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नई तकनीक, नवोन्मेष और समन्वित प्रयास से जनजातीय विकास संभव आईजीएनटीयू में समाज कार्य विभाग की दो दिवसीय कांफ्रेंस प्रारंभ

नई तकनीक, नवोन्मेष और समन्वित

प्रयास से जनजातीय विकास संभव

आईजीएनटीयू में समाज कार्य विभाग की दो दिवसीय कांफ्रेंस प्रारंभ

अमरकटंक /अनूपपुर / प्रदीप मिश्रा - 8770089979

जनजातीय समुदाय के समावेश और विकास को लेकर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग की दो दिवसीय कांफ्रेंस गुरूवार से प्रारंभ हुई। इस अवसर पर इंटरनेट, नई तकनीक, नवोन्मेष और समाज के सभी वर्गों के समन्वित प्रयासों से जनजातीय विकास के मार्ग को प्रशस्त करने पर बल दिया गया। मुख्य अतिथि मेजर (रिटायर्ड) वेद प्रकाश शर्मा ने ग्रामोन्नति ट्रस्ट के माध्यम से देश के विभिन्न भागों में किए जा रहे विकास के मॉडल को सभी के समक्ष प्रस्तुत किया। उनका कहना था कि ग्राम स्तर पर किए जा रहे नवोन्मेष, ग्रामीण उद्यमिता की मानसिकता और आसान तकनीक सभी जगह उपलब्ध है। आवश्यकता इन सभी को प्रोत्साहन देकर इन्हें एक-दूसरे के साथ जोड़ने की है। उन्होंने उड़ीसा और जम्मू एवं कश्मीर के विभिन्न गांवों में किए गए सफल प्रयोगों का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि उत्साही शिक्षित युवा ग्रामीणों को नई तकनीक से युक्त कर दिया जाए तो वे अन्य ग्रामीणों और बच्चों को प्रोत्साहित कर ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल सकते हैं। निदेशक (अकादमिक) प्रो. आलोक श्रोत्रिय का कहना था कि जनजातीय विकास को लेकर तीन प्रकार की सोच समाज में पाई जा रही है। एक में उन्हें अपने विकास के मॉडल को खुद विकसित करने के लिए छूट देने की है, दूसरी उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की है और तीसरी सोच इन दोनों को मिलाकर जनजातीय विकास करने की है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय के साथ निरंतर संवाद कर उनकी आवश्यकताओं को समझने और उन्हें पूरा करने में शिक्षकों और शोधार्थियों की मुख्य भूमिका है। उन्हें जनजातियों का विश्वास जीतकर उन्हें विकास के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
डीन प्रो. अजय वाघ का कहना था कि कांफ्रेंस के माध्यम से जनजातीय समावेश और विकास से देश की विकास दर को बढ़ाने पर विमर्श किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विकास से जुड़े सभी वर्गों को एक साथ जोड़कर जनजातीय समावेश की नीति को तैयार करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में डॉ. एम.नागालिंगम और डॉ. रमेश बी. उपस्थित थे। संचालन कृष्णामनी भागबती ने किया।

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