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बहुत रुलाएगा ये सस्ता डीजल…

नई दिल्ली : केंद्रीय कैबिनेट ने शनिवार शाम घोषणा कर दी कि डीजल के दामों में आधी रात से प्रति लीटर 3.37 रुपए की कमी कर दी जाएगी। ऊपर से खुशखबरी जैसी दिख रही इस खबर के साथ दीर्घकालिक बदकिस्मती के कई फैसले लिपटे हुए हैं। या यों कहें कि जनता के सिर पर स्‍थाई महंगाई लादने के फैसले छिपाने के लिए ही इस खबर को इस तरह पेश किया गया है।

महंगाई का स्थाई इंतजाम…

कैबिनेट ने अपने फैसले में डीजल के दाम सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का भी फैसला किया। इसका मतलब है कि पेट्रोल की तरह अब रोज-रोज डीजल के दाम भी बढते नजर आएंगे। लेकिन याद रखिए कि पेट्रोल का ताल्लुक आम मध्यम वर्गीय परिवारों के निजी वाहनों से है। डीजल से चलने वाली गडि़यां पूरे भारत को सफर कराती हैं। ट्रक, बस और बाकी सारा सार्वजनिक परिवहन और जरुरी सामान की ढुलाई डीजल से ही जुड़ी है। इसीलिए लाख चाहते हुए भी मनमोहन सिंह की पिछली सरकार इस बारे में फैसला लेने में सकुचाती रही। दरअसल मनमोहन सिंह के उपर सहयोगी दलों का दबाव रहता था लेकिन अब सरकार पूर्ण बहुमत की है। इसलिए पूंजीपतियों के हितों को साधने में नमो की सरकार ममो की सरकार से ज्यादा तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। दरअसल अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दामों पर कम से कम हमारी सरकार का तो कोई नियंत्रण नहीं है। तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट की एक वजह उस आतंकवादी संगठन आइएसआइएस की भूमिका भी है जो फंड जुटाने के लिए इराक से सस्ता तेल बेच रहा है। जुल्म का ये दानव आज नहीं तो कल मारा ही जाएगा। दूसरे जब दुनिया में सुस्ती का दौर खत्म होगा और औद्योगिक उत्पादन बढ़ेगा तो तेल फिर महंगा होगा। उस दिन ये 3.37 रुपए का गिफ्ट देश की जनता को खून के आंसू रुलाएगा। सरकार ने महंगाई को हमेशा के लिए बाजार के हाथ में सौंप दिया है।

अंबानी को 1432 करोड़ रुपए का तोहफा…

जरा याद कीजिए कि मई 2008 में मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और कुछ दूसरी तेल कंपनियों को अपने पेट्रोल पंप बंद करने पड़ गए थे। वजह थी कि सरकारी तेल कंपनियां अपने पेट्रोल पंपों पर सरकारी सब्सिडी के दम पर पेट्रोल और डीजल पांच रुपए तक सस्ता बेचती थी। उसके बजाए निजी कंपनियों के यहां डीजल पेट्रोल महंगा पड़ता था। तब कंपनियों ने सब्सिडी खत्म कराने या उन्हें सरकारी सब्सिडी देने के लिए खूब कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। फिर कई साल बाद यूपीए सरकार ने पेट्रोल को बाजार के हवाले किया तो कंपनियों का चैथाई काम हो गया लेकिन पंप खुल न सके। अब जब डीजल भी खुले में आ गया है तो पेट्रोल पंपों के खुलने का रास्ता खुल गया है। रिलायंस ने तब 1432 पेट्रोल पंप बंद किए थे। एक पेट्रोल पंप पर न्यूनतम एक करोड़ रुपए की लागत मान ली जाए तो भी रिलायंस को सीधे सीधे 1432 करोड़ के फंसे हुए निवेश में राहत मिलेगी। आगे चलकर पेट्रोल पंप का जो धंधा चलेगा सो अलग। हां भारत पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी सरकारी तेल विपणन कंपनियों को सोच लेना चाहिए कि वे अचानक हुए इस बदलाव से कैसे निपटेंगी।

प्राकृतिक गैस हुई भारी …

लोकसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पूरे देश को आगाह करते रहे कि कांग्रेस तरल प्राकृतिक गैस (एलपीजी) के दामों में इजाफा करने की तैयारी में हैं और अप्रैल 2014 से दाम बढ़ जाएंगे। तब अदालत के हस्तक्षेप और सिर पर मंडराते चुनाव से ऐसा नहीं हुआ। लेकिन अब मोदी सरकार ने एलपीजी के दाम 5.6 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (मिलियन मेट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट) कर दिए हैं। सबको पता है कि गैस के इस अकूत खजाने पर भी उसी कारोबारी का कब्जा है, जिसके सबसे ज्यादा पेट्रोल पंपों को तुरंत लाभ होने वाला है। कोयला के बाद प्राकृतिक गैस ही उर्जा उत्पादन की सबसे बड़ा साधन है। इसके अलावा भी प्राकृतिक गैस का उत्पादन अर्थ तंत्र में खासी अहमियत रखता है। आने वाले दिनों में गैस के बढ़े दाम रह-रहकर आपकी जिंदगी में महंगाई के झोंके लाते रहेंगे।

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