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कांग्रेस सरकार का एक और बड़ा घोटाला सामने आया

वीवीआईपी चौपर डील घोटाले के बाद अब एक नया डिफेंस स्कैंडल देश की राजनीति में भूचाल ला सकता है। ब्राजील और अमेरिकी कानून मंत्रालय की ओर से ब्राजीली एयरक्राफ्ट निर्माता कंपनी एम्ब्रायर की ओर से भारत और सऊदी अरब से डील करने के लिए कथित तौर पर घूस दिए जाने की जांच कर रहे हैं। 208 मिलियन डॉलर की तीन EMB-145 जेट विमानों के लिए हुई डील के लिए कंपनी की ओर से ब्रिटेन स्थित बिचौलिये को कमिशन दिए जाने का आरोप है। भारत में रक्षा सौदों के लिए इस तरह की दलाली या कमिशन दिया जाना प्रतिबंधित है। यह डील यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2008 में हुई थी।

इन तीन EMB-145 एयरक्राफ्ट्स को स्वदेशी राडारों से लैस किया गया है, जिन्हें डीआरडीओ की 2,520 करोड़ रुपये की (एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग ऐंड कंट्रोल सिस्टम्स) महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत तैयार किया गया है। ब्राजीली कंपनी एम्ब्रायर ने पहला EMB-145 एयरक्राफ्ट 2011 में डीआरडीओ को सौंपा था। इसके बाद अन्य विमानों को सौंपा गया। इसके बाद डीआरडीओ ने इन्हें लंबे इंतजार के बाद पिछले साल दिसंबर में प्रॉजेक्ट में तैनात किया। इस डील में घूसखोरी का मामला सामने आने के बाद रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘डीआरडीओ का कहना है कि उन्हें ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं है।’

हालांकि कई टेलिफोन कॉल्स और मेसेज किए जाने के बावजूद डीआरडीओ के चीफ एस. क्रिस्टोफर ने कोई जवाब नहीं दिया। उल्लेखनीय है कि 2008 में जब यह डील हुई थी, उस वक्त क्रिस्टोफर एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग ऐंड कंट्रोल सिस्टम्स के हेड भी थे। 2015 में एनडीए सरकार ने उन्हें डीआरडीओ के चेयरमैन के पद पर तैनात किया था।

ब्राजील के न्यूजपेपर ‘फोल्हा डे साओ पाउलो’ की रिपोर्ट के मुताबिक 2008 में भारत से हुई डील में संभावित घूस प्रकरण पर अमेरिकी कानून मंत्रालय की नजर है। अमेरिका द्वारा एम्ब्रायर की 2010 से ही जांच की जा रही है। डॉमिनिकन रिपब्लिक के साथ हुए कॉन्ट्रैक्ट के बाद से ही कंपनी के खिलाफ जांच चल रही है।

अब इस जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। भारत और सऊदी अरब समेत 8 देशों के साथ हुई कंपनी की डील की जांच की जा रही है। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक एम्ब्रेयर के डिफेंस सेल्स मैनेजर अल्बर्ट फिलिप ने बताया कि कंपनी के पूर्व सेल्स डायरेक्टर, जो यूरोप में तैनात थे, ने अमेरिकी जांचकर्ताओं को बताया कि फर्म ने एक व्यक्ति से संपर्क किया था, जो अमेरिका को सर्विलांस सिस्टम बेचने की डील में मदद कर सके।

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