पाकिस्तान की पोल खोलेगा हेडली, बना सरकारी गवाह
मुंबई : साल 2008 में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले में पाकिस्तान की भूमिका की कलई अब आतंकी डेविड कोलमैन हेडली परत दर परत खोलेगा। वीडियो लिंक के माध्यम से गुरुवार को हुई पेशी के दौरान मुंबई हमलों के साजिशकर्ता हेडली ने जांच में पूरा सहयोग करने का भरोसा दिलाया है।
लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली को आज मुंबई की एक अदालत ने 26-11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में सरकारी गवाह बनाया और उसे माफी दे दी। यह घटनाक्रम पाकिस्तान में हमलों के लिए रची गयी साजिश की सचाई सामने लाने में मददगार हो सकता है। हेडली आठ फरवरी, 2016 को अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर गवाही देगा।
फिलहाल मुंबई आतंकी हमलों में अपनी भूमिका को लेकर अमेरिका में 35 साल कैद की सजा काट रहे हेडली ने आज यहां एक अदालत में एक अज्ञात स्थान से वीडियो लिंक के माध्यम से कहा कि वह माफी दिये जाने पर गवाही देने को तैयार है।
विशेष सरकारी अभियोजक उज्ज्वल निकम ने अदालत को बताया कि अभियोजन पक्ष हेडली की पेशकश से सहमत है, जिसके बाद न्यायाधीश जी ए सनप ने हेडली को कुछ शतोंर् के साथ सरकारी गवाह बना दिया और उसे माफी दे दी।
अपना गुनाह कबूल करता हूं : हेडली
मुझे अदालत में मेरे खिलाफ दाखिल आरोपपत्र मिला है। इसमें मुझ पर वही आरोप लगाए गए हैं जिसके लिए अमेरिका में मुझ पर आरोप लगाए गए हैं। मैंने अमेरिका में अपना गुनाह कबूल किया था और मैंने स्वीकार किया था कि मैं इन आरोपों में सहभागी था। मैंने अमेरिका में अपनी याचिका में उन अपराधों में अपनी भूमिका कबूल की थी। मैंने इस अदालत में गवाह के तौर पर खुद को उपलब्ध कराने पर भी सहमति जताई थी। अगर मुझे इस अदालत से माफी मिल जाती है तो मैं इन घटनाक्रम से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हूं। (वीडियो लिंक में हेडली का बयान)
अदालत ने 18 नवंबर को कहा था कि हेडली को 10 दिसंबर को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जरूर पेश किया जाना चाहिए। अदालत ने उसे आरोपी बनाने की मुंबई पुलिस की याचिका को मंजूर कर लिया था।
पुलिस ने कहा था कि उस पर हमलों के प्रमुख साजिशकर्ता सैयद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जंदल के साथ मुंबई की अदालत द्वारा मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
पुलिस की अर्जी में यह भी संज्ञान लिया गया कि हेडली ने 2010 में अमेरिकी अधिकारियों के साथ माफी देने के लिए सरकारी गवाह बनने का समक्षौता किया था और स्वेच्छा से इस बात को उसने कबूल किया कि वह मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए हमलों की साजिश में शामिल था जिनमें 166 लोग मारे गये थे।
पांच बार दौरा कर की थी मुंबई में रेकी
मुंबई पर आतंकी हमले की योजना बनाने के लिए आतंकी डेविड हेडली ने 2006 और 2008 के बीच कथित तौर पर पांच बार भारत का दौरा किया। इस दौरान उसने ताज होटल, ओबरॉय होटल और नरीमन हाउस जैसी जगहों पर जाकर वीडियो फुटेज बनाए। इन फुटेज के आधार पर आतंकवादियों ने 26 नवंबर, 2008 को निशाना बनाया था। मुंबई के प्रमुख स्थानों पर हेडली की ओर से टोह लिए आने के आधार पर ही लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों को मुंबई में प्रवेश कराया था।
35 साल की सजा
2009 में शिकागो से हेडली को गिरफ्तार किया गया था। 24 जनवरी 2013 को अमेरिका की संघीय कोर्ट ने हेडली को दोषी करार दिया था और मुंबई हमले में भूमिका के लिए 35 साल की जेल सुनाई गई थी। जेल में सजा काट रहे हेडली ने अपने संस्मरण लिखे हैं जिसमें मुंबई हमलों की योजना का विस्तार से जिक्र किया है।
भारत से नफरत करता था
हेडली ने अमेरिकी अदालत में बताया था कि वह भारत से नफरत करता था। इसका कारण था 1971 के जंग में पाकिस्तान की शिकस्त और भारत के सहयोग से एक नए देश बांग्लादेश का जन्म। इस जंग में हेडली के स्कूल की इमारत भारतीय बमबारी से तबाह हो गई थी।
दाऊद बनाम हेडली
54 साल डेविड कोलमैन हेडली पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी आतंकवादी है। उसका पुराना नाम दाऊद सैयद गिलानी था। वह पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तोएबा का अंडरकवर एजेंट रहा है।
2002 से 2006 के बीच हेडली को अलग अलग कैंपों में तीन बार सैन्य प्रशिक्षण दिया गया। उसने लश्कर के विचारों से प्रभावित होकर धार्मिक प्रशिक्षण भी लिया था।
2006 में उसने अमेरिका जाकर अपना नाम दाऊद से बदलकर डेविड कोलमैन हेडली रखा। इसी नाम से उसने अमेरिकी पासपोर्ट हासिल किया।
