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कांग्रेस ने किया सवाल: सिगरेट पर वैट टैक्स में छूट, पेट्रोल-डीजल में लूट ऐसा क्यों?

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस ने वित्त, योजना आर्थिक सांख्यिकी, वाणिज्यकर एवं जल संसाधन मंत्री जयंत मलैया के रिपोर्ट कार्ड को आंकड़ों का भ्रम जाल बताया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि 150 हजार करोड़ के कर्ज के बोझ में प्रदेश डूबा हुआ है, लेकिन भाजपा सरकार विकास होने की बात कह रही है। वहीं इन्होंने आरोप लगाया कि शासकीय अधिकारियों कर्मचारियों के भुगतान में समस्या आ रही है।

प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने बताया कि प्रदेश के वित्त, योजना आर्थिक सांख्यिकी, वाणिज्यकर एवं जल संसाधन मंत्री जयंत मलैया द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट कार्ड को आंकड़ों का भ्रम जाल बताया है। इन्होंने कहा कि जिस प्रदेश पर लगभग 150 हजार करोड़ रूपयों का कर्ज बोझ हो, कर्मचारियों/अधिकारियों का वेतन के भुगतान में समस्या आ रही होे, शासकीय भुगतान रूके हुए हों, इसकी वजह से विकास कार्य ठप्प हों, वहां वित्त मंत्री अपनी कथित सफलता का राग अलापें, चिंताजनक है।

मिश्रा ने आगे कहा कि सरकार के कथनानुसार यदि प्रधानमंत्री जन-धन योजना प्रदेश में 100 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर चुकी है, तब अभी भी यह क्यों और किसलिए जारी है? वास्तविक विकास दिखाई नहीं दे रहा है, इस स्थिति में पैसा कहां जा रहा है? घातक नशे के रूप में सिगरेट जैसी वस्तु पर वैट 25 प्रतिशत से घटाकर 17 प्रतिशत कर देना और 500 करोड़ रूपए की राजस्व हानि का कारण बताते हुए पेट्रोल-डीजल पर 4 प्रतिशत वैट बढ़ा देना राजनैतिक कौशल है, या सिगरेट माफियाओं के समक्ष आत्म समर्पण? वित्त मंत्री की यह स्वीकारोक्ति कि कर्ज की वजह से पहले बहुत बड़ी राशि ब्याज के रूप में अदा की जाती थी, क्या अब सरकार पर लगभग 150 करोड़ रूपयों का जो कर्ज है, वह ब्याज रहित है?

विकास कार्य क्यों है लंबित?
मिश्रा ने कहा कि मंत्री के कथनानुसार प्रदेश के लगभग 50 हजार 982 गांवों का मास्टर प्लान तैयार हो चुका है और यह प्लान बने लगभग 3 वर्ष हो चुके हैं तो उस मास्टर प्लान का क्रियान्वयन क्यों नहीं हो सका? इन क्षेत्रों के 5.50 लाख विकास कार्य लंबित हैं, वे शुरू क्यों नहीं हो पा रहे हैं।

एक ही बारिश में बह गए तालाब:
इसी तरह जल संसाधन विभाग एक तरह से ठेके पर चल रहा है, ईएनसी के महत्वपूर्ण पद पर एक ही अधिकारी को तीसरी बार संविदा नियुक्ति दी गई है, क्या अन्य अधिकारी निकम्मे है, लगातार दी जा रही इस संविदा नियुक्ति के नेपेथ्य में क्या आर्थिक कारण है? अन्य पदस्थ अधिकारियों को ही प्रभारी के रूप में कार्यभार सौंपकर काम क्यों कराया जा रहा है? बुंदेलखंड पैकेज के तहत क्षेत्र में जो तालाब बनाए गए थे, वे एक ही बारिश में क्यों बह गए?

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