हिमालयी क्षेत्र में जल्द आ सकता है तीव्र भूकंप चेतावनी जारी
नई
दिल्ली: हिमालयी क्षेत्र में जल्द ही तीव्र भूकंप आ सकता है। केंद्रीय गृह
मंत्रालय के आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों ने इस बात की चेतावनी दी है। टाइम्स
ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों का कहना है कि रियेक्टर स्केल
पर 8 या फिर इससे भी अधिक तीव्रता वाला भूकंप हिमालयी क्षेत्र को हिलाकर
रख सकता है। उनका कहना है कि सोमवार को मणिपुर में आए भूकंप से कहीं अधिक
तीव्रता वाला एक भूकंप भविष्य में इस इलाके को हिलाने वाला है। विशेषज्ञों
का कहना है कि हाल ही में मणिपुर 6.7 (जनवरी 2016), नेपाल में 7.3 (मई
2015) और सिक्किम में साल 2011 में आए 6.9 तीव्रता वाले भूकंपों की वजह से
यहां की भूगर्भीय प्लेटों में और उथल-पुथल हो गई है।
पहले के झटकों के दौरान इनमें दरारें पैदा हो गई थीं, लेकिन अब हालिया भूकंपों के कारण यह और भी गंभीर हो गई हैं। इससे कई भूकंप आ सकते हैं, जो कि 8.0 या इससे भी अधिक तीव्रता के हो सकते हैं। एमएचए के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) ने चेतावनी दी थी कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र, खासतौर पर पहाड़ो में भयंकर भूकंप का खतरा काफी बढ़ गया है। ईटानगर में हाल ही में आयोजित एनआईडीएम की एक बैठक में भी यह मुद्दा उठाया गया।
भारत के 11 पहाड़ी राज्यों के नीति निर्माताओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया और पहाड़ों पर मंडरा रहे इस बेहद गंभीर संकट से निपटने के लिए एक कार्यक्रम व योजना शुरू करने का फैसला किया। भूकंपीय संवेदनशीलता के मुताबिक भारत 4 क्षेत्रों में बंटा हुआ है। सबसे संवेदनशील क्षेत्र वर्ग 5 को माना जाता है। इसमें पूर्वोत्तर के राज्य, उत्तरी बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, गुजरात और अंडमान व निकोबार द्वीप आते हैं। दिल्ली वर्ग 4 में है और इसे काफी संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे संकट की स्थितियों से लड़ने के लिए भारत के शहरी इलाकों की स्थिति काफी कमजोर है और अगर बेहद आबादी वाले भारत के किसी शहरी इलाके में भूकंप आता है तो जानमाल का बहुत ज्यादा नुकसान होने की संभावना है।
पहले के झटकों के दौरान इनमें दरारें पैदा हो गई थीं, लेकिन अब हालिया भूकंपों के कारण यह और भी गंभीर हो गई हैं। इससे कई भूकंप आ सकते हैं, जो कि 8.0 या इससे भी अधिक तीव्रता के हो सकते हैं। एमएचए के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) ने चेतावनी दी थी कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र, खासतौर पर पहाड़ो में भयंकर भूकंप का खतरा काफी बढ़ गया है। ईटानगर में हाल ही में आयोजित एनआईडीएम की एक बैठक में भी यह मुद्दा उठाया गया।
भारत के 11 पहाड़ी राज्यों के नीति निर्माताओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया और पहाड़ों पर मंडरा रहे इस बेहद गंभीर संकट से निपटने के लिए एक कार्यक्रम व योजना शुरू करने का फैसला किया। भूकंपीय संवेदनशीलता के मुताबिक भारत 4 क्षेत्रों में बंटा हुआ है। सबसे संवेदनशील क्षेत्र वर्ग 5 को माना जाता है। इसमें पूर्वोत्तर के राज्य, उत्तरी बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, गुजरात और अंडमान व निकोबार द्वीप आते हैं। दिल्ली वर्ग 4 में है और इसे काफी संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे संकट की स्थितियों से लड़ने के लिए भारत के शहरी इलाकों की स्थिति काफी कमजोर है और अगर बेहद आबादी वाले भारत के किसी शहरी इलाके में भूकंप आता है तो जानमाल का बहुत ज्यादा नुकसान होने की संभावना है।
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