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MP में एक और विधानसभा उपचुनाव सिर पर

शिवराज ने संभाला मोर्चा....!

संजीव श्रीवास्तव
मध्यप्रदेष में एक और उपचुनाव तय हो गया है। बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट, विधायक सज्जन सिंह उइके के असामयिक निधन की वजह से रिक्त हो गई है। भाजपा ने 2013 के चुनाव में इस सीट को लगातार तीसरी बार फतह किया था। चुनाव जून के शुरूआती पखवाड़े में संभावित बताये जा रहे हैं। चुनाव की तारीख अभी घोषित होना है, लेकिन सत्तारूढ़ दल, सीट को बरकरार रखने की कोषिष में जुट गया है। खुद मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान सक्रिय हो गये हैं। इस सीट को लेकर मुख्यमंत्री के बेहद गंभीर होने का अंदाज केवल इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि वे अपने चाचा की अंत्येष्टि के ठीक बाद पार्टी के दिवंगत विधायक सज्जन सिंह उइके को ‘कंधा’ देने (मुख्यमंत्री के चाचाजी पोहप सिंह चैहान और सज्जन सिंह उइके की अंत्येष्टि एक ही दिन 20 मार्च को हुई) सपत्नीक सज्जन सिंह के गांव भौरा पहुंचे। भरपूर वक्त उन्होंने क्षेत्र को दिया।

घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। सीट आदिवासी वर्ग के लिये आरक्षित है। यह सीट 1962 में अस्तित्व में आयी थी। विधानसभा बनने के बाद 1962 से 2013 तक कुल 12 चुनाव हुए हैं। आठ बार भाजपा (1980 के पहले बीजेपी....जनता पार्टी और जनसंघ हुआ करती थी) जीती, जबकि चार मर्तबा कांग्रेस को मतदाताओं ने विधानसभा पहुंचाया। सज्जन सिंह उइके नहीं रहे, लेकिन दो सालों के लगभग का उनका विधायक के रूप मेें दूसरा कार्यकाल बहुत सफल नहीं माना गया। श्री उइके का उनके अपने परिवार से कोई राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं है, इसलिये माना जा रहा है पार्टी अपने किसी पुराने विधायक अथवा नये चेहरे पर दांव खेलेगी। भाजपा से टिकट की दौड़ में आधा दर्जन के आसपास चेहरे हैं। तय है मुख्यमंत्री जिस चेहरे को पसंद करेंगे, टिकट उसे ही मिलेगा। उधर कांग्रेस में भी चेहरों की कमी नहीं है, लेकिन पार्टी में जबरदस्त बिखराव की वजह से उपचुनाव में सोनिया गांधी की पार्टी कितना दम दिखला पायेगी, यह देखने वाली बात होगी। जानकारों का कहना है, ना केवल घोड़ाडोंगरी बल्कि समूचे बैतूल जिले में ही कांग्रेस तार-तार हो चुके अस्तित्व को बचाने के संकट से जूझ रही है।

भाजपा में एक घर से टिकट के तीन दावेदार
घोड़ाडोंगरी सीट के लिये बीजेपी में टिकट के जो प्रबल दावेदार हैं उनमें एक ही परिवार के तीन सदस्य हैं। पूर्व विधायक गीता उइके का नाम संभावित उम्मीदवारों में सबसे ऊपर रखा जा रहा है। पटवा सरकार में संसदीय सचिव रहे रामजीलाल उइके ने भी दावेदारी के लिये ताल ठोक रखी है। रामजीलाल उइके, गीता उइके के पति हैं। रामजीलाल 1980 में पहली बार घोड़ाडोंगरी से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। 62 वर्षीय रामजीलाल ने 1990 में भी इस सीट को जीता था। कांग्रेस के प्रताप सिंह उइके ने 1993 और 1998 में उन्हें परास्त किया था। रामजीलाल 98 के बाद से टिकट के लिये संघर्षरत हैं। गीता रामजीलाल उइके का बेटा दीपक उइके भी टिकट के दावेदारों में शुमार बताया जा रहा है। भाजपा में टिकट के अन्य गंभीर दावेदारों में शरबती वरकले, शक्तिगणपत धुर्वे और चरण धुर्वे के नाम भी चर्चाओं में हैं।

कमलनाथ बनाम अरूण यादव
बैतूल जिले में कांग्रेस की टिकटों के वक्त कमलनाथ खासे सक्रिय होते हैं। उपचुनाव में क्या परिदृष्य बनेगा...? फिलहाल समय के गर्भ में है। कमलनाथ परंपरा के अनुसार अपने मोहरे को आगे बढ़ाते हैं तो उनके कट्टर अनुयायी पूर्व विधायक सुखदेव पांसे सीधे तौर पर मैदान में नजर आयेंगे। टिकट में कमलनाथ ने दखलंदाजी नहीं की और प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव को दिल्ली ने फ्री हैंड दिया तो पूर्व विधायक एवं प्रदेष कांग्रेस के कोषाध्यक्ष विनोद डागा की पसंद के प्रत्याषी को टिकट मिलना तय माना जा रहा है।

