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चित्रकूट में डकैतों से मुठभेड़ में शहीद हुआ जौनपुर का सपूत, मातम में डूबा गाँव

चित्रकूट:  चित्रकूट में पुलिस और सात लाख के ईनामी डकैत बबली कोल गैंग के साथ मुठभेड़ में शहीद दरोगा जेपी सिंह के बनेवरा गांव, नेवढ़िया में मातम पसरा है।सब इंस्पेक्टर जय प्रकाश सिंह के शहीद होने की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया।चित्रकूट में पुलिस और सात लाख के ईनामी डकैत बबली कोल गैंग के साथ मुठभेड़ में शहीद दरोगा जेपी सिंह के बनेवरा गांव, नेवढ़िया में मातम पसरा है। गुरुवार को गांव के सपूत 45 वर्षीय सब इंस्पेक्टर जय प्रकाश सिंह के शहीद होने की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। जानकारी होते ही पूरा गांव शहीद के घर पर उमड़ पड़ा। माता-पिता, चाचा व गांव के कुछ लोग चित्रकूट के लिए रवाना हो गए। घर पर केवल चाचा व दादी ही रह गयी। सबका रो रो बुरा हाल था।

बनेवरा निवासी श्याम बिहारी सिंह के दो बेटे व दो बेटियों में शहीद जय प्रकाश सबसे बड़े थे। प्रारम्भिक शिक्षा गांव से हुई। आदर्श इंटर कालेज इटाएं से इंटर तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद मड़ियाहूं पीजी कालेज से स्नातक की परीक्षा पास की। 1991 में सिपाही के पद पर भर्ती हो गए। समय के साथ तैयारी भी करते रहे। विभागीय परीक्षा में शामिल होकर वर्ष 2012 में सबइंस्पेक्टर बन गये।

शहीद जेपी की शादी चंदा देवी से हुई थी। दो बेटे पैदा हुए। बड़ा बेटा 19 साल का शुभम मां के साथ कोटा में रहकर सीपीएमटी की तैयारी कर रहा है जबकि छोटा 17 साल देहरादून में इंजीनियरिंग के लिए तैयारी कर रहा है। जय प्रकाश मौजूदा समय में चित्रकूट में थे। डकैतों से मुठभेड़ के दौरान गुरुवार को सुबह शहीद हो गए।
शहीद होने की सबसे पहले खबर ग्राम प्रधान पति दिनेश को मिली। दिनेश ने घर वालों को खबर दी। सूचना मिलते ही पिता श्याम बिहारी, माता जीरावती, चाचा अवध बिहारी समेत अन्य लोग चित्रकूट के लिए रवाना हो गए। घर पर दादी रामदुलारी चारपायी पर रोती बिलखती रहीं।

वढ़िया के बनेवरा गांव निवासी व सब इंस्पेक्टर जय प्रकाश सिंह अभी चार दिन पहले ही गांव आए थे। परिवार के लोगों के अलावा दोस्तों से मिलकर वापस चले गए थे। इलाहाबाद कोर्ट में एक मुकदमें के सिलसिले में आए थे। वहां से घर चले आए थे। घटना के बाद गांव में पहुंची 'हिन्दुस्तान' की टीम ने दोस्तों से मुलाकात की। हर किसी की आंखें नम थी। साथी खोने का गम तो था लेकिन उन्हें इसका गर्व भी था कि उनका साथी शहीद हुआ है। गांव निवासी अनिल सिंह ने बताया कि हम लोगों की पढ़ाई साथ में ही हुई थी। खेतीबारी देखते हुए जय प्रकाश पढ़ाई करता था। दरोगा बनने के बाद वह जब भी गांव आता यही कहता था कि गलत काम कभी मत करना। प्रधानपति दिनेश सिंह ने भी नम आंखों से यही कहा कि उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। सबसे मिल जुलकर रहने की नसीहत देते थे। सदैव मार्गदर्शन देते थे। चार दिन पहले आए थे तो मुलाकात हुई थी। नागेश्वर सिंह ने कहा कि जब भी गांव आते तो एक एक घर जाते थे और लोगों से मिलकर कुशल क्षेम भी पूछते थे। अब तो उनके जाने के बाद बस यादें शेष रह गयी हैं।

एक घंटे तक की थी बात
रामनगर। सबइंस्पेक्टर जय प्रकाश से चाचा मंगला की बुधवार की रात आठ बजे के करीब एक घंटे तक बात हुई थी। उनकी चाची शिक्षा मित्र हैं। चाचा काफी परेशान थे। जय प्रकाश ने उन्हें हौसला दिया कि मुख्यमंत्री शिक्षामित्रों के लिए बेहतर करने वाले हैं। जय प्रकाश का सगा भाई शिव प्रकाश भी पुलिस महकमें में ही तैनात है। मौजूदा समय में चंदौली में पोस्टिंग है। इससे पहले मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब सांसद थे तो उनके गनर के रूप में था। सूचना मिलते ही शिव प्रकाश भी चंदौली से घर के लिए चल दिया।                                                                                                                                                                                   

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