दल और दिल की बढ़ी धड़कनें
सवाल दर सवाल(राकेश अग्निहोत्री)
कृष्णगोपाल शिवराज के साथ भोपाल में
मैहर उपचुनाव का प्रचार थमने के साथ सियासी दलों और सियासतदानों की धड़कनें बढ़ गई हैं..तो भोजशाला के लिए चर्चित धार में बनी धर्मसंकट की स्थिति ने दो समुदायों के कथित नेताओं और क्षेत्रवासियों की भी धड़कनें बढ़ा दी हैं..मैहर में एक दिन बाद वोट डाले जाएंगे तो उससे पहले भोजशाला में नमाज और सरस्वती पूजा को लेकर उपजी तनाव की स्थिति ने भोपाल से लेकर दिल्ली का ध्यान भी अपनी ओर आकर्षित कर रखा है..जब भोजशाला में पूजा के बीच इबादत सुनिश्चित कराना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी तब भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संघ के सहसरकार्यवाह कृष्णगोपाल के साथ रवीन्द्र भवन में मंच साझा करेंगे तो वहां भी अध्यात्म और विज्ञान की चर्चा होगी, जो सिंहस्थ के वैचारिक महाकुंभ की एक अहम कड़ी होगी..सवाल ये खड़ा होता है कि सेकुलर शिवराज और उनके-हमारे मध्यप्रदेश में छावनी में तब्दील हो चुके धार में कोई अप्रिय स्थिति निर्मित नहीं होने देने को लेकर शासन, प्रशासन और सरकार यदि गंभीर है तो उसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे?
मैहर का प्रचार थमने के बाद शीर्ष नेता जब वहां से बाहर हो गए, तो अब सबकी नजर मतदान पर टिक गई है..जो हार-जीत का फैसला करेगा..प्रचार का शोर थमने के साथ ही मैहर के मतदाताओं की भूमिका अहम हो गई है, जिसमें खुले तौर पर कांग्रेस-बीजेपी समर्थक माने जाने वाले वर्ग के अलावा सपा, बसपा और भ्रमित मतदाताओं का बड़ी भूमिका निभाना तय है, जो फैसला अंतिम समय पर लेता है और जिसका मानस बदलने के लिए दोनों दलों ने पूरी ताकत झोंकी..घर-घर दस्तक, स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा संबंधों की दुहाई और बूथ मैनेजमेंट के प्रलोभन और व्यक्तिगत रिश्तों का वास्ता दिया जाना तय है..मैहर के मतदाता की भूमिका भले ही जीत-हार तक सीमित हो लेकिन इसके परिणाम सियासत में उठापटक मचाने का सामर्थ्य जरूर रखता है, क्योंकि इस उपचुनाव में कई नेताओं की साख दांव पर लग चुकी है..इसलिए कांग्रेस और बीजेपी के नीति निर्धारकों के दिल की धड़कनें बढ़ना लाजमी है..मैहर में मतदान में भले ही समय है, लेकिन भोजशाला में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यकों के बीच समन्वय बनाना प्रशासन केलिए टेड़ी खीर साबित हो रहा है..बंद कमरे में आंदोलनकारियों की प्रशासन और सियासतदानों से चल रही मंत्रणा के बीच संकेत ये मिले हैं कि सरकार के दबाव और उसके हस्तक्षेप के बाद हिन्दुत्व के पैरोकारों खासतौर से भोजशाला उत्सव समिति के नुमाइंदों को इस बात के लिए राजी कर लिया जाएगा कि वो धार की परंपरा को कायम रखने में सहयोग दें जिसके लिए गाइडलाइन एएसआई बना चुका है तो प्रशासन ने भी इसे अंजाम तक पहुंचाने की तैयारी पूरी कर ली है..हस्तक्षेप कोर्ट का भी सामने आ चुका है...ये सच है कि धार में तनाव के हालात हैं...यदि 7 हजार अतिरिक्त फोर्स के साथ ड्रोन कैमरे से बारीक नजर भोजशाला और उसके आसपास रखी जा रही है तो प्रशासन ये मानकर चल रहा है कि चुनौती बड़ी है..दिनभर पूजा के बीच नमाजियों को सुरक्षित दरगाह तक ले जाने और सुरक्षित बाहर निकालने की रणनीति प्रशासन ने बना ली है..मीडिया का फोकस भोजशाला पर केंद्रित है चाहे फिर वो नेशनल मीडिया हो या फिर स्थानीय और क्षेत्रीय खबरनवीस..