2007 में हेडली में आतंकी हमले के लिए मुंबई मिशन शुरू किया। इसके लिए उसने अपने बचपन के दोस्त तहव्वुर राणा का भी सहयोग लिया।
लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली को आज मुंबई की एक अदालत ने 26-11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में सरकारी गवाह बनाया और उसे माफी दे दी। यह घटनाक्रम पाकिस्तान में हमलों के लिए रची गयी साजिश की सचाई सामने लाने में मददगार हो सकता है। हेडली आठ फरवरी, 2016 को अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर गवाही देगा।
फिलहाल मुंबई आतंकी हमलों में अपनी भूमिका को लेकर अमेरिका में 35 साल कैद की सजा काट रहे हेडली ने आज यहां एक अदालत में एक अज्ञात स्थान से वीडियो लिंक के माध्यम से कहा कि वह माफी दिये जाने पर गवाही देने को तैयार है।
विशेष सरकारी अभियोजक उज्ज्वल निकम ने अदालत को बताया कि अभियोजन पक्ष हेडली की पेशकश से सहमत है, जिसके बाद न्यायाधीश जी ए सनप ने हेडली को कुछ शतोंर् के साथ सरकारी गवाह बना दिया और उसे माफी दे दी।
अपना गुनाह कबूल करता हूं : हेडली
मुझे अदालत में मेरे खिलाफ दाखिल आरोपपत्र मिला है। इसमें मुझ पर वही आरोप लगाए गए हैं जिसके लिए अमेरिका में मुझ पर आरोप लगाए गए हैं। मैंने अमेरिका में अपना गुनाह कबूल किया था और मैंने स्वीकार किया था कि मैं इन आरोपों में सहभागी था। मैंने अमेरिका में अपनी याचिका में उन अपराधों में अपनी भूमिका कबूल की थी। मैंने इस अदालत में गवाह के तौर पर खुद को उपलब्ध कराने पर भी सहमति जताई थी। अगर मुझे इस अदालत से माफी मिल जाती है तो मैं इन घटनाक्रम से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हूं। (वीडियो लिंक में हेडली का बयान)
अदालत ने 18 नवंबर को कहा था कि हेडली को 10 दिसंबर को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जरूर पेश किया जाना चाहिए। अदालत ने उसे आरोपी बनाने की मुंबई पुलिस की याचिका को मंजूर कर लिया था।
पुलिस ने कहा था कि उस पर हमलों के प्रमुख साजिशकर्ता सैयद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जंदल के साथ मुंबई की अदालत द्वारा मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
पुलिस की अर्जी में यह भी संज्ञान लिया गया कि हेडली ने 2010 में अमेरिकी अधिकारियों के साथ माफी देने के लिए सरकारी गवाह बनने का समक्षौता किया था और स्वेच्छा से इस बात को उसने कबूल किया कि वह मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए हमलों की साजिश में शामिल था जिनमें 166 लोग मारे गये थे।
पांच बार दौरा कर की थी मुंबई में रेकी
मुंबई पर आतंकी हमले की योजना बनाने के लिए आतंकी डेविड हेडली ने 2006 और 2008 के बीच कथित तौर पर पांच बार भारत का दौरा किया। इस दौरान उसने ताज होटल, ओबरॉय होटल और नरीमन हाउस जैसी जगहों पर जाकर वीडियो फुटेज बनाए। इन फुटेज के आधार पर आतंकवादियों ने 26 नवंबर, 2008 को निशाना बनाया था। मुंबई के प्रमुख स्थानों पर हेडली की ओर से टोह लिए आने के आधार पर ही लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों को मुंबई में प्रवेश कराया था।
35 साल की सजा
2009 में शिकागो से हेडली को गिरफ्तार किया गया था। 24 जनवरी 2013 को अमेरिका की संघीय कोर्ट ने हेडली को दोषी करार दिया था और मुंबई हमले में भूमिका के लिए 35 साल की जेल सुनाई गई थी। जेल में सजा काट रहे हेडली ने अपने संस्मरण लिखे हैं जिसमें मुंबई हमलों की योजना का विस्तार से जिक्र किया है।
भारत से नफरत करता था
हेडली ने अमेरिकी अदालत में बताया था कि वह भारत से नफरत करता था। इसका कारण था 1971 के जंग में पाकिस्तान की शिकस्त और भारत के सहयोग से एक नए देश बांग्लादेश का जन्म। इस जंग में हेडली के स्कूल की इमारत भारतीय बमबारी से तबाह हो गई थी।
दाऊद बनाम हेडली
54 साल डेविड कोलमैन हेडली पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी आतंकवादी है। उसका पुराना नाम दाऊद सैयद गिलानी था। वह पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तोएबा का अंडरकवर एजेंट रहा है।
2002 से 2006 के बीच हेडली को अलग अलग कैंपों में तीन बार सैन्य प्रशिक्षण दिया गया। उसने लश्कर के विचारों से प्रभावित होकर धार्मिक प्रशिक्षण भी लिया था।
2006 में उसने अमेरिका जाकर अपना नाम दाऊद से बदलकर डेविड कोलमैन हेडली रखा। इसी नाम से उसने अमेरिकी पासपोर्ट हासिल किया।
2007 में हेडली में आतंकी हमले के लिए मुंबई मिशन शुरू किया। इसके लिए उसने अपने बचपन के दोस्त तहव्वुर राणा का भी सहयोग लिया।
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