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सागर जमीन घोटाले में नया मोड़, कलेक्टर ने घोषित की सरकारी जमीन

सागर ।  सागर में हुआ 27 एकड़ सरकारी जमीन की अवैध बिक्री का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है| अधिकारियों की उदासीनता और भू माफिया से मिलीभगत के चलते जहां सरकार को बड़ी चपत लगाने की कोशिश की गई है| वहीं विधानसभा तक इस मुद्दे की गूँज पहुँचने के बाद अब करोड़ों के इस जमीन घोटाले में  नया मोड़ आ गया है| कलेक्टर ने मौजा करीला और वामनखेड़ी की नजूल भूमि के नामांतरण पर आपत्ति जताई है कहा है कि यह जमीन सरकारी जमीन है और उसका विक्रय नहीं हो सकता|

करोड़ो रुपए के इस घोटाले को अंजाम देने के लिए प्रशासन की नाक के नीचे एक ही दिन में 27 एकड़ नजूल की जमीन को सुभाग्योदय डेवलपर्स को बेच दिया गया और प्रशासन तब खामोश रहा | राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर सरकारी जमीन का सौदा कर दिया गया| मामले में कलेक्टर विकास नरवाल की भूमिका पर भी सवाल खड़े होते हैं| भू माफिया द्वारा सरकारी जमीन का सौदा राजस्व विभाग को उन्ही के अधिकारियों के हाथों चूना लगाया गया| हालांकि कलेक्टर ने लिखित में आपत्ति दर्ज कराई थी इसके बावजूद पंजीयन कार्यालय ने रजिस्ट्री भी कर दी। करोड़ो रुपए के इस जमीन घोटाले की जानकारी होने के बाद भी कलेक्टर ने कार्रवाई क्यों नहीं की| जमीन की खरीद फरोख्त की कार्रवाई सरकारी कार्यालयों में चलती रही लेकिन कलेक्टर साहब इस बात से अनजान रहे और सरकार के हाथ से बेशकीमती जमीन चली गई |

भाजपा नेताओं का नाम भी उछला

प्रदेश भर में भू माफिया ने नियमों के विरुद्ध जाकर कई जगह सरकारी जमीन की खरीद फरोख्त कर शासन को चूना लगाया है| 27 एकड़ की इस जमीन घोटाले में भी भाजपा नेताओं के नाम उछले थे| सरकारी जमीन खरीदने का एग्रीमेंट करने वालों में सागर के मेयर अभय दर्रे और भाजपा विधायक शैलेन्द्र जैन के भाई पूर्व विधायक सुनील जैन के नाम शामिल है। जब इस मामले की शिकायत की गई तो आनंद जैन और राकेश जैन के नाम रजिस्ट्री करावा दी गई। सागर के वकील जगदेव ठाकुर ने मुख्य सचिव तक से इस मामले की शिकायत की थी।

विधानसभा में गूंज था जमीन घोटाला

जमीन घोटाले का मुद्दा विधानसभा में भी गूंजा था जहाँ कांग्रेस के हर्ष यादव ने कहा था कि 27 एकड़ जमीन को पट्टाधारक खत्री बंधुओं ने सुभाग्योदय डेव्लपर्स को जनवरी में बेच दिया। हर्ष यादव ने आरोप लगाया था कि  कैसे भूमि के ट्रांसफर से लेकर रजिस्ट्री तक एक दिन में हो गर्इं। उन्होंने इसे बुंदेलखंड के इतिहास का सबसे बड़ा जमीन घोटाला  बताया था| यादव के सवाल का जवाब देते हुए राजस्व मंत्राी उमाशंकर गुप्ता ने भी स्वीकार किया कि इस मामले में अनियमितताएं हुई हैं। मंत्री गुप्ता ने यह भी विश्वास दिलाया था सरकार इसे लेकर हाईकोर्ट गई है। इस मामले में रजिस्ट्रार की भूमिका भी जांच कराई जा रही है और कलेक्टर मामले की जांच करेंगे| इतने बड़े घोटाले के बाद भी अभी तक किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है |  यह भी एक बड़ा सवाल सरकार और अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े करता है|

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