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कार्यवाही की आड में मारा पीटा और फिर दर्ज करा दिया मुकदमा वन विभाग की कार्यवाही बना चर्चा का विषय

कार्यवाही की आड में मारा पीटा और फिर दर्ज करा दिया मुकदमा

वन विभाग की कार्यवाही बना चर्चा का विषय

अनूपपुर / उत्खननन पर कार्यवाही की आड लेकर वन परिक्षेत्र बिजुरी के आला अधिकारी इन दिनों अपने नित नये कारनामों से सुखिर्यों में हैं। आए दिन क्षेत्र के नदी नालों से वाहन मालिकों द्वारा रेत का परिवहन किये जाने पर वाहन मालिक को खनिज राजस्व के अधिकारियों से नही बल्कि वन विभाग के अधिकारियों से जूझना पडता है। मामला होता कार्यवाही की बजाय पैंसों के लेन देन का वो भी मुॅह माॅगी बोली का जो दिया उसका भला जो नही दिया बहस किया अपने वैधानिक दस्तावेज प्रस्तुत किया वह वन विभाग के जुगल कानून का षिकार हो गया। वन विभाग के द्वारा आए दिन किये जा रहे वसूली अभियान सेक्षेत्र के वाहन मालिक परेषान देखे जाते हैं। उनका क्षेत्र में वाहन चलाना मुष्किलों भरा हो चला है। आलम ये है वाहन मालिक अपने वाहन को क्षेत्र से लगे नदी नालों से रेत का परिवहन करने पर कतराने लगे हैं उनका कहना है कि वन विभाग उन्हे पैसों के लिए तंग करता है न देने पर फर्जी मनगढुत कार्यवाही करता है जिससे उन्हे भारी आर्थिक क्षति के साथ कानूनी कार्यवाही से जूझना पड रहा है। वन विभाग के स्थानीय कर्मचारियों के वसूली मुस्तैदी अभियान के कारण आज क्षेत्र में सरकारी योजनाओं के तहत बन रहे प्रधानमॅत्री आवास योजना, षौचालय योजना का क्रियान्वयन ग्राम पंचायतें, नगरपालिका  क्षेत्र में सही समय पर नही हो पा रहा है।

 पंचायत राजस्व की भूमि को जंगल का बता करते हैं वसूली
नगर के आसपास स्थित ग्राम पंचायतों के नदी नाले जो राजस्व की भूमि पर हैं जिस पर वाहन लगाकर रेत भरना य परिवहन करना भी वाहन मालिकों के लिए दुखद हो जाता है जब वन विभाग का अमला मौका से आकर वाहन की संपत्ति को अपना बताता है और भरान की जगह को वन का बताकर वसूली करने पर आमादा हो जाता है। आलम यह है कि वसूली की आड में मदमस्त वन अमला सबै भूमि गोपाल की तर्ज पर केवल पैसा कमाना लक्ष्य बना लिया है। 

पैसा न देना पडा मॅहगा
 मध्यप्रदेष सरकार के आदेषानुसार अवैध उत्खनन पर वन य अन्य विभागीय अमला द्वारा ठोस कार्यवाही किया जाना माफियाओं के विरुद्व प्रषंसनीय पहल है लेकिन आदेष की आड लेकर फर्जी कार्यवाही निजी हित में करना जनमानस को प्रताडित करना है। गत दिनों एक ऐसा ही मामला सामने आया है। मिली जानकारी अनुसार गत 9 सितम्बर को संतोष साहू नामक ट्रैक्टर चालक ग्राम पंचायत डोंगरिया कला में चल रहे प्रधानमॅत्री आवास योजना निर्माण कार्य के लिए ग्राम पंचायत के आदेषानुसार ग्राम से लगे नदी केवई से रेत लेकर ग्राम पंचायत जा रहा था। तभी रास्ते में उसे बिजुरी वन विभाग के बीट गार्ड षिवकुमार तिवारी अपने अधिकारी डिप्टी रेंजर बृजलाल परस्ते के साथ मिले तथा वाहन को रोक कर रेत के संबध में पूॅछताछ किये तथा वैधानिक कागजात पाकर जबरन चाभी वाहन का लेकर मालिक से पचास हजार रुपयों की माॅग के साथ वाहन चालक से मारपीट किये तथा अपने विरुद्व कार्यवाही को रोकने के लिए वाहन चालक के द्वारा थाना बिजुरी में षिकायत किये जाने पष्चात उल्टा थाना में वाहन मालिक व वाहन चालक के विरुद्व फर्जी मामला पॅजीबद्व करा दिये। वन विभाग के द्वारा किये गए अवैध वसूली का विरोध करना वाहन मालिक को मॅहगा पडा । सूत्रों की माने तो नगर व आसपास के नदी नाले जो ग्राम पंचायत के समीप हैं षासन ने अब तक उन्हे लीज य ठेके पर नही दिया है जिससे वाहन मालिक मनमाने दर पर रेत का उत्खनन मनमाने तौर पर कर रहे हैं जिसका फायदा निकाय व पंचायतों सहित वाहन मालिक ले रहे हैं। कमाने कीललक में आज सभी शामिल हैं तथा प्राकृतिक संपत्ति की आड में सब अपने ओहदे के अनुसार कमाने लगे हैं। बहरहाल नगर के एक वाहन मालिक के साथ किये गए वन अमले की इस कार्यवाही की चर्चा जन जन में है तथा सत्ताधारी दल व वन विभाग के उच्चाधिकारियों को भी इस कार्यवाही से अवगत करा दिया गया है। अब देखना यह है कि वन अमले पर नकेल कसने का काम कब तक वन विभाग के उच्चाधिकारी व सत्ता के आका कर पाते हैं।

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