पूर्व मंत्री प्रतापसिंह उइके दौड़ में आगे
कांग्रेस से टिकट के दावेदारों में पूर्व मंत्री प्रतापसिंह उइके दौड़ में सबसे आगे बताये जा रहे हैं। उनका टिकट कांग्रेस के बड़े नेताओं के इक्वेषन के मान से तय हो सकेगा। दिग्विजय सिंह ने खुद को मध्यप्रदेष की राजनीति से दूर कर रखा है। प्रेक्षकों का मत है कि दिग्विजय सिंह घोड़ाडोंगरी को लेकर सीधे तौर पर सक्रिय हो जायें तो भाजपा की राह यहां बेहद कठिन हो जायेगी। वे मोर्चा संभालेंगे, इसकी संभावनाएं कतई नहीं हैं। कांग्रेस में टिकट के दावेदारों में प्रतापसिंह उइके की पत्नी सुलोचना उइके का नाम भी चर्चाओं मंे शुमार किया जा रहा है। प्रताप सिंह उइके का भतीजा राहुल उइके भी टिकट के दावेदारों में शुमार है। एक ही परिवार के तीन सदस्य, कांग्रेस में भी उम्मीदवारों की कतार में हैं। इनके अलावा ओमप्रकाष उइके भी गंभीर दावेदारों में शुमार हैं। कुल मिलाकर सबकुछ कमलनाथ के रूख पर निर्भर होगा। तमाम समीकरणों के बावजूद कांग्रेस के लिये राह बेहद कठिन और कांटों भरी होगी, यह तय है।

सरकार वर्सेस लीडर....!
उपचुनाव सरकार लड़ती है, यह कड़वी सच्चाई है। मुख्यमंत्री श्री चैहान की सक्रियता बतला रही है कि भाजपा कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। घोड़ाडोंगरी उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से कमान कौन संभालेगा...? पीसीसी चीफ के नाते पहला नाम अरूण यादव का है। हालांकि टिकट किस धड़े के उम्मीदवार को मिलती है, सबकुछ उस पर निर्भर होगा। प्रदेष कांग्रेस कमेटी या प्रदेषाध्यक्ष श्री यादव बहुत ज्यादा उत्साह दिखायेंगे, इसकी संभावना कम है। संगठनात्मक और आर्थिक तौर पर पीसीसी की हालत खस्ता है। उम्मीदवार को जिताने के लिये पैसा कौन लगायेगा (बहायेगा)...? यह एक बड़ा सवाल होगा। कमलनाथ अपने किसी समर्थक के लिये टिकट में दिलचस्पी दिखलाते हैं तो तय है कि धन और बाहुबल के मान से मुकाबला बेहद रोचक होगा।

कांग्रेस के पास खोने के लिये कुछ नहीं
घोड़ाडोंगरी में कांग्रेस के पास खोने के लिये कुछ नहीं है। यह सीट 2003 से भाजपा के पास है। उमा भारती की अगुवाई में 2003 के चुनाव में सीट सज्जन सिंह उइके ने भाजपा के लिये जीती थी। उनका टिकट 2008 में काट दिया गया था। गीता उइके को उम्मीदवार बनाया गया था। गीता उइके ने सीट जीत ली थी। साल 2013 के चुनाव में पार्टी ने गीता उइके की जगह टिकट फिर सज्जन को दिया था, वे कामयाब रहे थे। कुल मिलाकर साख भाजपा की दांव पर रहने वाली है।

तीन अहम इष्यूज
घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र में तीन मुद्दे जमकर गरमायेंगे। तीनों ही इष्यूज सत्तारूढ़ दल के लिये परेषानी पैदा करने वाले होंगे। पार्टी इनसे कैसे निपटेगी...? यह उसके कौषल पर निर्भर करेगा। विधानसभा क्षेत्र के चैपना ब्लाॅक में 30 हजार के लगभग पट्टों का मसला काफी वक्त से लंबित है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने इस मामले के निराकरण के जमकर वायदे किये थे, लेकिन चुनाव जीतने के बाद सत्तारूढ़ दल और सरकार ने ‘‘गौर’’ नहीं फरमाया। चुनाव के पहले इस मसले को सुलझाने का प्रयास सरकार करेगी, यह तय माना जा रहा है।

इसके अलावा भोपाल-बैतूल फोरलेन को लेकर भाजपा और सरकार से मतदाताओं द्वारा सवाल-जवाब किया जाना तय है। कांग्रेस इस मसले को जमकर तूल देगी। तीन साल पहले 1200 करोड़ रूपये के लगभग वाली इस परियोजना के लिये टेंडर हो गये थे। दक्षिण भारत की ट्रांसटाॅय कंपनी ने ठेका लिया। तीन सालों में परियोजना में काम की गति शून्य वाली बनी हुई है। ठेका निरस्त करने के प्रयास स्थानीय स्तर पर हुए, लेकिन भोपाल ने साथ नहीं दिया। विलंब और लेतलायी भरे रवैये से मतदाता खासे नाराज हैं। उपचुनाव में सत्तारूढ़ दल को वोटरों और कांग्रेस की ओर से चलने वाले तीरों को भोथरा करने की रणनीति अभी से बनाना होगी।

