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सोयाबीन कृषकों के लिए सलाह

रीवा : गत दिनों भारी वर्षा और बाढ़ से फसलों को क्षति संभावित है। तदनुक्रम में उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने कृषकों के लिए परामर्श जारी किया है। उन्होंने बताया है कि शीघ्रातिशीघ्र खेतों में भरे पानी की तत्काल निकासी करनी चाहिये। किसी भी फसल के खेत में भरा पानी फसलों को क्षति पहुंचा सकता है। जमीन को पर्याप्त सूखने लायक स्थिति में लाना चाहिए ताकि फसलों को धूप और हवा मिल सके।

इस सम्बन्ध में भारतीय अनुसंधान संस्थान इन्दौर द्वारा सोयाबीन फसल में इल्लियां, कीट व बीमारियों के बचाव हेतु कृषकों को सलाह दी गई है। अधिक वर्षा की स्थिति में सोयाबीन की फसल वाले खेतों से अतिरिक्त पानी के निकासी की व्यवस्था करें वहीं सोयाबीन खेतों के अधिक समय तक सूखा होने की स्थिति में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। सोयाबीन की फसल पर लाल मकड़ी के नियन्त्रण हेतु फॉसमाइट का 1.5 ली.प्रति हेक्टेयर, पत्ती खाने वाली इल्लियों के साथ-साथ रस चूसने वाले कीट (सफेद मक्खी) एवं गर्डल बीटल (चक्रभृंग) के सामूहिक प्रकोप की दशा में पूर्व मिश्रित बीटासायफ्लूथीन और इमिडाक्लोप्रीड का छिड़काव 350 मि.ली. प्रति हेक्टेयर करने की सलाह किसानों को दी गई है। सोयाबीन की फसल पर पत्ती धब्बा नामक बीमारी होने पर कार्बेन्डाजिम 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर या थायोफिनट मिथाईल का 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। जिन स्थानों पर सेमीलूपर अथवा तम्बाकू की इल्लियाँ बड़ी हो गई हैं वहां पर उनके नियन्त्रण हेतु क्विनालफॉस 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर अथवा इन्डोक्साकार्ब 500 मि.ली. प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें।

जिन सोयाबीन खेतों में सिर्फ तम्बाकू की इल्ली का प्रकोप है उनमें प्रारंभिक अवस्था में ही स्पाइनेटोरम 11.7 एस.सी. का छिड़काव 450 मि.ली.प्रति हेक्टेयर करें। चक्रभृंग के नियन्त्रण हेतु ट्रायझोफॉस 800 मि.ली.प्रति हेक्टेयर अथवा थायक्लोप्रीड 650 मि.ली. प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें और ग्रसित पौध अवशेषों को प्रारंभिक अवस्था में ही तोड़कर हटायें। सोयाबीन पौधों के तनों/डंठलों पर काले रंग के अनियमित आकार के धब्बे दिखायी देने एवं पौधों के सबसे ऊपर वाली तीसरी पत्ती उलटकर पलटी हुई दिखायी देने पर बीनोमिल (बेनलेट) या थायोफिनेट मिथाईल का छिड़काव 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर करें। सोयाबीन की फसल में पीला मोजाइक बीमारी के फैलाव को रोकने हेतु ग्रसित पौधों को तुरंत उखाडकर नष्ट करने की सलाह कृषकों को दी गई है।
 

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