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बुलंदशहर गैंगरेप: सख्त हुए सीएम अखिलेश,4 अधिकारी सस्पेंड

बुलंदशहर : उत्तर प्रदेश पुलिस ने रविवार को दावा किया कि बीते शुक्रवार की रात दिल्ली-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बुलंदशहर के पास एक महिला और उसकी नाबालिग बेटी से हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में शामिल तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस बीच, उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार इस मामले के सामने आने के बाद विपक्ष के निशाने पर है। सरकार ने बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण, सिटी एसपी राममोहन सिंह और सर्किल अफसर (सदर) हिमांशु गौरव सहित चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है ।

बुलंदशहर के दोस्तपुर गांव में हुई यह घटना सामने आने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर यहां आए राज्य के डीजीपी जावीद अहमद ने नरेश (25), बबलू (22) और रईस (28) नाम के तीन आरोपियों की पहचान होने की बात कही।

अहमद ने कहा कि पुलिस ने शनिवार शाम 15 लोगों को इस मामले में हिरासत में लिया है। हिरासत में लिए गए सभी लोग एक खानाबदोश जनजाति से संबंध रखते हैं और उनसे पूछताछ की गई है। डीजीपी ने कहा कि बावरिया गिरोह से संबंध रखने वाले तीन आरोपियों की पहचान पीड़ितों ने की है और सभी दोषियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

एनएच-91 पर जा रहे नोएडा के परिवार के साथ शुक्रवार को हुए इस भयावह हादसे के बाद पूरे देश में पैदा हुए आक्रोश और घटना के राजनीतिक रंग लेने के मद्देनजर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आनन-फानन में हरकत में आए और पुलिस पर लगे शिथिलता के आरोप में बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण, सिटी एसपी राममोहन सिंह, सर्किल अफसर (सदर) हिमांशु गौरव और कोतवाली देहात के एसएचओ रामसेन सिंह को निलंबित कर दिया।

बहरहाल, पुलिस प्रमुख ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि पुलिस ने तेजी से कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि पुलिस सूचना मिलने के 20 मिनट के भीतर मौके पर पहुंच चुकी थी और एसएसपी वैभव कृष्ण भी वहां पहुंच गए थे। मामले का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा कि उसने अपने एक सदस्य को पीड़ितों और अधिकारियों से मिलने के लिए उत्तर प्रदेश भेजा है। हालांकि, आयोग ने कहा कि ऐसे मामलों में उसे राज्य प्रशासन का उचित सहयोग नहीं मिल पाता है।

आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम ने पुलिस की ओर से मामले में की गई गिरफ्तारियों के सही होने पर संदेह जाहिर किया।

विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि यह ‘बर्बर’ घटना दिखाती है कि उत्तर प्रदेश में ‘गुंडाराज’ चरम पर है। राज्य में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। भाजपा ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह एक्सप्रेस-वे और राजमार्ग तो बना रही है, लेकिन लोगों की सुरक्षा की परवाह नहीं कर रही।

बसपा ने कहा कि ऐसे जघन्य अपराध संकेत करते हैं कि राज्य में कानून-व्यवस्था की हालत बद से बदतर हो चुकी है और राज्य में ‘जंगलराज’ है। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, ‘सपा सरकार और इसके मुखिया को लोगों को बताना चाहिए कि ऐसे दर्दनाक और जघन्य अपराध में क्या वे महिलाओं का सम्मान लौटा सकते हैं?’ उन्होंने कहा कि सपा सरकार के शासनकाल में आम आदमी, खासकर महिलाएं, कतई सुरक्षित नहीं हैं।

अखिलेश यादव सरकार पर हमला बोलते हुए केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता महेश शर्मा ने कहा, ‘यह सब कब खत्म होगा? यह दिखाता है कि राज्य सरकार हर मोर्चे पर नाकाम हुई है। वे एक बेटी के सम्मान को नहीं बचा पा रहे। यह शर्मनाक है और उन्हें पद छोड़ देना चाहिए।’

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘सामूहिक बलात्कार की घटना हृदय-विरादक है, यह स्तब्ध करने वाली घटना है। जिस तरह से परिवार के पुरुष सदस्यों की मौजूदगी में एक मां और बेटी को यातना दी गई और उनसे बलात्कार किया गया। यह एक खौफनाक वाकया है कि इंसान कितने बर्बर हो सकते है।’ सुरजेवाला ने कहा, ‘समाजवादी पार्टी और अखिलेश सरकार इस मामले में क्या करने जा रही है? निर्णायक कार्रवाई करिए और इस जघन्य अपराध के दोषियों को जल्द से जल्द सजा दीजिए।’

भाजपा के प्रदेश महासचिव विजय बहादुर पाठक ने कहा कि इस घटना ने साबित कर दिया है कि उत्तर-प्रदेश में कानून-व्यवस्था पटरी से उतर गई है और पुलिस प्रशासन शिथिल है।

बीते शुक्रवार की रात को लुटेरों के एक समूह ने नोएडा से शाहजहांपुर जा रहे एक कार सवार परिवार को देहात कोतवाली क्षेत्र में रोका और एक महिला तथा उसकी 13 वर्षीय बेटी को घसीटकर पास के खेत में ले गए और उनसे बलात्कार किया। लुटेरों ने कार सवार लोगों से नकदी, गहने और मोबाइल फोन भी लूट लिए।

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