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मांझी हुए बागी, विधानसभा भंग भी कर सकते हैं

पटना : बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाए जाने की चर्चाओं के बीच जीतन राम मांझी ने खुलकर बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव की ओर से शनिवार को बुलाई गई विधायक दल की बैठक में जाने से इनकार करते हुए मांझी ने अब 20 फरवरी को विधायकों की बैठक बुलाई है। मांझी का कहना है कि विधायक दल के नेता वह हैं, लिहाजा किसी और की ओर से बुलाई गई बैठक अवैध है।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनके इस्तीफे की खबर बेबुनियाद है, जिसका वह खंडन करते हैं। मांझी के खास सहयोगी शकुनि चौधरी ने मांझी का समर्थन करते हुए कहा कि मांझी आग हैं और जो उन्हें छुएगा जल जाएगा।

इससे पहले बिहार में संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने बताया था कि जेडी (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के कहने पर शनिवार को पार्टी विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। उक्त बैठक के अजेंडे के बारे में पूछे जाने पर श्रवण ने कहा कि उसमें वर्तमान राजनीतिक हालात पर चर्चा होगी।
 
विधायक दल की बैठक बुलाए जाने की खबर फैलने पर शिक्षा मंत्री वृषिण पटेल, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री महाचंद्र सिंह और नगर विकास मंत्री सम्राट चौधरी और एमएलए अनिल कुमार, जेडी (यू) के बागी एमएलए ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानु और रविंद्र राय मांझी, जेडी (यू ) के सीनियर नेता शकुनि चौधरी मांझी के समर्थन में उनके आवास पर पहुंचे।

शकुनि चौधरी ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मांझी आग हैं और जो भी उनको छूने की कोशिश करेगा उसके हाथ जल जाएंगे। सूत्रों के अनुसार मांझी शुक्रवार को विधानसभा भंग करने की सिफारिश भी कर सकते हैं।

जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा, 'हालात नाजुक हैं। हम एक शांतिपूर्ण परिवर्तन चाहते हैं। बातचीत जारी है।' नीतीश कुमार के सहयोगी मांझी को मनाने में लगे हैं ताकि वह बगैर शक्ति प्रदर्शन किए नीतीश के लिए रास्ता साफ कर दें। यहां नीतीश के लिए मुश्किल यह है कि कम से कम 25 जेडी (यू) एमएलए मांझी के साथ हैं और जरूरत पड़ने पर उनके लिए वोट कर सकते हैं।

लोकसभा चुनाव में जेडी(यू) की करारी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए बीते साल 19 मई को नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए मांझी को साल 2015 के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव तक के लिए अपना उत्तराधिकारी चुना था, पर उनके विवादित बयानों के कारण पार्टी नेताओं को फजीहत झेलनी पड़ रही है।

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