-->

Breaking News

पुष्पराजगढ़ अंचल में नाशपाती का बढ़ता रकबा अपने साथ ला रहा है खुशियों की मिठास

पुष्पराजगढ़ अंचल में नाशपाती का बढ़ता रकबा अपने साथ ला रहा है खुशियों की मिठास

अनूपपुर/प्रदीप मिश्रा -8770089979

 अनूपपुर का पुष्पराजगढ़ अंचल नाशपाती के अच्छे उत्पादन के लिए उपयुक्त है। नाशपाती के एक वृक्ष से साधारणतया 50 से 70 किग्रा फल का उत्पादन हो जाता है प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में 100 से 200 क्विंटल फल उत्पादित हो सकते हैं। क्षेत्र में नाशपाती के लिए उपयुक्त जलवायु को दृष्टिगत रखते हुए उद्यानिकी विभाग द्वारा पुष्पराजगढ़ अंचल के कृषकों को सतत रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है इसी का नतीजा है कि जहाँ 2017-18 के पूर्व में नाशपाती के रोपण का रकबा 20 हेक्टेयर था वहीं 2017-18 में 77 हेक्टेयर में एवं 2018-19 में 45 हेक्टेयर रकबे में नाशपाती के पौधों का रोपण किया गया। हालाँकि नाशपाती के पौधे में फलन में 4-6 वर्ष का समय लगता है परंतु एक बार फलन आने पर 40 से 50 वर्षों तक उत्पादन प्राप्त होता है एवं यह सतत एवं अच्छी आय का स्त्रोत बन जाता है। नाशपाती की खेती या बागवानी गर्म, आद्र, उपोष्ण मैदानी क्षेत्रों से लेकर शुष्क शीतोष्ण ऊँचाई वाले क्षेत्रों में बिना किसी बाधा के की जा सकती है। नाशपाती के फलों का उत्पादन समुद्रतल से 600 मीटर से 2700 मीटर ऊँचाई वाले क्षेत्रों में संभव है। इसके लिए 500 से 1500 घंटे शीत तापमान 7 डिग्री सेल्सीयस से नीचे होना आवश्यक है। नाशपाती की खेती के लिए मध्यम बनावट की बलुई दोमट तथा गहरी मिट्टी की आवश्यकता होती है। जिसमें जल निकास सरलता से हो। दूसरे पर्णपाती फल पौधों की अपेक्षा नाशपाती के पौधे चिकनी और अधिक पानी वाली भूमि पर भी उगाए जा सकते हैं परंतु पौधों की जड़ों की अच्छी बढ़ोतरी के लिए मिट्टी 2 मीटर गहराई तक पथरीली कंकरीली नहीं होनी चाहिए।
इसके लिए मिट्टी का पीएच 8.7 उपयुक्त है। नाशपाती की खेती के लिए सामान्य रूप से बीजू मूलवृत्त पर तैयार किए गए पौधों के बीच 6-6 मीटर की दूरी एवं क्लोनल मूलवृत्त में यह दूरी 3-3 मीटर तक रखनी चाहिए। ढलानदार जमीन में नाशपाती के पौधे छोटे खेत बनाकर समतल घाटी क्षेत्र में वर्गाकार षट्कोणाकार आयताकार विधि से पौधे लगाए जा सकते हैं। नाशपाती की खेती से फल जून माह के प्रथम सप्ताह से सितम्बर के मध्य तोड़े जाते हैं। नजदीकी मंडियों में फल पूरी तरह से पकने के बाद दूरी वाले स्थानो पर ले जाने के लिए हरे फल तोड़ने चाहिए। तोड़ाई देरी से होने पर फलों को ज्यादा समय तक रखा नही जा सकता है। इससे स्वाद एवं रंग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सहायक संचालक उद्यान बी.डी. नायर का कहना है कि कृषकों को नाशपाती की खेती वैज्ञानिक तरीके से करनी चाहिए ताकि उनको फसल से अधिकतम एवं गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्राप्त हो सके। नाशपाती के पौध एवं तकनीकी मार्गदर्शन हेतु इच्छुक कृषक कार्यालयीन समय में सहायक संचालक उद्यान विभाग कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं। आपका कहना है कि पुष्पराजगढ़ क्षेत्र नाशपाती के उद्यानो के लिए उपयुक्त है और इस माध्यम से परम्परागत कृषि की अपेक्षा अच्छा उत्पादन एवं लाभ प्राप्त किया जा सकता है।


No comments

सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करते हुए एमपी ऑनलाइन न्यूज़ मप्र का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला रीजनल हिन्दी न्यूज पोर्टल बना हुआ है। अपने मजबूत नेटवर्क के अलावा मप्र के कई स्वतंत्र पत्रकार एवं जागरुक नागरिक भी एमपी ऑनलाइन न्यूज़ से सीधे जुड़े हुए हैं। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ एक ऐसा न्यूज पोर्टल है जो अपनी ही खबरों का खंडन भी आमंत्रित करता है एवं किसी भी विषय पर सभी पक्षों को सादर आमंत्रित करते हुए प्रमुखता के साथ प्रकाशित करता है। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ की अपनी कोई समाचार नीति नहीं है। जो भी मप्र के हित में हो, प्रकाशन हेतु स्वीकार्य है। सूचनाएँ, समाचार, आरोप, प्रत्यारोप, लेख, विचार एवं हमारे संपादक से संपर्क करने के लिए कृपया मेल करें Email- editor@mponlinenews.com/ mponlinenews2013@gmail.com