भारी अव्यवस्था के बीच जारी है धान की खरीदी जवा में
एमपी ऑनलाइन न्यूज़ की रिपोर्ट
पांच रुपए बोरी लिया जा रहा तौलाई किसानों से चोरी हो रही खरीदी केन्द्र से किसानों की धान उठाव एवं बारदाने के अभाव में किसान परेशान
रीवा(जवा): शिवराज सरकार लाख घोषणाएं करे लेकिन उनका प्रशासन जनता को परेशान करने के कोई हथकंडे छोंड़ने को तैयार नही लगता।इसका जीता जागता प्रमाण धान खरीदी केन्द्र जवा आने जाने वालों को दे रहा है।किसानों को सुविधाओं की घोषणाओं के अम्बार के बीच भारी अव्यवस्था में जवा खरीदी केन्द्र में किसानों को धान बेंचने की मशक्कत करनी पड़ रही है।
जवा मुख्यालय के धान खरीदी केन्द्र में सरेआम किसानों से धान उतरवाई तौलाई की मजदूरी के नाम पर साढ़े बारह रुपए प्रति क्लिंटन लिया जा रहा है जिसकी जानकारी तहसीलदार जवा एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व तक को है।परंतु खरीदी केन्द्र में हो रही किसानों की लूट पर अंकुश नही लग पा रहा है।जबकि सरकार का कहना है की किसान अपना उत्पाद खरीदी केन्द्र तक पहुँचाए बांकी की सारी जिम्मेदारी खरीदी केन्द्र की है।इतना ही नही दिसंबर महीने में भी नमी के नाम पर सात से आठ सौ ग्राम प्रति बोरी अधिक धान तौलाई जा रही है।जो लगभग प्रति क्लिंटन दो किलो अधिक होती है।परंतु सब कुछ जानने के बाद भी प्रशासन मौन है और किसान लुटने को मजबूर हैं ।
धान चोरी भी कर रहा किसानो को परेशान -- खरीदी केन्द्र में धान चोरी भी अभियान का रूप ले चुकी है।किसान धान लेकर खरीदी केन्द्र पहुँचता है बोरी के अभाव में खरीदी केन्द्र प्रभारी द्वारा धान तो उतारने की अनुमति दे दी जाती है परंतु न उनको अपने धान की सुरक्षा के लिए खरीदी केन्द्र के अंदर रहने दिया जाता है और न ही उनकी बोरियों की गिनती कर उन्हें पावती दी जाती है।जिससे अगले दिन जब तौलवाने किसान की बोरियां कम हो जाती हैं जिनकी जिम्मेदारी लेने वाला कोई नही है।किसान हाथ मीजता रह जाता है।
बारदाने और उठाव का अभाव बनी कोढ में खाज -- बोरियों का अभाव एवं खरीदी हुई धान का उठाव न होने से जहाँ खरीदी केन्द्र में किसानो की धान तौलने के लिए विगत शनिवार से डम्प पड़ी है वहीं खरीदी केन्द्र में किसानों को धान उतारने को जगह नहीं है।जिससे किसान परेशान हैं और धान चोरी के शिकार बनने को मजबूर हैं ।
जवा मुख्यालय के धान खरीदी केन्द्र में सरेआम किसानों से धान उतरवाई तौलाई की मजदूरी के नाम पर साढ़े बारह रुपए प्रति क्लिंटन लिया जा रहा है जिसकी जानकारी तहसीलदार जवा एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व तक को है।परंतु खरीदी केन्द्र में हो रही किसानों की लूट पर अंकुश नही लग पा रहा है।जबकि सरकार का कहना है की किसान अपना उत्पाद खरीदी केन्द्र तक पहुँचाए बांकी की सारी जिम्मेदारी खरीदी केन्द्र की है।इतना ही नही दिसंबर महीने में भी नमी के नाम पर सात से आठ सौ ग्राम प्रति बोरी अधिक धान तौलाई जा रही है।जो लगभग प्रति क्लिंटन दो किलो अधिक होती है।परंतु सब कुछ जानने के बाद भी प्रशासन मौन है और किसान लुटने को मजबूर हैं ।
धान चोरी भी कर रहा किसानो को परेशान -- खरीदी केन्द्र में धान चोरी भी अभियान का रूप ले चुकी है।किसान धान लेकर खरीदी केन्द्र पहुँचता है बोरी के अभाव में खरीदी केन्द्र प्रभारी द्वारा धान तो उतारने की अनुमति दे दी जाती है परंतु न उनको अपने धान की सुरक्षा के लिए खरीदी केन्द्र के अंदर रहने दिया जाता है और न ही उनकी बोरियों की गिनती कर उन्हें पावती दी जाती है।जिससे अगले दिन जब तौलवाने किसान की बोरियां कम हो जाती हैं जिनकी जिम्मेदारी लेने वाला कोई नही है।किसान हाथ मीजता रह जाता है।
बारदाने और उठाव का अभाव बनी कोढ में खाज -- बोरियों का अभाव एवं खरीदी हुई धान का उठाव न होने से जहाँ खरीदी केन्द्र में किसानो की धान तौलने के लिए विगत शनिवार से डम्प पड़ी है वहीं खरीदी केन्द्र में किसानों को धान उतारने को जगह नहीं है।जिससे किसान परेशान हैं और धान चोरी के शिकार बनने को मजबूर हैं ।
दश बोरी धान से धोया हाथ - पुष्पेन्द्र सिंह
आठ दिसम्बर को ग्राम बाबा की बरौली का कृषक पुष्पेन्द्र सिंह पटेल खरीदी केन्द्र 90 बोरी धान लेकर पहुँचा तो बारदाना का अभाव बता कर खरीदी केन्द्र में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा उतरवा लिया गया और अगले दिन आने को कहा गया।बोरियों की गिनती कराई गई परंतु पावती नही दी गई ।अगले दिन जब धान तौलवाने खरीदी केन्द्र पहुँचा तो दश बोरियां कम थीं ।जिसपर खरीदी केन्द्र के कर्मचारियों से शिकायत की तो किसान को ही धमकाने लगे।जिस पर 100 नंबर डायल कर पीड़ित ने पुलिस बलाया।पुलिस तो आई परंतु पीड़ित को थाने आने का न्यौता देकर चली गई ।पीड़ित जवा थाने पहुँचा तो उससे लिखित आवेदन ले कर बची धान तौलवाने भेज दिया गया।मजबूरी में न्याय की प्रत्यासा में पुष्पेन्द्र को बची धान तौलवाना पड़ा।
ज्ञातव्य हो की धान खरीदी केन्द्र के प्रभारी वही समिति प्रबंधक लवकुश प्रसाद शुक्ला हैं जो वर्षों पूर्व जवा में गेंहूॅ खरीदी घोटाला के बेताज बादशाह साबित हो चुके हैं ।जिनके कारनामें को पकड़ने वाले तहसीलदार मुनव्वर खान ही प्रशासनिक प्रक्रिया में विलेन सिद्ध हुए थे।और जवा थाने में प्रकरण पंजीबद्ध होने एवं खरीदी के सहायकों के जेल जाने के बाद भी एक घंटे के लिए भी निलंबित नहीं हुए थे जबकी लम्बे समय तक कागजों में फरार थे।
अब सवाल उठता है की क्या ऐसे खरीदी केन्द्र प्रभारियो के हांथों प्रशासन जानबूझकर किसानों को लुटवा रहा है ?



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