अभी तक इन महारथियों ने नही चुना आदर्श गांव
नई दिल्ली
: मुलायम सिंह धरती पुत्र कहे जाते हैं और हमेशा गांवों को आगे बढ़ाने की
बात करते हैं। राहुल गांधी तो गांव जाकर रात में रुकने के लिए पूरी दुनिया
में तारीफ पाए लेकिन मौजूदा लोकसभा के इन दिग्गज सांसदों को पीएम नरेन्द्र
मोदी की गांव गोद लेने की पहल रास नहीं आई। 'प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम
योजना' के तहत गांव गोद लेने का मंगलवार को अंतिम दिन था, लेकिन लोकसभा में
विपक्ष में यूपी के सात में से पांच सांसदों ने कोई गांव गोद नहीं लिया।
ऐसे में माननीयों की सुविधा के लिए केंद्र सरकार ने योजना का समय एक हफ्ते
और बढ़ा दिया है।
लोकसभा चुनाव के दौरान मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी के अलावा आजमगढ़ से भी चुनाव लड़ा था और जीते भी। समाजवादी पार्टी के प्रमुख ने मैनपुरी सीट छोड़ी तो आजमगढ़ के मन में विकास का पहिया घूमने की बात जगी। मंगलवार को डीएम आजमगढ़ ने बताया कि उनके पास अब तक कोई अधिकृत जानकारी किसी गांव के चयन को लेकर नहीं आई है। बताया गया है कि कुछ गांवों की लिस्ट सांसद के पास गई है।
कन्नौज की सांसद डिंपल यादव और मैनपुरी सांसद तेज प्रताप यादव ने जरूर पीएम की मुहिम में साथ दिया है। डिंपल ने सैय्यदपुर सकरी गांव को चुना है, जहां की 85% आबादी मुस्लिम है। मैनपुरी सांसद तेज प्रताप ने सगामई गांव गोद लिया है।
अमेठी के कांग्रेसी भी यही बता पा रहे हैं कि कई गांवों की लिस्ट राहुल गांधी के पास भेजी गई है। उनके कार्यालय से अब किसी भी गांव के नाम पर मुहर नहीं लगी है। रायबरेली की सांसद सोनिया गांधी भी अपने लोकसभा क्षेत्र में एक गांव का चयन नहीं कर सकी हैं। बदायूं से सांसद धर्मेन्द्र यादव और फिरोजाबाद से सांसद अक्षय यादव के क्षेत्रों के डीएम अलग-अलग आश्वासन देते मिले कि 'सुना है कि किसी गांव का चयन हुआ है। आधिकारिक लिस्ट शायद बुधवार तक आ जाए।'
हालांकि पिछले एक महीने कुछ राज्यों में असेंबली चुनाव, दिवाली व मोहर्रम के चलते ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इसकी डेडलाइन एक हफ्ते बढ़ा दी है। पिछले हफ्ते पीएम ने जयापुर गांव गोद लिया तो सत्ता पक्ष के बाकी सांसदों पर दबाव बढ़ गया। बीते तीन दिनों में गांव गोद लेने वालों सांसदों की गिनती 85 से बढ़कर लगभग सवा तीन सौ पहुंच गई है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों का मानना है कि अगले एक हफ्ते में सभी सांसदों के प्रस्ताव आ पाना मुश्किल है।
सूत्रों के मुताबिक अब तक मंत्रालय को इस बारे लोकसभा के तकरीबन 263 सांसदों और राज्यसभा के 58 सांसदों के प्रस्ताव मिल चुके हैं। महाराष्ट्र, यूपी और बिहार जैसे राज्य के सांसदों में इस सिलसिले में तेजी दिखाई, वहीं सीमांध्र, वेस्ट बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से प्रस्ताव की तादाद अपेक्षाकृत काफी कम है। हालांकि कुछ सांसदों में इस योजना को लेकर दुविधा भी है। कुछ सांसदों का मानना था कि संसदीय इलाके से एक गांव गोद लेने से संसदीय क्षेत्र के दूसरे गांवों में नाराजगी बढ़ सकती है।
लोकसभा चुनाव के दौरान मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी के अलावा आजमगढ़ से भी चुनाव लड़ा था और जीते भी। समाजवादी पार्टी के प्रमुख ने मैनपुरी सीट छोड़ी तो आजमगढ़ के मन में विकास का पहिया घूमने की बात जगी। मंगलवार को डीएम आजमगढ़ ने बताया कि उनके पास अब तक कोई अधिकृत जानकारी किसी गांव के चयन को लेकर नहीं आई है। बताया गया है कि कुछ गांवों की लिस्ट सांसद के पास गई है।
कन्नौज की सांसद डिंपल यादव और मैनपुरी सांसद तेज प्रताप यादव ने जरूर पीएम की मुहिम में साथ दिया है। डिंपल ने सैय्यदपुर सकरी गांव को चुना है, जहां की 85% आबादी मुस्लिम है। मैनपुरी सांसद तेज प्रताप ने सगामई गांव गोद लिया है।
अमेठी के कांग्रेसी भी यही बता पा रहे हैं कि कई गांवों की लिस्ट राहुल गांधी के पास भेजी गई है। उनके कार्यालय से अब किसी भी गांव के नाम पर मुहर नहीं लगी है। रायबरेली की सांसद सोनिया गांधी भी अपने लोकसभा क्षेत्र में एक गांव का चयन नहीं कर सकी हैं। बदायूं से सांसद धर्मेन्द्र यादव और फिरोजाबाद से सांसद अक्षय यादव के क्षेत्रों के डीएम अलग-अलग आश्वासन देते मिले कि 'सुना है कि किसी गांव का चयन हुआ है। आधिकारिक लिस्ट शायद बुधवार तक आ जाए।'
हालांकि पिछले एक महीने कुछ राज्यों में असेंबली चुनाव, दिवाली व मोहर्रम के चलते ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इसकी डेडलाइन एक हफ्ते बढ़ा दी है। पिछले हफ्ते पीएम ने जयापुर गांव गोद लिया तो सत्ता पक्ष के बाकी सांसदों पर दबाव बढ़ गया। बीते तीन दिनों में गांव गोद लेने वालों सांसदों की गिनती 85 से बढ़कर लगभग सवा तीन सौ पहुंच गई है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों का मानना है कि अगले एक हफ्ते में सभी सांसदों के प्रस्ताव आ पाना मुश्किल है।
सूत्रों के मुताबिक अब तक मंत्रालय को इस बारे लोकसभा के तकरीबन 263 सांसदों और राज्यसभा के 58 सांसदों के प्रस्ताव मिल चुके हैं। महाराष्ट्र, यूपी और बिहार जैसे राज्य के सांसदों में इस सिलसिले में तेजी दिखाई, वहीं सीमांध्र, वेस्ट बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से प्रस्ताव की तादाद अपेक्षाकृत काफी कम है। हालांकि कुछ सांसदों में इस योजना को लेकर दुविधा भी है। कुछ सांसदों का मानना था कि संसदीय इलाके से एक गांव गोद लेने से संसदीय क्षेत्र के दूसरे गांवों में नाराजगी बढ़ सकती है।
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