कमल पटेल को नोटिस देने की तैयारी में BJP
भोपाल। नर्मदा नदी से अवैध उत्खनन का मामला उठाकर अपनी ही सरकार को खड़ा करने और प्रदेश भाजपा पदाधिकारियों पर टिप्पणी करने पर अब पार्टी पूर्व मंत्री कमल पटेल को नोटिस देने की तैयारी में है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पटेल मीडिया में खुलकर पार्टी नेताओं के खिलाफ बयानवाजी कर रहे हैं और यहां तक अवैध उत्खनन को लेकर मुख्यमंत्री पर भी टिप्पणी करने से नहीं चूक रहे हैं। इसे पार्टी ने अनुशासनहीतना माना है। ऐसे में पटेल को प्रदेश कार्यालय मंत्री की ओर से जल्द ही नोटिस भेजकर जवाब-तलब किया जा सकता है।
पूर्व मंंत्री कमल पटेल ने पिछले हफ्ते एनजीटी में नर्मदा किनारे हो रहे अवैध उत्खनन को लेकर याचिका दर्ज कराई थी। अवैध उत्खनन का मामला उठने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके अगले दिन नर्मदा नदी से तत्काल प्रभाव से रेत का खनन रोकने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी। मुख्यमंत्री के इस ऐलान के बाद भी पटेल अवैध उत्खनन को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा करते रहे। साथ ही संगठन पदाधिकारियों पर भी समय नहीं देने के आरोप लगाए हैं। पटेल की पार्टी नेताओं को लेकर की जा रही बयानवाजी को प्रदेश भाजपा संगठन ने गंभीरता से लिया है। प्रदेश नेतृत्व इसे अनुशासनहीतना की श्रेणी में मान रहा है। जिसको लेकर पटेल को जल्द ही नोटिस थमाया जाएगा। हालांकि इस संबंध में पार्टी का कोई भी पदाधिकारी बोलने को तैयार नहीं है। खबर है कि प्रदेश कार्यालय मेंत्री की ओर से पटेल को आज या कल में नोटिस भेज दिया जाएगा।
इस बीच हरदा कलेक्टर श्रीकांत बनोट ने पटेल के अपराधी बेटे सुदीप पटेल पर जिलाबदर की कार्रवाई कर दी। इस कार्रवाई को लेकर पटेल ने सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाए कि अवैध उत्खनन के खिलाफ आवाज उठाने पर बदले की भावना से उनके बेटे को जिलाबदल किया गया है। हालांकि इसके बाद राज्य सरकार ने कलेक्टर बनोट का तत्काल तबादला कर दिया।
कलेक्टर ने विरोधियों को दिया मौका
दरअसल हरदा कलेक्टर को हटाने के पीदे कमल पटेल की सरकार को धकमी या आरोन नहीं है। बल्कि कलेक्टर ने पटेल के बेटे पर ऐसे समय में जिलाबदर की कार्रवाई की, जिससे विपक्ष समेत कमल पटेल को सरकार पर आरोप लगाने का मौका मिल गया। कलेक्टर के पास सुदीप पटेल के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव लंबे समय से लंबित था। जब पटेल ने अवैध उत्खनन का मुद्दा उठाया, मुख्यमंत्री तक पर अफसरों को संरक्षण देने के आरोप लगाए, तब कलेक्टर ने यह कार्रवाई की। कलेक्टर की इस चूक की वजह से विपक्ष को राजनीतिक मुद्दा मिल गया। यही वजह है कि राज्य सरकार ने कलेक्टर बनोट को तत्काल प्रभाव से हटा दिया।
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