मुख्यमंत्री ने मैहर से लौटने के बाद खुद अधिकारियों से फीडबैक लिया..धार में भगवाधारियों के आक्रोश और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री समेत जिले के प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा और संगठन महामंत्री अरविन्द मेनन संघ के नेताओं के लगातार संपर्क में हैं..इसे संयोग ही कहेंगे कि शिवराज सिंह चौहान भोपाल के रवीन्द्र भवन में बीजेपी और संघ के बीच राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय का काम देखने वाले संघ के सहसरकार्यवाह भैयाजी जोशी के साथ उस वक्त मंच साझा करेंगे जब भोजशाला में वसंतपंचमी का पूजा शुरू हो चुकी होगी और उसके ठीक बाद अल्पसंख्यकों के लिए इसे खाली करवाना होगा..कृष्णगोपाल मेपकास्ट द्वारा आयोजित जिस कार्यक्रम में शिरकत कर रहे हैं उसका विषय अध्यात्म और विज्ञान है..मुख्यमंत्री इसके बाद इंदौर और खंडवा के लिए रवाना होंगे जहां उन्हें स्मार्ट सिटी और हनुवंतिया जल महोत्सव में शिरकत करना है। देखना दिलचस्प होगा कि संघ के शीर्ष नेता की भोपाल में मौजूदगी का दबाव सरकार पर क्या गुल खिलाता है? एक दिन पहले ही भोपाल से लेकर धार तक अधिकारी सजग और सतर्क हो गए हैं..दिल्ली की नजर में भी धार और भोजशाला आ चुका है..कारण पीएम नरेंद्र मोदी का एक हफ्ते बाद मध्यप्रदेश का वो दौरा है जिसमें वो देश को फसल बीमा योजना की सौगात का आगाज मध्यप्रदेश से वो भी मुख्यमंत्री के गृहजिले सीहोर से करने जा रहे हैं..देखना दिलचस्प होगा कि विरोधी दल की भूमिका में कांग्रेस भोजशाला के विवाद को हवा देने की आड़ में किस तरह सियासी हित साधती है। चुनौती मीडिया के सामने भी है जिससे शासन की अपेक्षा साफ है..कि माहौल साम्प्रदायिक सदभाव का बना रहे और अफवाहें गर्म न हों..ऐसे में धार प्रशासन ही नहीं वल्लभ भवन और पीएचक्यू में बैठे शीर्ष अफसरों के साथ श्यामलाहिल्स की भी धड़कनें बढ़ना भी लाजमी है.. बीजेपी की 12 साला सरकार रहते तनाव भोजशाला को लेकर पनपा है लेकिन समय रहते दोनों समुदायों को संतुष्ट करने का रास्ता भी निकाला जाता रहा है...
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Rakesh Agnihotri
political editor स्वराजExpress MP/CG
+919893309733
कृष्णगोपाल शिवराज के साथ भोपाल में
मैहर उपचुनाव का प्रचार थमने के साथ सियासी दलों और सियासतदानों की धड़कनें बढ़ गई हैं..तो भोजशाला के लिए चर्चित धार में बनी धर्मसंकट की स्थिति ने दो समुदायों के कथित नेताओं और क्षेत्रवासियों की भी धड़कनें बढ़ा दी हैं..मैहर में एक दिन बाद वोट डाले जाएंगे तो उससे पहले भोजशाला में नमाज और सरस्वती पूजा को लेकर उपजी तनाव की स्थिति ने भोपाल से लेकर दिल्ली का ध्यान भी अपनी ओर आकर्षित कर रखा है..जब भोजशाला में पूजा के बीच इबादत सुनिश्चित कराना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी तब भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संघ के सहसरकार्यवाह कृष्णगोपाल के साथ रवीन्द्र भवन में मंच साझा करेंगे तो वहां भी अध्यात्म और विज्ञान की चर्चा होगी, जो सिंहस्थ के वैचारिक महाकुंभ की एक अहम कड़ी होगी..सवाल ये खड़ा होता है कि सेकुलर शिवराज और उनके-हमारे मध्यप्रदेश में छावनी में तब्दील हो चुके धार में कोई अप्रिय स्थिति निर्मित नहीं होने देने को लेकर शासन, प्रशासन और सरकार यदि गंभीर है तो उसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे?
