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रीवा : साल भर में 40 लोगों की सर्पदंश ने ले ली जान


रीवा। संजय गांधी अस्पताल रीवा में कभी दवाओं के अभाव में तो कभी समय पर चिकित्सा सुविधा न मिल पाने के कारण सर्पदंश पीड़ित मामलों में मौतों की संख्या चौंकाने वाली है। बताया जा रहा है कि जिले के विभिन्न अंचलों से संजय गांधी हास्पिटल रीवा लाए गए 40 मरीजों की मौत पिछले एक वर्ष में हो गई है। इतने पर भी स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रशासन लापरवाही से बाज नहीं आ रहा है और समय पर प्रभावी इलाज न मिलने के कारण मरीज काल के गाल में जा रहे हैं। 

सूत्र बताते हैं कि सर्प काटने के बाद जो एंटी वेनम इंजेक्शन मरीज को लगाया जाता है वो रीवा के सरकारी अस्पताल में नहीं है। महत्वपूर्ण बात यह है कि सीधी के जिला अस्पताल में भी पिछले महीने में इस तरह के इंजेक्शनों के न होने के कारण कई मौतें देखने को मिली थीं। उस पर भी संभागीय मुख्यालय होने की वजह से संभाग भर के सर्पदंश पीड़ित यहां पर आते हैं लेकिन उन्हें इलाज के नाम पर केवल सामान्य उपचार ही मिल पाता है जिससे उनकी जान पर बन आती है। 

अभी तक बरसात के दिनों में लोगों को सर्प से भय बना रहता था परंतु अस्पताल के आंकड़ों को देखने के बाद यह स्पष्ट होता है कि गर्मी के दिनों में भी सर्प काटने से कई लोगों की मौत हुई है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि सर्प भीषण गर्मी के बाद घरों के अंदर छुप जाते हैं और वहां पर आने वाले लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं। 

एक सप्ताह में तकरीबन छह लोगों की सांप काटने से मौत हो चुकी है जिसमें से तीन महिलाएं हैं। आश्चर्य की बात यह है कि सर्पदंश के बाद ज्यादातर लोग आधुनिक युग के बाद भी झाड़फूंक का सहारा लेते हैं जिसके चलते मरीजों की हालत बिगड़ने लगती है। 

यहां गौर करने वाली बात यह है कि अकेले विंध्य में पाई जाने वाली सांप की प्रजाति में से मात्र तीन प्रजाति करैत, गेहुंअन और सांप ही ऐसी है जो जहरीली होती है। चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो प्राथमिक उपचार के साथ-साथ जल्द से जल्द स्वास्थ्य केन्द्र में लाए जाने पर मरीज की जान को बचाया जा सकता है।



सम्भार : अन्य प्रतिष्ठित न्यूज़ पोर्टल 

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