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गर्भ में पोषण विकास का असर रहता है जीवन भरः- डाॅ. आकाष पोषण माह कार्यषाला में पोषण से संबंधित दी गई जानकारियां

गर्भ में पोषण विकास का असर रहता है जीवन भरः- डाॅ. आकाष

पोषण माह कार्यषाला में पोषण से संबंधित दी गई जानकारियां

शहडोल / प्रदीप मिश्रा - 8770089979

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 30 सितम्बर 2019 तक चलाये जा रहे  राष्ट्रीय पोषण माह के अतंर्गत मीडिया कार्यषाला का आयोजन स्थानीय मोती महल होटल के सभागार में किया गया। कार्यषाला में चिकित्सा महाविद्यालय के डाॅ. आकाष रजनंिसंह,  जिला टीकाकरण अधिकारी डाॅ. अषंुमन  सोनारे, उप संचालक जनसम्पर्क श्री जी.एस. मर्सकोले, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी श्री मनोज ललोरकर, उच्च षिक्षा विभाग की श्रीमती तारामणी श्रीवास्तव सहित महिला बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग  के स्टाॅप एवं काफी संख्या में पत्रकार उपस्थित थेंपोषण माह कार्यषाला के पूर्व जिला कार्यक्रम अधिकारी ने कार्यषाला की विस्तृत रूप रेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि, बच्चों का  जन्म से  एक हजार दिन की आयु पोषण हेतु महत्वपूर्ण होती है। इस अवधि में  पोषण से संबंधित विषेष बातों का ध्यान देना आवष्यक होता है। गर्भवती माता को पेट में पल रहे बच्चे के लिए अतिरिक्त पोषण की आवष्यकता होती है। अतः पोषण आहार के साथ-साथ मौसमी फल-फूल, साग सब्जी आदि भोजन में देना चाहिए। जिससे माॅ एंव बच्चा दोनो पोषित रहे और उनमें किसी प्रकार की बीमारी से  प्रति रक्षा हेतु  प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे। उन्होंने पोषण माह में अन्य विभागों के समन्वय एवं सहभागिता की जानकारी देते हुए बताया कि नवजात बच्चों में कम वजन टिग्नापन, कुपोषण तथा रक्त अल्पता दर में कमी लाना इस कार्यक्रम का मुख्य उदेष्य है। कार्यषाला को संम्बोधित करते हुए डाॅ. आकाष रंजनसिंह ने कहा कि बच्चों को संतुलित आहार देना चाहिए। माॅ के गर्भ में बच्चे के पलने का विकास जीवन भर रहता है। शरीर जिस भोजन को ग्राह्य न कर सके ऐसे भोजन से अन्य बीमारियांे के होने की अषंका रहती है। उन्होंने कहा कि बच्चों के गर्भ में ही  बहुत सी चीजें विकसीत हो जाती है। उन्होंने बताया कि  गर्भ धारण के पहले तीन माह तक मष्तिस्क का विकास होता है । उस अवधि मंे आयरन एवं फोलिकएसिड की गोली लेना चाहिए। इससे रक्त अल्पता की कमी दूर होती है साथ ही बच्चे के विकास में सहायक होती है। उन्होंने कहा कि माॅ का दूध का कोई विकल्प नहीं है। माॅ का दूध बच्चे के लिए प्रथम टीका कहा गया है। प्रसव एक घण्टे के अन्दर नवजात को माॅ का दूध पिलाना चाहिए। माॅ के दूध में उपलब्ध खीस(कोलास्टम)  बच्चे के प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करती है और बच्चा बीमारिया संक्रमण से  मुक्त रहता है। उन्होेने कहा कि अधिक उम्र विषेषकर पचास वर्ष के ऊपर पोषण के लिए सभी को संतुलित आहार लेना चाहिए। क्योंकि अधिक उम्र में  शारिरीक क्षमता कम होने लगती हैं । इसके लिए पोषण युक्त संतुलित भोजन  ठीक उन्हें पोषित करेगी और वे अधिक उम्र में होने वाली बीमारियों से बस सकेगें। उन्होंने कहा कि  पोषण और संतुलित आहार सभी के लिए आवष्यक है। इसके लिए प्रोटीन, वसायुक्त, विटामिनयुक्त, भोजन के साथ-साथ मौसमी फल-फूूल एवं साग सब्जियों  का भी  सेवन करना चाहिए। कार्यषाला को सम्बांेधित करते हुए  डाॅ. अल्पना शर्मा ने कहा कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों में खान-पान को लेकर कई भ्रन्तियां है अभी भी हमारे यहां कटहल की सब्जी को नाॅनबेज की श्रे्रणी रखा जाता है। जबकि कटहल फाइबर का अच्छा स्त्रोत है। उन्होंने कहा कि मून्गा के कैल्षियम का  बड़ा स्त्रोत है , किन्तु मुन्गे को लेकर गाॅव मंे कई प्रकार की भ्रन्तियां है। उन्होंने कहा कि पोषण के अज्ञानता के कारण हो रहा है । कुपोषण के प्रति लोगो को जागरूक करने की आवष्यकता है। मीडिया कार्यषाला केा सम्बोधित करते हुए अंषुमन सोनारे ने कहा कि आॅगनवाड़ी केन्द्रों, उप स्वास्थ्य केन्द्रों, अरोग्य केन्द्रों में, आयरन की गोली उपलब्ध रहती है जो निःषुल्क दी जाती है । इससे गर्भवती माताओं में आयरन की कमी नहीं होती है। उन्होने बताया कि जिले में  दो बार दस्तक अभियान कराया जाता है। जिसमें घर-घर दस्तक देकर डायरिया, निमोनिया, जन्मजात विकृति वाले बच्चों, अति कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उन्हें उचित चिकित्सकीय उपचार प्रदान किया जाता एवं अतिकुपोषित बच्चों को एन.आर.सी. में भर्ती कर उन्हें पोषित किया जाता है।


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