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अजा/अजजा के करोड़ों रुपए के धन में बंदरबांट: कांग्रेस

भोपाल। अजा/अजजा वर्ग के विकास के लिए आरक्षित बजट भ्रष्टाचार की बलि चढ़ता जा रहा है, ऐसा आरोप कांग्रेस ने लगाया है। कांग्रेस ने आदिम जाति कल्याण मंत्री ज्ञान सिंह द्वारा मंत्रालय के प्रस्तुत रिपोर्ट कार्ड पर भी प्रहार करते हुए कहा कि अजा/अजजा वर्ग के विकास के लिए आरक्षित बजट भ्रष्टाचार की बलि चढ़ता जा रहा है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने इस वर्ग के कल्याण के लिए पिछले 10 वर्षों में करोड़ों-अरबों रुपयों का धन मुहैया कराया, किंतु इस बड़ी राशि का इस वर्ग के हित में पर्याप्त उपयोग नहीं हो सका।

प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने बताया कि मंत्रीजी बताएं कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने 100 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय योजना प्रारंभ की थी, जिसमें विद्यालयों में छात्रावास, कर्मचारी निवास आदि की व्यवस्था है। मप्र में भी 12 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय खोले जाने का प्रावधान था, अब तक कितने विद्यालय खुले? आदिवासी क्षेत्रों में मेट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति के लिए वोकेशनल ट्रेनिग सेंटर व स्वैच्छिक सहायता संगठनों के लिए प्राप्त धनराशि का कितना उपयोग हुआ? प्रदेश में अजा/अजजा वर्ग पर अत्याचार उत्तरोत्तर बढ़े हैं, इसे लेकर सरकार संवेदनशील क्यों नहीं है?

आदिवासियों की राशि में बंदरबांट:
मध्यप्रदेश सरकार ने अपने बजट में 21 प्रतिशत राशि आदिवासियों के नाम पर खर्च करने की बात कही थी, आज उसका कितना पालन हो रहा है, इतनी बड़ी राशि कहां जा रही है? आदिवासी क्षेत्रों के लिए बनाए गए स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक व अन्य अमला क्यों नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा विशेष घटक योजना जिसके तहत जनजातीय गांवों को जाड़ने के लिए प्रतिवर्ष 300 करोड़ रुपए की धनराशि मिलती है, किंतु लोक निर्माण विभाग सिर्फ 50 फीसदी राशि ही खर्च कर पाता है, इस असफलता का दोषी कौन है? केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आदिवासियों के विकास के लिए पिछले 10 वर्षों में कितने करोड़ रूपयों की राशि का प्रावधान किया गया था? प्रदेश में उनका कितना उपयोग हुआ?

अजा को उपलब्ध नहीं कराए जा रहे फार्म:
मिश्रा ने यह भी कहा कि आखिरकार क्या कारण है कि प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों को पंचायत स्तर पर दावा फार्म उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। आदिवासियों को उनकी जाति के प्रमाण पत्र बनाने में परेशानियां क्यों आ रही हैं? पटवारियों ने वनग्रामों के नक्शे, खसरा, पंजी, निस्तार पत्रक बनाकर वनानिधकार समितियों को क्यों नहीं दिए है?

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