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रानी लक्ष्मीबाई की ओर से लिखी याचिका मोदी ने एबट को भेंट की

केनबरा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष टोनी एबट को रानी लक्ष्मीबाई की ओर से ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1854 में लिखी ऑस्ट्रेलियाई वकील जान लांग की याचिका भेंट की। प्रधानमंत्री इसे द्विपक्षीय वार्ता से ठीक पहले एबट को भेंट किया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैय्यद अकबरूद्दीन ने ट्वीट किया, प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री को ऑस्ट्रेलियाई जान लांग द्वारा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की ओर से ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लिखी याचिका भेंट की। मोदी की ओर से एबट को दिए इस उपहार का ब्यौरा देते हुए अकबरूद्दीन ने कहा कि जान लांग को ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ झांसी की रानी की ओर से 1854 में लिखी अर्जी की मूल प्रति भेंट की।

इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई संसद के परिसर में मोदी ने सलामी गारद का निरीक्षण किया। उनके सम्मान में 19 तोपों की सलामी भी दी गई। इस मौके पर ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एबट और कई भारतीय मौजूद थे। इसके बाद वे प्रधानमंत्री कार्यालय में द्विपक्षीय वार्ता के लिए बढ़ गए।

मोदी की ओर से एबट को दिये गए उपहार भारतीय इतिहास में जान लांग के योगदान को परिलक्षित करते हैं। लांग का जन्म 1816 में सिडनी में हुआ था और उन्हें ऑस्ट्रेलिया का पहला मूल उपन्यासकार माना जाता है। लांग कई प्रतिभाओं के धनी थे। वह एक वकील के साथ पत्रकार और जन्मजात यात्री थे।

लांग 1842 में भारत गए और उसे अपना घर बना लिया। उन्होंने भारतीय भाषा सीखी और वकालत के पेशे को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया। उन्होंने मेरठ से 'द मुफस्सीलाइट' और बाद में मसूरी से भी अखबार भी शुरू किया। इस अखबार में ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों की आलोचना भी होती थी जिसके लिए उन्हें कुछ समय के लिए जेल में भी रहना पड़ा। 1854 में लांग ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के वकील के रूप में काम किया और ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ कानूनी लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई का प्रतिनिधित्व किया।

यूरेनियम आपूर्ति समझौते का संकेत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत से यूरेनियम आपूर्ति संबंधी समझौता शीघ्र करने के आग्रह पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबट ने आज घोषणा की कि वह शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए भारत को यूरेनियम की आपूर्ति का इच्छुक है। दोनों देशों के नेताओं ने द्विपक्षीय शिखर वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही।

मोदी ने कहा कि दोनों देश असैन्य परमाणु करार को जल्द से जल्द पूरा करें जिससे ऑस्ट्रेलिया इस क्षेत्र में भारत का भागीदार बन सके। दोनों नेताओं के बीच बातचीत के बाद विभिन्न क्षेत्रों में पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए, जो सामाजिक सुरक्षा, कैदियों की अदला बदली, मादक पदार्थों के व्यापार पर लगाम लगाने तथा पर्यटन, कला एवं संस्कति को आगे बढाने से जुड़े हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और भारत के संबंध रणनीतिक भागीदारी और साझा मूल्यों पर आधारित स्वाभाविक साझेदारी है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कृषि, कृषि प्रसंस्करण, उर्जा, वित्त, शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आपसी सहयोग के अपार अवसर हैं।

एबट ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया, भारत के साथ उर्जा, सुरक्षा के अलावा इंटेलिजेंस, सैन्य सहयोग, आतंकवाद के विरूद्ध सहयोग और द्विपक्षीय एवं त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास में सहयोग करने को इच्छुक है। एबट ने कहा कि दोनों देशों में कारोबार की काफी संभवनाएं हैं। कारोबार का मतलब रोजगार, कारोबार का अर्थ समद्धि है। इसका अर्थ यह है कि इससे दोनों देशों में अधिक रोजगार और समृद्धि आयेगी।

मोदी ने कहा कि दोनों देशों को मौजूद अवसरों को ठोस परिणाम में तब्दील करने की जरूरत है। हमने इन विषयों पर बातचीत में तेजी लाने पर सहमति व्यक्त की जिसमें आस्ट्रेलिया के बाजार तक पहुंच सुलभ करना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि हम 2015 में ऑस्ट्रेलिया में मेक इन इंडिया शो का आयोजन करेंगे और ऑस्ट्रेलिया हमारे यहां अगले साल जनवरी में बिजनेश वीक का आयोजन करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम क्रिकेट और हाकी के अलावा योग के माध्यम से भी लोगों को जोड़ सकते हैं। मोदी ने कहा कि एक नया सांस्कतिक समक्षौता हुआ है जिसके तहत अगले वर्ष फरवरी तक सिडनी में भारत का सांस्कृतिक केंद्र खोला जायेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा का समक्षौता महत्वपूर्ण है जो विशेष रूप से सेवा क्षेत्र से जुड़ा है। इसके अलावा सुरक्षा एवं प्रतिरक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग क्षेत्रीय शांति, विभिन्न देशों के बीच अपराधों पर लगाम लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण होगा। वहीं एबट ने कहा कि दोनों देशों के बीच कारोबार संबंध महत्वपूर्ण आयाम है। हम इसमें नया अध्याय जोड़ना चाहते हैं और अपने गर्मजोशी भरे संबंधों को अपने और दुनिया की व्यापक भलाई के लिए और अर्थपूर्ण ढंग से बढ़ाना चाहते हैं।

