चेहरे से विकृत बच्चों के लिए वरदान है आर.बी.एस.के.
विकृत चेहरे वाले बच्चों को आर.बी.एस.के. ने दी अच्छी शक्ल
राजकुमार पंत
गुना, ब्यूरो : कटे-फटे होठों की जन्मजात ब्याधि से जूझ रहे शिशुओं और अन्य जन्म विकृति से ग्रस्त बच्चों को सर्जरी के लिए भारी जोखिम मोल लेना पड़ता है और इस पर खर्च भी अधिक होता है। लेकिन अब मध्यप्रदेश में भी राज्य शासन ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आर.बी.एस.के.) के जरिए सर्जरी की आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से ऐसे बच्चों के इलाज को बेहद आसान बना दिया है और वह भी मुफ्त में।
इस परेशानी को डेढ़ वर्षीय देव की मां गुना निवासी 22 वर्षीया सुमन ओझा से अधिक कौन समझ सकता है। जन्मजात कटे-फटे होंठ एवं तालू की ब्याधि से पीड़ित देव के जन्म के साथ ही सुमन को लोगों के मुंह से तरह-तरह की बातें सुनने को मिलने लगी थीं। लोग तंज कसते कि कैसा विचित्र चेहरे का बच्चा हुआ है। सब इसके लिए सुमन को ही जिम्मेदार मानते थे।सुमन लोगों की बातें सुन-सुनकर हमेशा तनाव में रहती थीं। मगर बच्चे की विकृति की सर्जरी कराना उनके वश से बाहर था।
गुना, ब्यूरो : कटे-फटे होठों की जन्मजात ब्याधि से जूझ रहे शिशुओं और अन्य जन्म विकृति से ग्रस्त बच्चों को सर्जरी के लिए भारी जोखिम मोल लेना पड़ता है और इस पर खर्च भी अधिक होता है। लेकिन अब मध्यप्रदेश में भी राज्य शासन ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आर.बी.एस.के.) के जरिए सर्जरी की आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से ऐसे बच्चों के इलाज को बेहद आसान बना दिया है और वह भी मुफ्त में।
इस परेशानी को डेढ़ वर्षीय देव की मां गुना निवासी 22 वर्षीया सुमन ओझा से अधिक कौन समझ सकता है। जन्मजात कटे-फटे होंठ एवं तालू की ब्याधि से पीड़ित देव के जन्म के साथ ही सुमन को लोगों के मुंह से तरह-तरह की बातें सुनने को मिलने लगी थीं। लोग तंज कसते कि कैसा विचित्र चेहरे का बच्चा हुआ है। सब इसके लिए सुमन को ही जिम्मेदार मानते थे।सुमन लोगों की बातें सुन-सुनकर हमेशा तनाव में रहती थीं। मगर बच्चे की विकृति की सर्जरी कराना उनके वश से बाहर था।
तभी सुमन ने किसी के कहने पर लोक स्वास्थ्य विभाग में संपर्क किया। लोक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भोपाल के एक प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान में सुमन के बेटे के कटे-फटे होंठ एवं तालू की सर्जरी की व्यवस्था कराई। इस तरह सुमन गुना से भोपाल आर्इं और वहां उनके बेटे की ना केवल मुफ्त में सर्जरी की गई, बल्कि उनको आने-जाने, रहने, खाने-पीने और दवा का खर्च भी संस्थान ने ही उठाया। आज सुमन के बेटे देव को देखकर नहीं लगता कि कभी उसके होंठ कटे-फटे भी रहे होंगे। अब सुमन का आत्मविश्वास फिर से जाग गया और वह कहती हैं, “पहले मैं बहुत टेंशन में रहा करती थी। सब मेरी ही गलती बताते थे। अपने बेटे के चेहरे को देखकर मैं बहुत दु:खी रहती थी। पर आज उसके होंठ बिल्कुल ठीक हैं। अब वह अच्छा लगता है।”
अट्ठाईस साल की रश्मि की कहानी भी सुमन जैसी ही है। गुना की पुरानी छावनी की रश्मि का बेटा बेदान्श नौ महीने का है। उसके कपाल पर स्नायु ट¬ूब था। उसकी सर्जरी कराने की रश्मि की हैसियत नहीं थी। लोग बेदान्श के चेहरे को देखकर कहते थे कि माथे पर मणि लेकर आया है। कई तो यह कहने से भी नहीं चूकते थे कि यह सब कर्म का फल है। कई यहां तक कह डालते थे कि बाप का कर्ज लेकर आया है। रश्मि लोगों की बातें सुन-सुनककर परेशान थीं। मगर सुनने के अलावा उनके सामने कोई चारा भी नहीं था। मगर इसी बीच आर.बी.एस.के. बेदान्श के चेहरे के लिए भी वरदान बन गया। इसके तहत रश्मि बेदान्श को इन्दौर ले आर्इं और तमाम जांच के बाद बेदान्श का इन्दौर के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में ऑपरेशन हुआ । आखिर में बेदान्श पूरी तरह ठीक हो गया। सर्जरी के जरिए विकृति से मुक्त हुए बेटे बेदान्श के चेहरे की तरफ देखते हुए रश्मि कहती हैं कि पहले बेटे को देखकर लोग तरह-तरह के ताने मारा करते थे। पर आज बेटे का चेहरा बदल चुका है। अब वह विकृति से मुक्त हो चुका है।
जन्मजात विकृतियों के बच्चों के आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता के लिए आर.बी.एस.के. वरदान है। उनके जीवन में खुशियां लौटाने में यह मददगार बना हुआ है। लोक स्वास्थ्य विभाग में आर.बी.एस.के. की जिला समन्वयक विनीता सोनी कहती हैं कि अब तक इस तरह के 112 बच्चों को मुफ्त में सर्जरी से जन्मजात विकृतियों से मुक्त कराया जा चुका है। जन्मजात विकृतियां होने के कई कारण हैं और इसकी वजह से शिशु में शारीरिक विकृति हो जाती है। जन्म के समय से 18 वर्ष की उम्र तक के सभी बच्चों का आर.बी.एस.के. तहत नि:शुल्क उपचार कराया जाता है। इसमें बी.पी.एल कार्ड की जरूरत नहीं है।
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