तीसरा बड़ा मुद्दा पानी की जबरदस्त किल्लत होना है। गर्मी शुरू हो चुकी है। पानी का संकट काफी पहले से गहराया हुआ है। क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं, जहां लोगों को एक से तीन किलोमीटर तक का सफर हर दिन पानी के इंतजाम के लिये करना पड़ रहा है। ज्यादातर हैंडपंप बिगड़े हुए हैं। पेयजल के अन्य स्रोतों का हाल भी यही है। बिजली के भारी भरकम बिल और किल्लत भी उपचुनाव में अहम मुद्दा होगा।

असंतुष्टों की बड़ी फौज....!
बैतूल जिले में भाजपा का एक बड़ा वर्ग अपने ही दल से नाखुष है। घोड़ाडोंगरी में भी पार्टी को ‘‘बत्ती’’ देने को कई प्रभावी नेता तैयार बैठे हैं। इस नाराजगी को भुनाने के लिये कांग्रेस में कोई दमदार नेता नहीं होने की बात प्रेक्षक कर रहे हैं। प्रेक्षकों का दावा है कि कांग्रेस इस समीकरण को फोकस कर आगे बढ़े तो....सत्तारूढ़ दल का गणित गड़बड़ा सकता है।

जून में संभावना इसलिये....!
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार रिक्त होने वाली सीट पर चुनाव छह महीने में करा लिये जाने की अनिवार्यता है। घोड़ाडोंगी के विधायक सज्जन सिंह उइके का निधन 19 मार्च 2016 को हुआ है। इस मान से 19 सितंबर का समय आयोग के पास है। मध्यप्रदेष में मानसून 15 जून के आसपास आता है। बारिष 15 सितंबर तक होती है। घोड़ाडोंगरी बैतूल जिले की सबसे बड़ी विधानसभा सीट है। विधानसभा क्षेत्र में काफी संख्या में मतदान केन्द्र ऐसे हैं जिनसे तेज बारिष में घोड़ाडोंगरी और जिला मुख्यालय से सड़क संपर्क टूट जाता है। विधानसभा के मतदान केन्द्रों तक बारिष में पहुंचना मुमकिन नहीं होगा। इस तथ्य के मद्देनजर चुनाव जून के पहले पखवाड़े में करा लिये जाने की संभावनाएं बलवती हैं।

घोड़ाडोंगरी का चुनावी सफर

चुनाव वर्ष            विजयी उम्मीदवार          दल

1962                     जगनू सिंह उइके       जनसंघ

1967                            माडू                  जनसंघ   

1972                  विश्राम सिंह मवासे      कांग्रेस

1977                    जगनू सिंह उइके       जनता

1980                   रामजीलाल उइके       भाजपा

1985                         मीरा धुर्वे              कांग्रेस

1990                  रामजीलाल उइके       भाजपा

1993                   प्रताप सिंह उइके       कांग्रेस         

1998                    प्रताप सिंह उइके       कांग्रेस

2003                   सज्जन सिंह उइके      भाजपा

2008              गीता रामजीलाल उइके  भाजपा

2013                 सज्जन सिंह उइके      भाजपा

चैदहवीं विधानसभा का आठवां उपचुनाव:- मौजूदा विधानसभा का यह आठवां उपचुनाव होगा। इसके पहले सात उपचुनाव हुए हैं। सात में छह उपचुनाव भाजपा ने जीते हैं। एकमात्र बहोरीबंद सीट पर कांग्रेस को सफलता मिली। बहोरीबंद सीट अप्रैल 2014 में भाजपा विधायक प्रभात पांडे के निधन की वजह से रिक्त हुई थी। इस सीट पर भाजपा वापसी नहीं कर पायी थी और सीट कांग्रेस के लिये सौरभ सिंह ने जीत ली थी। अन्य छह चुनावों में दो सीटें विजयराघवगढ़ और मैहर ऐसी सीटें रहीं जिन पर हुए उपचुनाव में सफलता भाजपा को मिली। दोनों सीटें 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने जीती थीं। विजयराघवगढ़ सीट संजय पाठक और मैहर सीट पर नारायण त्रिपाठी विजयी हुए थे। लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों पाला बदलकर भाजपा के खेमे में आ गये। उपचुनाव में भाजपा ने इन्हें टिकट दिया और दोनों ने अपनी-अपनी सीटें बीजेपी के लिये जीत लीं। विदिषा, आगर, गरोठ और देवास सीटें भाजपा ने 2013 में जीतीं थीं और बाद में इन सीटों पर उपचुनाव में भी भाजपा के उम्मीदवार विजयी रहे।

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