्ग की चिंता है। लेकिन यह आरक्षण पूर्व की तरह न्यायालय की उलझनों में निश्चित उलझेगा। सपाक्स हमेशा यह कहता रहा है कि आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था दोषपूर्ण है और यह योग्यता का भक्षण कर रही है। आरक्षण की व्यवस्था को सभी सरकारों ने बगैर यह समीक्षा किए सदैव बढ़ाया है कि इसके क्या अपेक्षित वांछित परिणाम रहे। सपाक्सा हमेशा यह मांग करता रहा है कि आरक्षण की व्यवस्था ऐसी हो कि सभी वर्गों में पिछड़े हुए व्यक्तियों को इसका लाभ आर्थिक सीमा तय कर आबादी के मान से निर्धारित 50% की सीमा में दिया जावे। अन्यथा इससे योग्यता के हनन के साथ ही सामाजिक समरसता बिगड़ रही है तथा देश से योग्यता का पलायन हो रहा है।
संस्था के विस्तार हेतु यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि प्रत्येक जिले में विभागवार संस्था अध्यक्ष बनाए जाएंगे जो जिला कार्यकारिणी में पदेन उपाध्यक्ष होंगे। इसी प्रकार की व्यवस्था राज्य स्तर पर भी की जावेगी।
संस्था के प्रांतीय कार्यकारिणी द्वारा मनोनीत पदाधिकारियों के चयन को सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया। सचिव श्री राजीव खरे ने संस्था के वर्ष 17-18 के लेखा, संस्था गतिविधियों का विस्तृत विवरण दिया। संस्था आय व्यय का एकमत से अनुमोदन किया गया।
सपाक्स समाज संस्था अध्यक्ष डॉ के एल साहू ने अपने अनुबोधन में समाज और युवाओं तथा शासकीय सेवकों के साथ किए जा रहे अन्याय के लिए सरकार की भर्त्सना की। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह हम पूर्व वर्षों में इसका विरोध कर जन जागरण कर रहे हैं उसका परिणाम विगत सरकार को भुगतना पड़ा है। वर्तमान सरकार से अपेक्षा है कि शीघ्र न्यायपूर्ण कार्यवाही सुनिश्चित करे ताकि प्रदेश में समरसता का वातावरण नष्ट न हो अन्यथा सपाक्स समाज संस्था अपनी गतिविधियों को निरंतर विस्तार देकर विरोध को तेज करेगी।
सम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न जिलों से उक्त संस्थाओं के जिला पदाधिकारी एवं युवा ईकाई पदाधिकारी उपस्थित रहे। सपाक्स संस्था के प्रांतीय पदाधिकारियों संरक्षक राजीव शर्मा सचिव नगरीय प्रशासन, डॉ के एस तोमर, अध्यक्ष श्री राजीव खरे, सचिव, उपाध्यक्ष श्रीमती रक्षा दुबे, संस्थापक सदस्य अजय जैन, आलोक अग्रवाल, आर बी राय, विभिन्न विभागीय प्रतिनिधियों तथा सपाक्स समाज के अध्यक्ष डॉ के एल साहू, उपाध्यक्ष डॉ रणधीर सिंह, उपाध्यक्ष श्री प्रसंग परिहार सचिव भानु तोमर एवं युवा ईकाई के अध्यक्ष श्री अभिषेक सोनी, राहुल राजपूत, शेरसिंह सोलंकी, प्रवीण तिवारी, गजेंद्र रघुवंशी, राहुल परिहार आदि सहित सभी ने दिनभर सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग के शासकीय सेवकों, समाज एवं समाज के युवाओं की समस्याओं और उनके निराकरण हेतु विस्तृत विचार विमर्श संयुक्त रूप से किया गया।
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