मैहर का प्रचार थमने के बाद शीर्ष नेता जब वहां से बाहर हो गए, तो अब सबकी नजर मतदान पर टिक गई है..जो हार-जीत का फैसला करेगा..प्रचार का शोर थमने के साथ ही मैहर के मतदाताओं की भूमिका अहम हो गई है, जिसमें खुले तौर पर कांग्रेस-बीजेपी समर्थक माने जाने वाले वर्ग के अलावा सपा, बसपा और भ्रमित मतदाताओं का बड़ी भूमिका निभाना तय है, जो फैसला अंतिम समय पर लेता है और जिसका मानस बदलने के लिए दोनों दलों ने पूरी ताकत झोंकी..घर-घर दस्तक, स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा संबंधों की दुहाई और बूथ मैनेजमेंट के प्रलोभन और व्यक्तिगत रिश्तों का वास्ता दिया जाना तय है..मैहर के मतदाता की भूमिका भले ही जीत-हार तक सीमित हो लेकिन इसके परिणाम सियासत में उठापटक मचाने का सामर्थ्य जरूर रखता है, क्योंकि इस उपचुनाव में कई नेताओं की साख दांव पर लग चुकी है..इसलिए कांग्रेस और बीजेपी के नीति निर्धारकों के दिल की धड़कनें बढ़ना लाजमी है..मैहर में मतदान में भले ही समय है, लेकिन भोजशाला में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यकों के बीच समन्वय बनाना प्रशासन केलिए टेड़ी खीर साबित हो रहा है..बंद कमरे में आंदोलनकारियों की प्रशासन और सियासतदानों से चल रही मंत्रणा के बीच संकेत ये मिले हैं कि सरकार के दबाव और उसके हस्तक्षेप के बाद हिन्दुत्व के पैरोकारों खासतौर से भोजशाला उत्सव समिति के नुमाइंदों को इस बात के लिए राजी कर लिया जाएगा कि वो धार की परंपरा को कायम रखने में सहयोग दें जिसके लिए गाइडलाइन एएसआई बना चुका है तो प्रशासन ने भी इसे अंजाम तक पहुंचाने की तैयारी पूरी कर ली है..हस्तक्षेप कोर्ट का भी सामने आ चुका है...ये सच है कि धार में तनाव के हालात हैं...यदि 7 हजार अतिरिक्त फोर्स के साथ ड्रोन कैमरे से बारीक नजर भोजशाला और उसके आसपास रखी जा रही है तो प्रशासन ये मानकर चल रहा है कि चुनौती बड़ी है..दिनभर पूजा के बीच नमाजियों को सुरक्षित दरगाह तक ले जाने और सुरक्षित बाहर निकालने की रणनीति प्रशासन ने बना ली है..मीडिया का फोकस भोजशाला पर केंद्रित है चाहे फिर वो नेशनल मीडिया हो या फिर स्थानीय और क्षेत्रीय खबरनवीस..मुख्यमंत्री ने मैहर से लौटने के बाद खुद अधिकारियों से फीडबैक लिया..धार में भगवाधारियों के आक्रोश और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री समेत जिले के प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा और संगठन महामंत्री अरविन्द मेनन संघ के नेताओं के लगातार संपर्क में हैं..इसे संयोग ही कहेंगे कि शिवराज सिंह चौहान भोपाल के रवीन्द्र भवन में बीजेपी और संघ के बीच राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय का काम देखने वाले संघ के सहसरकार्यवाह भैयाजी जोशी के साथ उस वक्त मंच साझा करेंगे जब भोजशाला में वसंतपंचमी का पूजा शुरू हो चुकी होगी और उसके ठीक बाद अल्पसंख्यकों के लिए इसे खाली करवाना होगा..कृष्णगोपाल मेपकास्ट द्वारा आयोजित जिस कार्यक्रम में शिरकत कर रहे हैं उसका विषय अध्यात्म और विज्ञान है..मुख्यमंत्री इसके बाद इंदौर और खंडवा के लिए रवाना होंगे जहां उन्हें स्मार्ट सिटी और हनुवंतिया जल महोत्सव में शिरकत करना है। देखना दिलचस्प होगा कि संघ के शीर्ष नेता की भोपाल में मौजूदगी का दबाव सरकार पर क्या गुल खिलाता है? एक दिन पहले ही भोपाल से लेकर धार तक अधिकारी सजग और सतर्क हो गए हैं..दिल्ली की नजर में भी धार और भोजशाला आ चुका है..कारण पीएम नरेंद्र मोदी का एक हफ्ते बाद मध्यप्रदेश का वो दौरा है जिसमें वो देश को फसल बीमा योजना की सौगात का आगाज मध्यप्रदेश से वो भी मुख्यमंत्री के गृहजिले सीहोर से करने जा रहे हैं..देखना दिलचस्प होगा कि विरोधी दल की भूमिका में कांग्रेस भोजशाला के विवाद को हवा देने की आड़ में किस तरह सियासी हित साधती है। चुनौती मीडिया के सामने भी है जिससे शासन की अपेक्षा साफ है..कि माहौल साम्प्रदायिक सदभाव का बना रहे और अफवाहें गर्म न हों..ऐसे में धार प्रशासन ही नहीं वल्लभ भवन और पीएचक्यू में बैठे शीर्ष अफसरों के साथ श्यामलाहिल्स की भी धड़कनें बढ़ना भी लाजमी है.. बीजेपी की 12 साला सरकार रहते तनाव भोजशाला को लेकर पनपा है लेकिन समय रहते दोनों समुदायों को संतुष्ट करने का रास्ता भी निकाला जाता रहा है...
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