सर्दी के कारण 400 कश्मीरी लोगों ने शहर में ली शरण
अहमदाबाद : पिछले साल की विनाशकारी बाढ के बाद साल के इन दिनों की कडाके की ठंड के कारण जम्मू कश्मीर के 400 लोगों को अपना पैतृक स्थान छोडकर शहर के सारसपुर इलाके की एक झुग्गी में शरण लेना पडा है।शहर में पहुंचने के बाद ये 60 परिवार सारसपुर इलाके के खुले क्षेत्र में प्लास्टिक शीट से अस्थायी झोपडी बना कर रह रहे हैं। ये परिवार बडगाम, अनंतनाग, द्रास, लेह और कारगिल जैसी जगहों के रहने वाले हैं।
बडगाम के रहने वाले एक व्यक्ति ने कहा कई अन्य परिवारों को इस सर्दी में दूसरी जगह जाने को मजबूर होना पडा है। हम लोग इसलिए गुजरात आये हैं क्योंकि हमने सुना है कि यहां के लोग काफी मित्रवत व्यवहार करने वाले होते हैं। अब हम लोग जब तक यहां हैं, उनसे कुछ सहायता की उम्मीद करते हैं क्योंकि हम लोगों के पास कुछ भी खरीदने के लिए धन नहीं है।
उन लोगों के अनुसार पहली बार उन लोगों को अपना पैतृक स्थान छोडना पडा है क्योंकि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। कारगिल के रहने वाले बशीर अहमद ने कहा बाढ के कारण हम लोगों के घर, खेत और व्यावसाय खत्म हो गये। हम लोगों में से बहुसंख्य या तो किसान हैं या कारीगर हैं जिनकी आय बहुत कम है। सरकार घर बनाती उससे पहले ही घाटी में बहुत अधिक बर्फबारी शुरू हो गयी, जिसके कारण निर्माण कार्य रूक गया।
उन्होंने कहा पहली बार, हम लोगों को दूसरी जगह आना पडा है। हम लोग एक महीने पहले यहां आये हैं और शिविरों में रह रहे हैं, जहां हम लोगों के पास भोजन और पेयजल की सुविधा नहीं है। मैं स्थानीय लोगों और नेताओं से हम लोगों की सहायता करने का आग्रह करता हूं क्योंकि हम लोगों के साथ कई महिलाएं और छोटे बच्चे भी हैं।अनंतनाग के एक व्यक्ति के अनुसार वे लोग यहां आने को लेकर स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया से भयभीत हैं।ठंड कम होने पर इन लोगों की मार्च तक कश्मीर लौटने की योजना है।
बडगाम के रहने वाले एक व्यक्ति ने कहा कई अन्य परिवारों को इस सर्दी में दूसरी जगह जाने को मजबूर होना पडा है। हम लोग इसलिए गुजरात आये हैं क्योंकि हमने सुना है कि यहां के लोग काफी मित्रवत व्यवहार करने वाले होते हैं। अब हम लोग जब तक यहां हैं, उनसे कुछ सहायता की उम्मीद करते हैं क्योंकि हम लोगों के पास कुछ भी खरीदने के लिए धन नहीं है।
उन लोगों के अनुसार पहली बार उन लोगों को अपना पैतृक स्थान छोडना पडा है क्योंकि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। कारगिल के रहने वाले बशीर अहमद ने कहा बाढ के कारण हम लोगों के घर, खेत और व्यावसाय खत्म हो गये। हम लोगों में से बहुसंख्य या तो किसान हैं या कारीगर हैं जिनकी आय बहुत कम है। सरकार घर बनाती उससे पहले ही घाटी में बहुत अधिक बर्फबारी शुरू हो गयी, जिसके कारण निर्माण कार्य रूक गया।
उन्होंने कहा पहली बार, हम लोगों को दूसरी जगह आना पडा है। हम लोग एक महीने पहले यहां आये हैं और शिविरों में रह रहे हैं, जहां हम लोगों के पास भोजन और पेयजल की सुविधा नहीं है। मैं स्थानीय लोगों और नेताओं से हम लोगों की सहायता करने का आग्रह करता हूं क्योंकि हम लोगों के साथ कई महिलाएं और छोटे बच्चे भी हैं।अनंतनाग के एक व्यक्ति के अनुसार वे लोग यहां आने को लेकर स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया से भयभीत हैं।ठंड कम होने पर इन लोगों की मार्च तक कश्मीर लौटने की योजना है।
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