आतंकवाद विश्व के लिए सबसे बड़ा खतरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को सारे विश्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए आज कहा कि इस वैश्विक समस्या से निपटने के लिए व्यापक वैश्विक रणनीति बनाकर उन देशों को अलग थलग करना होगा, जो इसे बढ़ावा दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रेलियाई संसद को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद हम सब के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है। भारत पिछले तीन दशक से इसका सामना कर रहा है। इसका चरित्र बदल रहा है और यह अपनी पहुंच का भी विस्तार कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक समस्या से निपटने के लिए हमें व्यापक वैश्विक रणनीति बनानी चाहिए और देशों के बीच अंतर किये बिना उन्हें अलग थलग करें जो इसे बढ़ावा दे रहे हैं।

मोदी ने सुझाव दिया कि जहां यह आतंकवाद सबसे अधिक है, वहां हमें इसके खिलाफ सामाजिक आंदोलन चलाना होगा। आतंकवाद के खिलाफ व्यापक रणनीति बनाने की अपील के साथ उन्होंने आगाह किया, धर्म और आतंकवाद को जोड़ने के सभी प्रयासों को विफल किया जाए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद आज दुनिया में इंटरनेट के जरिये भर्ती (आतंकियों की), धन शोधन, मादक पदार्थों एवं हथियारों की तस्करी के जरिये अपने पैर तेजी से पसार रहा है जिसे रोके जाने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग किये जाने की सख्त जरूरत है।

प्रशांत और हिन्द महासागर को दोनों देशों की जीवन रेखा बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और आस्ट्रेलिया भागीदार बनकर इस क्षेत्र की सुरक्षा को बेहतर कर सकते हैं। इसके लिए दोनों देशों को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। दक्षिण चीन सागर पर चीन की दावेदारी से उत्पन्न विवाद का सीधा उल्लेख किये बिना उन्होंने कहा कि छोटे बड़े सभी देशों की अतंरराष्ट्रीय कानून के तहत नौवहन सुरक्षा प्रदान होनी चाहिए। और हम सब मिलकर सार्वभौम सम्मान के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया एशिया प्रशांत और हिन्द महासाग के केंद्र में है और इसलिए वह जितना सक्रिय होगा, इन क्षेत्रों की सुरक्षा उतनी बेहतर होगी।

इससे पहले यूरेनियम आपूर्ति के लिए असैन्य परमाणु समझौता शीघ्र करने के मोदी के आग्रह पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबट ने कहा कि अगर सब ठीक रहा तब ऑस्ट्रेलिया शीघ्र ही उपयुक्त सुरक्षा उपायों के साथ भारत को यूरेनियम का निर्यात शुरू कर देगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगले साल के अंत तक हम विश्व की इस सबसे बडे बाजार (भारत) के साथ मुक्त व्यापार समझौता कर लेंगे। ऑस्ट्रेलिया को भारत में निवेश का न्यौता देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज 30 साल बाद भारत में एक पूर्ण बहुमत की सरकार आई है और दूर दराज के गांव से महानगरों तक में विकास को लेकर नयी उर्जा और आकांक्षाओं को बल मिला है। वे परिवर्तन चाहते हैं और अब वे विश्वास भी करते हैं कि ऐसा होना संभव है।

मोदी ने कहा कि हम आगे की सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं, जिसमें केवल वृद्धि ही नहीं बल्कि जीवन की गुणवत्ता भी बढ़े और इस प्रयास में हम ऑस्ट्रेलिया को भागीदार बनाना चाहते हैं। मोदी ने कहा कि भारत के लोगों की उत्थान को लेकर जगी आशाओं को पूरा करने के लिए कौशल विकास, हर परिवार को घर, बिजली आपूर्ति, स्वास्थ्य सुविधा, ऐसी उर्जा जो हमारे ग्लेशियरों को नहीं पिघलाये, परमाणु उर्जा और व्यवहार्य एवं रहने योग्य शहर बनाने में ऑस्ट्रेलिया भागीदार बन सकता है। उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति और खुशहाली में हम आस्ट्रेलिया को स्वाभाविक साझेदार मानते हैं। भारत के विकास में आस्ट्रेलिया को बड़े पैमाने पर भागीदार बनने का न्यौता देते हुए उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया कुछ मिलियन लोगों का एक विकसित देश है जबकि सवा सौ करोड़ की आबादी वाला भारत विकास और प्रगति चाहता है। मोदी ने कहा कि पिछले छह महीने में सरकार में रहते हुए हम इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़े हैं और विकास के लिए तेजी से काम किया है। यह केवल वृद्धि के लिए नहीं बल्कि प्रत्येक भारतीय के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए है।

क्रिकेट विश्वकप के लिए दी शुभकामना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ऑस्ट्रेलियाई संसद में दिये अपने संबोधन में विश्व के दो महान क्रिकेटर डॉन ब्रैड़मैन और सचिन तेंदुलकर का उल्लेख करते हुए अगले वर्ष ऑस्ट्रेलिया में होने जा रहे विश्वकप क्रिकेट के सफल आयोजन की शुभकामना दी। मोदी ने दोनों देशों के कुछ साझा विभूतियों का जिक्र करते हुए कहा कि हम ब्रैड़मैन की महानता और तेंदुलकर के क्लास दोनों का गुणगान करते हैं। उन्होंने सांसदों के ठहाकों के बीच कहा कि शेन वार्न के आने तक आप भारत के स्पिन से अभिभूत रहे और हम ऑस्ट्रेलिया की तेज गेंदबाजी से। उन्होंने कहा कि लेकिन इस सबसे पहले हम लोकतंत्र के विचार से बंधे हैं। अपने भाषण के समापण पर उन्होंने कहा कि अगले वर्ष विश्वकप क्रिकेट के आयोजन के शानदार और सफल आयोजन की शुभकामना देता हूं।

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