शर्मनाक ! ''साइ'' ने जबरन कराया जूनियर महिला मुक्केबाजों का प्रेग्नेंसी टेस्ट
नयी दिल्ली : अगले हफ्ते दक्षिण कोरिया में होने वाली मुक्केबाजी विश्व चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने जा रही आठ महिला मुक्केबाजों का गर्भ परीक्षण किया गया. यह परीक्षण भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) की ओर से कराया गया है. साइ सूत्रों के हवाले से खबर है कि वैश्विक संस्था एआइबीये की नयी जरुरतों के तहत कराये गये हैं. जिन मुक्केबाजों का परीक्षण किया गया उनमें अविवाहित और जूनियर खिलाड़ी शामिल थी.
* गर्भवती नहीं होने का प्रमाण पत्र मांगा गया था
जेजु आइलैंड में होने वाली विश्व चैम्पियनशिप के लिए जो निमंत्रण भेजा था उसमें स्पष्ट तौर पर महिला मुक्केबाजों के लिए डाक्टरों द्वारा दिया गर्भवती नहीं होने का प्रमाण पत्र मांगा गया था.
* नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया : साइ निदेशक
साइ के कार्यकारी निदेशक (टीम) सुधीर सेतिया ने पुष्टि की कि परीक्षण किए गए लेकिन कहा कि नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया और यह परीक्षण एआइबीए के नियमों के तहत अनिवार्य हैं. सेतिया ने कहा, इस मामले को महासंघ के डाक्टर ने निपटाया. लेकिन ऐसा नहीं है कि हमारी मुक्केबाज पहली बार ऐसे परीक्षण कराने के बाद देश से बाहर गई हैं. प्रत्येक महिला मुक्केबाज को उसकी सुरक्षा और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए प्रमाण पत्र देना था (कि वह गर्भवती नहीं है). उन्होंने कहा, इसमें कोई शक नहीं कि यह भारत में संवेदनशील मुद्दा है लेकिन एआईबीए नियमों के तहत यह अनिवार्य है. हमने कोई नियम नहीं तोडा.
* भारतीय खेल मेडिसिन महासंघ के अध्यक्ष ने किया आलोचना
साइ के सलाहकर और भारतीय खेल मेडिसिन महासंघ के अध्यक्ष डा. पीएसएम चंद्रन ने गर्भ परीक्षण की आलोचना की है और इसे मानवाधिकार का उल्लंघन करार दिया है. चंद्रन ने प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया, इन मुक्केबाजों को गर्भ परीक्षण के लिए बाध्य किया गया. उन्होंने आदेश दिया और साइ ने ऐसा ही किया. गर्भ परीक्षण आठ युवा अविवाहित लड़कियों पर किए गए जिसमें कुछ जूनियर खिलाडी भी शामिल हैं और यह मानवाधिकार उल्लंघन का मामला है.
उन्होंने कहा, स्तब्ध करने वाली चीज यह है कि यह नियमों के खिलाफ किया गया. 31 अगस्त 2014 से प्रभावी एआइबीए के तकनीकी नियमों के अनुसार मुक्केबाजों का गर्भ परीक्षण कराने का कोई प्रावधान नहीं है. नियम में कहा गया है महिला मुक्केबाज को मेडिकल प्रमाण पत्र के साथ गर्भ नहीं होने का घोषणा पत्र अतिरिक्त रुप से देना होगा. 18 वर्ष से कम आयु की महिला मुक्केबाजों के लिए इस घोषणा पत्र पर कम से कम उसके एक परिजन या विधि मार्गदर्शक का हस्ताक्षर होना चाहिए. बाक्सिंग इंडिया के सचिव जय कोवली ने हालांकि कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है.
चंद्रन ने मांग की कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग को आगे आकर खेल में हस्तक्षेप करना चाहिए जिससे कि सुनिश्चित हो सके कि खेलों में हिस्सा लेने के लिए आगे आई लडकियों के अधिकार और मर्यादा की रक्षा की जा सके.
* गर्भवती नहीं होने का प्रमाण पत्र मांगा गया था
जेजु आइलैंड में होने वाली विश्व चैम्पियनशिप के लिए जो निमंत्रण भेजा था उसमें स्पष्ट तौर पर महिला मुक्केबाजों के लिए डाक्टरों द्वारा दिया गर्भवती नहीं होने का प्रमाण पत्र मांगा गया था.
* नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया : साइ निदेशक
साइ के कार्यकारी निदेशक (टीम) सुधीर सेतिया ने पुष्टि की कि परीक्षण किए गए लेकिन कहा कि नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया और यह परीक्षण एआइबीए के नियमों के तहत अनिवार्य हैं. सेतिया ने कहा, इस मामले को महासंघ के डाक्टर ने निपटाया. लेकिन ऐसा नहीं है कि हमारी मुक्केबाज पहली बार ऐसे परीक्षण कराने के बाद देश से बाहर गई हैं. प्रत्येक महिला मुक्केबाज को उसकी सुरक्षा और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए प्रमाण पत्र देना था (कि वह गर्भवती नहीं है). उन्होंने कहा, इसमें कोई शक नहीं कि यह भारत में संवेदनशील मुद्दा है लेकिन एआईबीए नियमों के तहत यह अनिवार्य है. हमने कोई नियम नहीं तोडा.
* भारतीय खेल मेडिसिन महासंघ के अध्यक्ष ने किया आलोचना
साइ के सलाहकर और भारतीय खेल मेडिसिन महासंघ के अध्यक्ष डा. पीएसएम चंद्रन ने गर्भ परीक्षण की आलोचना की है और इसे मानवाधिकार का उल्लंघन करार दिया है. चंद्रन ने प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया, इन मुक्केबाजों को गर्भ परीक्षण के लिए बाध्य किया गया. उन्होंने आदेश दिया और साइ ने ऐसा ही किया. गर्भ परीक्षण आठ युवा अविवाहित लड़कियों पर किए गए जिसमें कुछ जूनियर खिलाडी भी शामिल हैं और यह मानवाधिकार उल्लंघन का मामला है.
उन्होंने कहा, स्तब्ध करने वाली चीज यह है कि यह नियमों के खिलाफ किया गया. 31 अगस्त 2014 से प्रभावी एआइबीए के तकनीकी नियमों के अनुसार मुक्केबाजों का गर्भ परीक्षण कराने का कोई प्रावधान नहीं है. नियम में कहा गया है महिला मुक्केबाज को मेडिकल प्रमाण पत्र के साथ गर्भ नहीं होने का घोषणा पत्र अतिरिक्त रुप से देना होगा. 18 वर्ष से कम आयु की महिला मुक्केबाजों के लिए इस घोषणा पत्र पर कम से कम उसके एक परिजन या विधि मार्गदर्शक का हस्ताक्षर होना चाहिए. बाक्सिंग इंडिया के सचिव जय कोवली ने हालांकि कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है.
चंद्रन ने मांग की कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग को आगे आकर खेल में हस्तक्षेप करना चाहिए जिससे कि सुनिश्चित हो सके कि खेलों में हिस्सा लेने के लिए आगे आई लडकियों के अधिकार और मर्यादा की रक्षा की जा सके.
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