प्राचीन भूकंपों के संकेतों को समझने की कोशिश कर रहे वैज्ञानिक
नयी दिल्ली : भूकंपों के लिहाज से भारत बेहद संवेदनशील है। विश्व बैंक के एक आकलन के अनुसार, हर साल भारत के विभिन्न इलाकों में लगभग 1000 छोटे-बडे भूकंप आते हैं।बीती तीन जनवरी को इंफाल में तडके आए 6.7 तीव्रता के भूकंप से ज्यादा लोग हताहत तो नहीं हुए लेकिन इसे एक अन्य चेतावनी के रूप में जरूर देखा जाना चाहिए।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने एक आकलन में पाया है कि भारत का लगभग 59 प्रतिशत हिस्सा मध्यम या तेज भूकंपीय खतरे के लिहाज से संवेदनशील है।इस आकलन में शुरूआत में पाया गया कि भारत के उपनगरीय इलाकों में अधिकतर इमारतें योजनाबद्ध तरीके से नहीं बनाई गई हैं और इनमें भूकंप रोधी निर्माण सिद्धांतों का पालन भी नहीं किया गया है। पारंपरिक मकानों की जगह आधुनिक सीमेंट कंकरीट की इमारतें ले रही हैं। इस दौरान इमारत के नियमों और उपनियमों का पालन अक्सर नहीं किया जाता।
एनडीएमए की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 1990 और 2006 के बीच भारत में तीन भीषण भूकंप आए और इनके कारण 23 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इन भूकंपों के कारण अवसंरचनाओं का भी भारी नुकसान हुआ था।
जाने-माने विज्ञान लेखक पल्लव बाग्ला के द्वारा लिखा गया लेख
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने एक आकलन में पाया है कि भारत का लगभग 59 प्रतिशत हिस्सा मध्यम या तेज भूकंपीय खतरे के लिहाज से संवेदनशील है।इस आकलन में शुरूआत में पाया गया कि भारत के उपनगरीय इलाकों में अधिकतर इमारतें योजनाबद्ध तरीके से नहीं बनाई गई हैं और इनमें भूकंप रोधी निर्माण सिद्धांतों का पालन भी नहीं किया गया है। पारंपरिक मकानों की जगह आधुनिक सीमेंट कंकरीट की इमारतें ले रही हैं। इस दौरान इमारत के नियमों और उपनियमों का पालन अक्सर नहीं किया जाता।
एनडीएमए की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 1990 और 2006 के बीच भारत में तीन भीषण भूकंप आए और इनके कारण 23 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इन भूकंपों के कारण अवसंरचनाओं का भी भारी नुकसान हुआ था।
जाने-माने विज्ञान लेखक पल्लव बाग्ला के द्वारा लिखा गया लेख
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