बिहार ने 2015 में नया राजनीतिक मार्ग प्रशस्त किया
पटना : नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में जदयू-राजद-कांग्रेस के बीच महागठबंधन बनने के बाद 2015 का अंतिम महीनों के राजनीतिक घटनाक्रम से बिहार ने राष्ट्रीय राजनीति को एक नया मोड दे दिया।
नीतीश कुमार ने 20 नवंबर को पांचवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली जिसमें नरेंद्र मोदी नीत राजग सरकार के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए भाजपा विरोधी दलों के शीर्ष नेता शामिल हुए।
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित नीतीश के शपथग्रहण समारोह में राजद प्रमुख लालू प्रसाद, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के साथ-साथ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौडा, राकांपा प्रमुख शरद पवार, नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, डीएमके नेता एम ए स्टालिन, शिवसेना पार्टी के मंत्री रामदास कदम और सुभाष देसाई, शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई, केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी शामिल हुए।
बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाला राजग मात्र 58 सीटें ही पा सका। इसमें लोजपा, रालोसपा और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा शामिल हैं।राजद प्रमुख लालू प्रसाद की राजनीति के केन्द्रीय मंच पर फिर से वापसी हुई क्योंकि उनकी पार्टी ने चुनाव में सबसे अधिक 80 सीटें जीतीं।अब्दुल बारी सिद्दीकी सहित राजद के कई अन्य बडे नेताओं के बीच तेजस्वी को नई सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया गया। उधर नीतीश कुमार ने अपने विश्वस्त माने जाने वाले विजय चौधरी को 16वीं बिहार विधानसभा का अध्यक्ष बनाया।
नीतीश कुमार ने 20 नवंबर को पांचवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली जिसमें नरेंद्र मोदी नीत राजग सरकार के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए भाजपा विरोधी दलों के शीर्ष नेता शामिल हुए।
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित नीतीश के शपथग्रहण समारोह में राजद प्रमुख लालू प्रसाद, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के साथ-साथ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौडा, राकांपा प्रमुख शरद पवार, नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, डीएमके नेता एम ए स्टालिन, शिवसेना पार्टी के मंत्री रामदास कदम और सुभाष देसाई, शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई, केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी शामिल हुए।
बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाला राजग मात्र 58 सीटें ही पा सका। इसमें लोजपा, रालोसपा और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा शामिल हैं।राजद प्रमुख लालू प्रसाद की राजनीति के केन्द्रीय मंच पर फिर से वापसी हुई क्योंकि उनकी पार्टी ने चुनाव में सबसे अधिक 80 सीटें जीतीं।अब्दुल बारी सिद्दीकी सहित राजद के कई अन्य बडे नेताओं के बीच तेजस्वी को नई सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया गया। उधर नीतीश कुमार ने अपने विश्वस्त माने जाने वाले विजय चौधरी को 16वीं बिहार विधानसभा का अध्यक्ष बनाया।
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